अगर किसी के दादा और पिता की करोड़ों की कंपनी हो तो क्या वो आदमी उसी कंपनी में एक सामान्य कर्मचारी की हैसियत से नौकरी करेगा? ये सवाल अगर कोई आपसे पूछे तो आपका सीधा सा जवाब होगा बिल्कुल भी नहीं. लेकिन रतन टाटा ऐसे ही थे. आज के युवाओं को रतन टाटा की इस कहानी को जरूर पढ़ना और जानना चाहिए. बात 1962 की है जब वह विदेश में एक बड़ी नौकरी छोड़कर भारत लौट आए थे. भारत आने के बाद उनके पास विकल्प था कि वह अपने पिता की कंपनी में किसी बड़े पद पर बैठक कारोबार को आगे बढ़ाएं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. बिजनेस की बारीकियों को समझने के लिए उन्होंने पहले अपनी ही कंपनी में सामान्य कर्मचारी के तौर पर काम करने का फैसला किया.
आपको बता दें कि जिस कंपनी में टाटा परिवार के सदस्य मालिक की पोजिशन पर थे वहां रतन टाटा ने एक समय में चूना पत्थर को भट्ठियों में डालने जैसे काम भी किए. और जब बतौर कर्मचारी काम करते हुए वह बिजनेस की बारीकियों को सीख गए तो 1991 में उन्होंने इस कंपनी की कमान को अपने हाथों में ले लिया.
एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने साझा किया था दिलचस्प किस्सा
रतन टाटा ने अपने जीवन से जुड़े कुछ अहम किस्सों को एक इंटरव्यू के दौरान सबसे साझा किया था. इस दौरान रतन टाटा ने कहा था कि मुझे IBM में नौकरी मिल गई थी. लेकिन मेरे मेंटर जेआरडी टाटा इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं थे. उन्होंने मुझे अपना बायोडेटा शेयर करने के लिए कहा था. लेकिन मेरे पास उस दौरान कोई बायोडेटा था ही नहीं. मैंने जैसे-तैसे करके अपना बायोडेटा बनाया और उनको भेज दिया.
मेरे पास जिस समय जेआरडी टाटा का फोन आया था उस दौरान में IBM के दफ्तर में था.उस दौरान उन्होंने मुझसे कहा कि तुम भारत में रहकर किसी और कंपनी के कैसे काम कर सकते हो? इसके बाद उन्होंने टाटा समूह में ही मुझे नौकरी पर रख लिया. भारत में ये मेरी पहली नौकरी थी.
जमशेदपुर की स्टील फैक्ट्री में छह साल रहे थे रतन टाटा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रतन टाटा ने टाटा समूह में बतौर कर्मचारी कई साल तक काम किया था. वह इस दौरान जमशेदपुर की स्टील फैक्ट्री में भी रहे थे. शुरुआत में उन्होंने एक शॉपफ्लोर मजदूर की तरह नीला ओवरऑल पहनकर अप्रेंटिसशिप की थी.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है रतन टाटा की ये तस्वीर
रतन टाटा के निधन के बाद अब उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में रतन टाटा जेआरडी टाटा के साथ दिख रहे हैं. जेआरडी टाटा एक कार पर सूट-बूट पहने दिख रहे हैं. जबकि रतन टाटा उनके सामने एक सामान्य कर्मचारी की तरह शर्ट पैंट पहने बैठे और मुसकुराते दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये तस्वीर दौर की है जब रतन टाटा ने टाटा समूह में एक कर्मचारी के तौर पर नौकरी शुरू की थी. ये तस्वीर रतन टाटा की सादगी और कुछ सीखने की लालसा का भी प्रतीक है. अपनी ही कंपनी में दूसरे कर्मचारियों के सामने इतने सहज तौर पर खुदको पेश करना एक अनोखी बात जैसी है. लेकिन रतन टाटा का व्यक्तित्व ऐसा ही था. वह
युवाओं के लिए नज़ीर हैं रतन टाटा
आज के युवाओं के बीच रतन टाटा एक रोल मॉडल की तरह है. रतन टाटा जितने बड़े बिजनेस मैन थे उतना ही बड़ा उनका दिल था. वह हर समय किसी ना किसी जरूरत मंद की मदद करने के लिए तैयार दिखते थे. इसकी सबसे बड़ी वजह थी समाज से उनका जुड़ाव. आज वो भले हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी कहानी युवाओं को अपने-अपने क्षेत्र में और बेहतर करने के लिए प्रेरणादायक है.