मिजोरम में सुनहरे बालों वाला चमगादड़ मिला, भारत में पहली बार पाया गया

विदेश में संग्रहालयों के नमूनों की जांच और मिजोरम के नमूने का डीएनए विश्लेषण करने के बाद, टीम ने इस प्रजाति की पुष्टि सुनहरे बालों तथा ट्यूब की तरह नाक वाले चमगादड़ (हार्पियोला आइसोडॉन) के रूप में की.

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  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने मिजोरम में सुनहरे बालों वाले ट्यूब जैसी नाक वाले चमगादड़ की खोज की
  • यह चमगादड़ प्रजाति पहली बार भारत में मिली है और इसका नाम हार्पियोला आइसोडॉन है
  • शोध के लिए विदेशी संग्रहालयों के नमूनों और मिजोरम के नमूने का डीएनए विश्लेषण किया गया था
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शिलांग:

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने मिजोरम में सुनहरे बालों वाले चमगादड़ की खोज की है जिसकी नाक घूमे हुए ट्यूब जैसी है. चमगादड़ की यह दुर्लभ प्रजाति पहली बार देश में पाई गई है. जेडएसआई ने एक बयान में कहा कि मिजोरम में आइजोल जिले के हमयूफांग गांव के जंगल में चमगादड़ों के शोधकर्ता डॉक्टर उत्तम सैकिया को चमगादड़ जीवों पर व्यवस्थित सर्वेक्षण करने के दौरान यह प्रजाति मिली.

इस पर विस्तृत तुलनात्मक अध्ययन के लिए डॉ सैकिया ने ‘हंगेरियन नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम' के डॉ गैबोर सेसोरबा, जिनेवा के ‘नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम' के डॉ. मैनुअल रुएदी और ‘नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन' के डॉ रोहित चक्रवर्ती के साथ मिलकर काम किया.

विदेश में संग्रहालयों के नमूनों की जांच और मिजोरम के नमूने का डीएनए विश्लेषण करने के बाद, टीम ने इस प्रजाति की पुष्टि सुनहरे बालों तथा ट्यूब की तरह नाक वाले चमगादड़ (हार्पियोला आइसोडॉन) के रूप में की. शोधकर्ताओं ने मिजोरम के लुंगलेई ज़िले के सैरेप गाँव से पहले इकट्ठा किए गए एक पुराने नमूने का भी अध्ययन किया, और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह भी इसी प्रजाति का है. इस नमूने को ज़ेडएसआई कोलकाता में संरक्षित कर रखा गया था.

सुनहरे बालों तथा ट्यूब की तरह नाक वाले चमगादड़ को पहली बार 2006 में ताइवान में खोजा गया था, और फिर इसे दक्षिणी चीन और वियतनाम में भी देखा गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार, समझा जाता है कि यह पहाड़ी जंगलों में पाई जाने वाली प्रजाति है और लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों में उपयुक्त निवासों में इसके होने की संभावना है. 32-36 मिमी लंबे हाथों वाले इस छोटे चमगादड़ की पहचान इसके सुनहरे बालों और आकर्षक ट्यूब जैसे नथुनों से होती है.

डॉ. सैकिया और उनकी टीम एक दशक से भी ज्यादा समय से भारतीय हिमालय क्षेत्र में चमगादड़ जीवों के गहन अध्ययन में लगी हुई है, जिसके दौरान उन्होंने भारत के लिए कई नई प्रजातियों और नए रिकॉर्डों का दस्तावेजीकरण किया है. जेडएसआई निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने कहा कि यह खोज पूर्वोत्तर भारत में और अधिक केंद्रित शोध की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जो दो वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में आता है. उन्होंने आगे कहा, "इस खोज के साथ, भारत में चमगादड़ की 136 प्रजातियों की पुष्टि की जा चुकी है."

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