राजस्थान के रणथंभौर की एक ऐसी बाघिन की कहानी आपको बताते हैं, जो भावुक कर देने वाली है. बेटी की विदाई के कुछ ही दिनों बाद उस बाघिन मां एरोहेड ने भी दम तोड़ (Ranthambore Tigress Death) दिया. जब वह जिंदा थी तो शिकार के अनोखे अंदाज के लिए फेमस थी. उसकी मौत वन्य प्रेमियों के लिए किसी झटके से कम नहीं है. इसे रणथंभौर रिजर्व एरिया का एक इतिहास खत्म होने जैसा माना जा रहा है.
बेटी की विदाई के बाद मां की मौत
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की लोकप्रिय बाघिनों में से एक एरोहेड की मौत भावुक कर देने वाली है. कुछ दिनों पहले उसकी बेटी कनकटी (RBT-2507) की रणथंभौर से कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के लिए विदाई हुई. कुछ ही समय बा मां एरोहेड चल बसी. वन अधिकारियों ने बताया कि एरोहेड (टी-84) ब्रेन ट्यूमर से जूझ रही थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.
कौन थी बाघिन एरोहेड (T-84)?
11 साल की ऐरोहेड रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की प्रसिद्ध बाघिन थी. वह 'मछली' के परिवार से थी. वन अधिकारियों और वन्यजीव प्रेमियों ने गुरुवार को बाघिन एरोहेड को अंतिम संस्कार से पहले भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. कुछ दिनों पहले बाघिन एरोहेड उस समय सुर्खियों में आई थी जब उसने एक जलाशय में मगरमच्छ का शिकार किया था. इसका एक वीडियो खूब वायरल हुआ था. वन्य जीव प्रेमियों के मुताबिक, एरोहेड के इस तरह किए गए शिकार ने उसकी मां 'मछली' के शिकार कौशल की याद दिला दी, जिसे अक्सर ‘रणथंभौर की रानी' और ‘मगरमच्छ शिकारी' के रूप में जाना जाता था.
मां 'मछली' की विरासत को आगे बढ़ाया
रणथंभौर के सीनियर वन्यजीव गाइड शाकिर अली ने कहा कि बाघिन एरोहेड ने ताकत और भावना दोनों ही रूप में अपनी मां 'मछली' की विरासत को आगे बढ़ाया. फील्ड डायरेक्टर अनूप के आर के मुताबिक, इस बाघिन का जन्म फरवरी 2014 में हुआ था. उसे ज्यादातर उद्यान के जोन 2, 3, 4 और 5 में देखा गया था, जिसमें नलघाटी और राजबाग झील उसका मुख्य क्षेत्र था. एरोहेड को न केवल उसके आकर्षक रूप के लिए बल्कि बाघों की आबादी बढ़ाने में उसकी अहम भूमिका के लिए भी सराहा गया.
4 बार मां बनी, 10 शावकों को जन्म दिया
एरोहेड चार बार मां बनी और 10 शावकों को जन्म दिया, जिनमें से छह अब भी जीवित हैं. यह बाघिन आखिरी बार 2023 में मां बनी थी. बाघिन की मौत उसकी बेटी 'कनकती' को वन विभाग द्वारा उद्यान से बाहर ले जाने के कुछ ही दिनों बाद हुई है.
एरोहेड की मौत से भावुक हुए रणथंभौर के अधिकारी
रणथंभौर नेचर गाइड एसोसिएशन के सदस्यों व अन्य वन्यजीव प्रेमियों ने एरोहेड को पुष्पांजलि अर्पित की. एसोसिएशन के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह ने कहा कि एरोहेड को उसके उग्र स्वभाव और उद्यान की पारिस्थितिक विरासत पर गहरी छाप के लिए याद किया जाएगा. उसका जाना रणथंभौर रिजर्व एरिया का एक इतिहास खत्म होने जैसा है.
इनपुट-भाषा के साथ