"राम लोकतांत्रिक तरीके से राजा चुने गए, महाभारत में सुशासन के सिद्धांत...": जी20 पुस्तिकाओं में दी गई जानकारी

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए जारी दो पुस्तिकाओं का फोकस इस बात पर है कि लोकतांत्रिक लोकाचार सहस्राब्दियों से भारत के लोगों का हिस्सा रहा है.

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जी20 शिखर सम्मेलन के लिए देश की राजधानी तैयार है.
नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार ने जी20 शिखर सम्मेलन से पहले दो पुस्तिकाएं जारी की हैं, जो 6000 ईसा पूर्व से भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी देती हैं. 'भारत, लोकतंत्र की जननी' और 'भारत में चुनाव' शीर्षक वाली ये पुस्तिकाएं आने वाले गणमान्य व्यक्तियों को सौंपी जाएंगी. इन दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी G20 की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है. दो पुस्तिकाओं के 40 पृष्ठों में रामायण, महाभारत, छत्रपति शिवाजी, अकबर और आम चुनावों के माध्यम से भारत के सत्ता परिवर्तन के बारे में बात की गई है.

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए जारी दोनों पुस्तिकाओं का फोकस इस बात पर है कि लोकतांत्रिक लोकाचार सहस्राब्दियों से भारत के लोगों का हिस्सा रहा है. ये हैं पुस्तिकाओं से मुख्य अंश...

  • पहली 26 पेज की पुस्तिका में भारत को 'लोकतंत्र की जननी' के रूप में चित्रित किया गया है. इसमें एक नाचती हुई लड़की की मूर्ति की तस्वीर है, जो आत्मविश्वास से खड़ी है और दुनिया को आंखों से आंखें मिलाकर देख रही है, स्वतंत्र और मुक्त है. ये कांस्य प्रतिमा 5,000 वर्ष पुरानी है.
  • पुस्तिका में चार वेदों में से सबसे प्रारंभिक ऋग्वेद की एक स्तुति भी शामिल है, जो आम लोगों और अन्य प्रतिनिधि निकायों की एक सभा के बारे में बात करती है.
  • इसमें रामायण और महाभारत के समय के लोकतांत्रिक तत्वों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भगवान राम को उनके पिता ने मंत्रिपरिषद की मंजूरी और परामर्श के बाद राजा के रूप में चुना था.
  • महाभारत में मरते हुए पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को सुशासन के सिद्धांत बताए. पुस्तिका के अनुसार, भीष्म ने कहा, "एक राजा के धर्म का सार अपनी प्रजा की समृद्धि और खुशी को सुरक्षित करना है."
  • इसके बाद पुस्तिका बौद्ध धर्म के आगमन और कैसे इसके सिद्धांतों ने भारत में लोकतांत्रिक लोकाचार, अर्थशास्त्र और इसकी शिक्षाओं और अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, कृष्णदेव राय और छत्रपति शिवाजी सहित कई राजाओं के शासन के दौरान लोगों की भागीदारी को प्रभावित किया, इसके बारे में भी बात की गई है.
  • पुस्तिका में कहा गया है कि आधुनिक समय में भी आजादी के बाद, भारत द्वारा अपनाए गए संविधान ने पिछले लोकतांत्रिक मॉडल को बरकरार रखते हुए एक आधुनिक, लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा तैयार की.
  • 15 पृष्ठों की दूसरी पुस्तिका 1951 से 2019 तक भारत में चुनावों के इतिहास के बारे में बताती है. उम्मीदवारों की संख्या से लेकर अधिकारियों द्वारा की गई व्यवस्था तक, दस्तावेज़ लोकतंत्र के क्षेत्र में भारत द्वारा की गई प्रगति पर प्रकाश डालता है.

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