Kisan Aandolan: क्या दिल्ली के बार्डर पर चल रहा किसान आंदोलन कमज़ोर पड़ रहा है और लंबा खींचने के चक्कर में क्या किसान आंदोलन में अपराध होने लगे हैं और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में क्या रणनीति होगी, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने इन बातों को लेकर खुलकर अपनी बात रखी. टिकैत ने कहा, 'हमारा आंदोलन चल रहा है लेकिन मीडिया ने दिखाना बंद कर दिया है. हम भी कोई बड़ा आह्वान नहीं कर रहे वर्ना मीडिया कहेगी कि हमें कोरोना की चिंता नहीं नहीं है. आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा, '26 जून को देश के सभी राज्यों में गवर्नर हाउस पर प्रदर्शन करेंगे. हम कोई मार्च नहीं निकालेंगे जो दिल्ली के अंदर रहने वाले किसान हैं वो ही इस प्रदर्शन में जाएंगे. अगली बार जब भी आह्वान होगा वो संसद घेराव का होगा.'
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य, यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, इस बारे में किए गए सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा, 'यूपी विधानसभा चुनाव में हम योगी सरकार का विरोध करेंगे. जैसे ही ये राजनीतिक रैलियाँ शुरू करेंगे,हम भी इनके ख़िलाफ़ पंचायतें करने लगेंगे. टिकैत ने स्पष्ट रूप से कहा, 'मैं कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा पर किसानों के मुद्दे को लेकर बीजेपी का विरोध करूंगा. हिंदू या मुसलमान नहीं, किसानों के मुद्दे पर चुनाव होगा. गेहूं की ख़रीद नहीं बढ़ी, गन्ना का रेट नहीं बढ़ा और न ही भुगतान हुआ है. गांव के लोग कोरोना से मरे हैं.'
गौरतलब है कि कृषि कानूनों (Farm laws) को रद्द करने की मांग को लेकर किसान करीब एक साल से आंदोलनरत हैं. किसान संगठन, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि सरकार का कहना है कि वह जरूरत के अनुसार इसमें सुधार करने के लिए तैयार है. केंद्र सरकार ने कई बार संकेत दिए हैं कि किसान संगठनों को सिर्फ इन कानूनों को रद्द करने से इतर कानूनी बिंदुओं पर बात करनी चाहिए, तभी बात आगे बढ़ सकती है.