वेंकैया नायडू बोले, 'लोग कहते हैं कृषि कानूनों पर चर्चा नहीं हुई, वे राज्यसभा में कामकाज का रिकॉर्ड देख लें'

पिछले सत्र में तीन कृषि विधेयकों के पारित होने के समय उच्च सदन में भारी हंगामे की ओर परोक्ष संकेत करते हुए नायडू ने सदस्यों से वर्तमान बजट सत्र को ‘‘अधिक अर्थवान’’ बनाने का आग्रह क‍िया

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एम वेंकैया नायडू ने कहा, रिकॉर्ड के अनुसार राज्‍यसभा में कृषि विधेयकों पर चार घंटे चर्चा हुई
नई दिल्‍ली:

Farm laws: राज्यसभा (Rajya Sabha) में मंगलवार को सभापति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने कहा कि पिछले सत्र में कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन विधेयकों (Farm laws) को उच्च सदन में बिना चर्चा के पारित कराये जाने संबंधी दावे गलत हैं. साथ ही उन्होंने सदस्यों से ऐसी किसी भी स्थिति को टालने की अपील की जिससे सदन एवं राष्ट्र के हित प्रभावित होते हों.संसद के पिछले सत्र में तीन कृषि विधेयकों के पारित होने के समय उच्च सदन में भारी हंगामे की ओर परोक्ष संकेत करते हुए नायडू ने सदस्यों से वर्तमान बजट सत्र को ‘‘अधिक अर्थवान'' बनाने को कहा जिसमें मुद्दों पर ‘‘शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और मर्यादित तरीके से'' व्यापक चर्चा हो सके.

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उप राष्‍ट्रपति ने अधिक विवरण नहीं देते हुए कहा, ‘‘पिछली बार कुछ दुर्भाग्यपूर्ण'' घटनाएं हुई थीं.सितंबर में हुए पिछले सत्र में कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए लाये गये तीन विधेयकों को पारित किए जाने के समय विपक्ष के कुछ सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ दी थी और वे आसन के बेहद समीप आ गये थे और जमकर हंगामा किया था. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि सदन में कृषि कानूनों पर कोई चर्चा नहीं हुई . उन्होंने कहा कि इस संबंध में सदन के कामकाज का रिकार्ड देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार सदन में कृषि विधेयकों पर चार घंटे चर्चा हुई.नायडू ने कहा कि उन विधेयकों पर मतविभाजन को लेकर अलग अलग नजरिए हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह पहले ही दोहरा चुके हैं कि सदन में कृषि कानूनों पर विस्तृत चर्चा हुयी थी.उन्होंने कहा, ‘‘गलत धारणा बनायी जा रही है कि कोई चर्चा नहीं हुई. मतविभाजन को लेकर लोगों की अपनी दलीलें हो सकती हैं. लेकिन जहां तक चर्चा का मुद्दा है, सभी दलों ने अपनी ओर से भाग लिया और सुझाव दिए. यह रिकॉर्ड में है.''

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नायडू ने सदस्यों से अपील की, ‘‘यह सुनिश्चित करना हम सभी के लिए बाध्यकारी है कि सदन समुचित ढंग से चले, सदस्य नियमों का पालन करें, अनुशासन एवं गरिमा को बरकरार रखा जाए तथा सार्थक ढंग से चर्चा में हिस्सा लिया जाए.''उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदैव ही सदस्यों से यह कहता रहा हूं कि ऐसी किसी भी स्थिति को टाला जाए जिससे सदन और राष्ट्र के हित प्रभावित होते हों.''शुक्रवार से शुरू हुए बजट सत्र में मंगलवार को पहली बार उच्च सदन में पूरे दिन के लिए कामकाज निर्धारित था. शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद इसकी प्रति उच्च सदन के पटल पर रखे जाने के बाद बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था. इसी प्रकार सोमवार को लोकसभा में आम बजट पेश किये जाने के बाद इसकी प्रति उच्च सदन में रखी गयी और बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था.

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नायडू ने कहा कि देश में प्रतिनिधित्व वाले लोकतंत्र के 100 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं.केंद्रीय एवं विधायी परिषद के पहले प्रत्यक्ष चुनाव 1920 की सर्दियों में हुए थे.उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र का मतलब लोगों की उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सार्वजनिक मामलों के प्रबंधन और नीति निर्धारण में भागीदारी होता है. ''सभापति ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव और आम बजट 2021-22 पर चर्चा के लिए 20 से अधिक घंटे का आवंटित समय सदस्यों को लोक महत्व के विभिन्न मुद्दों को उठाने का पर्याप्त अवसर प्रदान करेगा, जिसका सरकार जवाब देगी. उन्होंने रविवार को विभिन्न दलों के नेताओं के साथ हुई उनकी चर्चा का भी उल्लेख किया.नायडू ने कहा, ‘‘मैं गंभीरता से आशा करता हूं कि पिछले चार सत्रों की भावना के अनुरूप यह महत्वपूर्ण बजट सत्र भी बहुत कामकाज वाला रहेगा.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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