"मेक इन इंडिया’ पहल न तो अलगाववादी, न ही सिर्फ देश केंद्रित": राजनाथ सिंह

एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी कहे जाने वाले ‘एयरो इंडिया’ के 14वें संस्करण का आयोजन 13 से 17 फरवरी तक बेंगलुरु में किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि गोलमेज सम्मेलन में 80 से अधिक देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, प्रभारी राजदूत और रक्षा अताशे ने भाग लिया.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच सोमवार को कहा कि भारत एक ‘पदानुक्रमित' विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता है, जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है. उन्होंने कहा कि अन्य देशों के साथ भारत के संबंध सार्वभौम समानता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित हैं.

आगामी ‘एयरो इंडिया' प्रदर्शनी के सिलसिले में राजदूतों के गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध मानवीय समानता और गरिमा के मूल तत्व द्वारा निर्देशित हैं. उन्होंने कहा कि भारत ग्राहक या उपग्रह (आश्रित) राष्ट्र बनने या बनाने में विश्वास नहीं रखता. रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया' की दिशा में भारत के राष्ट्रीय प्रयास सिर्फ अपने देश के लिए नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न सैन्य उपकरणों के उत्पादन के लिए भारत के साथ साझेदारी की खुली पेशकश भी की.

एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी कहे जाने वाले ‘एयरो इंडिया' के 14वें संस्करण का आयोजन 13 से 17 फरवरी तक बेंगलुरु में किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि गोलमेज सम्मेलन में 80 से अधिक देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों, प्रभारी राजदूत और रक्षा अताशे ने भाग लिया.

इस आयोजन में राजदूतों को आमंत्रित करते हुए उन्होंने कहा, “हम ग्राहक या उपग्रह राष्ट्र बनाने या बनने में विश्वास नहीं करते हैं, और इसलिए, जब हम किसी भी देश के साथ साझेदारी करते हैं, तो यह संप्रभु समानता और आपसी सम्मान के आधार पर होती है.” सिंह ने कहा कि भारत एक ऐसी साझेदारी की पेशकश करता है, जो विभिन्न प्रकार के विकल्पों के साथ आती है और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुकूल हैं.

उन्होंने कहा, “एक पुरानी अफ्रीकी कहावत है: ‘यदि आप तेजी से जाना चाहते हैं, तो अकेले चलें. यदि आप दूर जाना चाहते हैं, तो साथ चलें'. हम दूर तक जाने का इरादा रखते हैं और हम इसे एक साथ करना चाहते हैं. हम सहजीवी संबंध बनाना चाहते हैं, जहां हम एक दूसरे से सीख सकते हैं.”

दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य ताकत को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं. सिंह ने कहा, “साझेदारी और संयुक्त प्रयास” दो प्रमुख शब्द हैं, जो भारत के रक्षा उद्योग सहयोग को अन्य देशों से अलग करते हैं. उन्होंने कहा, “भारत विश्व व्यवस्था की एक पदानुक्रमित अवधारणा में विश्वास नहीं करता है, जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है.”

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रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मेक-इन-इंडिया' कार्यक्रम में ‘मेक-फॉर-द-वर्ल्ड' (दुनिया के लिये) समाहित है. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता की पहल भारत के भागीदार देशों के साथ “साझेदारी के नए प्रतिमान” की शुरुआत है. उन्होंने कहा, “रक्षा अनुसंधान और विकास व विनिर्माण के क्षेत्र में, यह रक्षा अनुसंधान, विकास और उत्पादन में संयुक्त प्रयासों और साझेदारी के वास्ते आप सभी के लिए एक खुली पेशकश में तब्दील हो जाता है.”

सिंह ने कहा, “जब हम अपने मूल्यवान साझेदार देशों से रक्षा उपकरण खरीद रहे होते हैं, तो अक्सर वे तकनीकी जानकारी साझा करते हैं, भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित कर रहे होते हैं और विभिन्न उप-प्रणालियों के लिए हमारी स्थानीय फर्मों के साथ काम कर रहे होते हैं.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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