रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत मदद के समय, दूसरे देशों को "उपदेश" देने में यकीन नहीं करता. हमारा यह मानना है कि बेहतर सैन्य शक्ति वाले देशों को दूसरों के लिए समाधान तय करने का अधिकार नहीं है. भारत सभी देशों को समान साझेदार के तौर पर देखता है, हम किसी देश की आंतरिक समस्याओं के लिए बाहरी समाधान थोपने में विश्वास नहीं करते. एरो इंडिया (Aero India) शो में लगभग 30 देशों के अपने समकक्षों और उप रक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए राजनाथ ने मंगलवार को कहा कि भारत हमेशा एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए खड़ा रहा है. इस दौरान रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खतरे सहित गंभीर चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एकजुट प्रयासों काआह्वान करते हुए कहा कि सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए, हमारी मौजूदा वास्तविकता के मद्देनजर नई रणनीति तैयार करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि भारत “पुराने पितृसत्तात्मक या नव-औपनिवेशिक प्रतिमानों” में ऐसे सुरक्षा मुद्दों से निपटने में विश्वास नहीं करता है और यह हमेशा उनका मुकाबला करने के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है. हम सभी देशों को समान भागीदार मानते हैं. इसलिए, हम किसी देश की आंतरिक समस्याओं के लिए बाहरी या ‘सुपर नेशनल' समाधान थोपने में विश्वास नहीं करते हैं.” उन्होंने कहा, “हम धर्मोपदेश या पहले से निर्धारित ऐसे समाधान देने में विश्वास नहीं करते हैं जो सहायता चाहने वाले देशों के राष्ट्रीय मूल्यों और बाधाओं का सम्मान नहीं करते हैं.”
राजनाथ ने कहा कि भारत अपने सहयोगी देशों की क्षमता निर्माण का समर्थन करता है ताकि वे अपनी नियति खुद तय कर सकें. उन्होंने कहा, “ऐसे राष्ट्र हैं जो दूसरों की तुलना में समृद्ध, सैन्य या तकनीकी रूप से अधिक उन्नत हैं, लेकिन यह उन्हें इस बात का अधिकार नहीं देता कि वे मदद चाहने वाले राष्ट्रों पर अपने समाधान थोपें.” उनकी इस टिप्पणी को चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है.
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