राजनीति के राजनाथ: छात्रनेता, शिक्षक, मुख्‍यमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री... हर किरदार में शानदार! बने भारत की बुलंद आवाज

ये कहानी है राजनीति के उस 'राजनाथ' की, जो जहां भी रहे, बेजोड़ रहे. आज उनके जन्‍मदिन पर हम उनकी प्रेरणात्‍मक कहानी साझा करने जा रहे हैं. 

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  • एक शिक्षक से राजनेता बने राजनाथ सिंह का आज जन्‍मदिन है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के भभौरा गांव में हुआ था.
  • 1975 में आपातकाल के दौरान दो साल जेल में बिताए. 1977 में पहली बार विधायक चुने गए. वो गृहमंत्री भी रहे और अब रक्षा मंत्री हैं.
  • राजनाथ सिंह ने अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में कई अहम भूमिकाएं निभाईं और हर किरदार में वो शानदार साबित हुए.
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नई दिल्‍ली:

Rajnath Singh Birthday: चेहरे पे एक शांत-सी मुस्कान, आंखों में दृढ़ता की चमक और व्‍यक्तित्‍व में ऐसी सादगी, जो मन को छू जाए, कुछ ऐसे ही हैं राजनाथ सिंह. गांव की मिट्टी से उठकर देश की रक्षा नीति तक पहुंचने वाला ये व्यक्तित्व सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचार है- ऐसा विचार, जो संस्कारों से जुड़ा है, सिद्धांतों पर टिका है और राष्ट्र के लिए समर्पित है. 

किसे पता था, सेना में जाने का सपना देखने वाला एक बच्‍चा, बड़ा होकर देश का रक्षामंत्री बनेगा... गृहमंत्री के रूप में आंतरिक सुरक्षा और फिर रक्षामंत्री के रूप में देश की रक्षा की कमान संभालेगा. भभौरा गांव के स्कूल में बैठकर गणित के सवाल हल करते बच्‍चे या फिर कॉलेज में फिजिक्‍स पढ़ा रहे लेक्‍चरर के बारे में किसने सोचा होगा क‍ि ये छात्र, ये शिक्षक देश की राजनीति के सबसे ऊंचे मंचों पर सिद्धांत, संगठन और सुरक्षा की मिसाल बनेगा.

ये कहानी है उस शख्स की, जिसने संघ की शाखा से शुरू किया सफर, सिद्धांतों के लिए जेल गए, सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश की राजनीति को नेतृत्व दिया, केंद्र की सरकारों में अहम भूमिकाएं निभाईं और अब भारत के रक्षामंत्री के रूप में रक्षा क्षेत्र में भी 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार कर रहे हैं. हर भूमिका में उन्होंने खुद को साबित किया, छात्र, शिक्षक से संगठनकर्ता, मुख्यमंत्री से मंत्री और अब भारत की बुलंद आवाज बनने तक. ये कहानी है राजनीति के उस 'राजनाथ' की, जो जहां भी रहे, बेजोड़ रहे. आज उनके जन्‍मदिन पर हम उनकी प्रेरणात्‍मक कहानी साझा करने जा रहे हैं. 

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गांव की मिट्टी से निकला एक संकल्प

गांव के सीधे-सादे लड़के से लेकर भारत के रक्षामंत्री बनने तक का सफर कोई साधारण कहानी नहीं होती. 10 जुलाई 1951 को उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के एक छोटे से गांव भभौरा में एक किसान परिवार में जन्मे राजनाथ सिंह ने जीवन के पहले सबक अपने खेतों और गांव की पाठशाला में सीखे. पिता रामबदन सिंह और माता गुजराती देवी से उन्हें सादगी, श्रम और संस्कार की थाती मिली. गांव की प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में एमएससी किया और मिर्जापुर के के.बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में फिजिक्‍स के लेक्‍चरर बन गए.

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एक शिक्षक, जो विचारधारा से बंधा था 

राजनाथ सिंह शिक्षक थे, लेकिन सिर्फ किताबों के नहीं, जीवन मूल्यों के भी. 13 वर्ष की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव हो गया था और 1969 से 1971 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के गोरखपुर प्रांत के संगठन मंत्री रहे. 1972 में मिर्जापुर नगर के आरएसएस कार्यवाह बने और फिर शुरू हुआ उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन.

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जेपी आंदोलन और पहला राजनीतिक पड़ाव

1974 में उन्होंने जनसंघ से राजनीतिक शुरुआत की और अगले ही साल आपातकाल के खिलाफ जेपी आंदोलन से जुड़ गए. 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल का कड़ा विरोध किया और दो साल जेल में बिताए. 1977 में जेल से निकलकर सीधे उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे- पहली बार चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए.

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युवाओं में ऊर्जा का संचार, संगठन में मजबूती 

1983 में वह भाजपा के प्रदेश महासचिव और फिर 1984 में युवा मोर्चा (BJYM) के प्रदेश अध्यक्ष बने. इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव और फिर 1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. इसी दौरान उन्होंने ‘बेरोजगारी के कारण और समाधान' विषय पर पुस्तक भी लिखी.

शिक्षा मंत्री के रूप में ऐतिहासिक फैसले

1991 में वह उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री बने. उनके कार्यकाल में दो बड़े फैसले चर्चा में आए — एंटी-नकल कानून और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल करना. उन्होंने इतिहास की पुस्तकों में हुई तथ्यों की विकृति को सुधारने की पहल भी की.

अटल सरकार का हिस्सा और विकास की नींव

1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सड़क परिवहन मंत्री बने. यहीं उन्होंने अटलजी के ड्रीम प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोग्राम (NHDP) को जमीन पर उतारने की शुरुआत की. 2000 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. देश के सबसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी को उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया.

किसान हितैषी नेता, जो खेतों से जुड़े रहे

2003 में वह कृषि मंत्री बने और कृषि व खाद्य प्रसंस्करण विभाग की कमान संभाली. किसान कॉल सेंटर और फार्म इनकम इंश्योरेंस योजना जैसी ऐतिहासिक योजनाएं उन्हीं के नेतृत्व में शुरू हुईं, जो किसानों के लिए जीवनरेखा साबित हुईं.

संगठन का आदमी, जिसने बीजेपी को गांव-गांव तक पहुंचाया

भारतीय जनता पार्टी में वे हमेशा संगठन के मजबूत स्तंभ माने गए. दो बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और भारत के कोने-कोने में जाकर पार्टी को मजबूत किया. 2006 में उन्होंने भारत सुरक्षा यात्रा निकाली, जिससे आतंकी घटनाओं और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे राष्ट्रीय विमर्श में आए.

गृह मंत्री से रक्षा मंत्री तक: सख्ती, संवेदना और संकल्प

2014 में वह गृह मंत्री बने और 2019 में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया और महिलाओं के लिए अर्धसैनिक बलों में 33% आरक्षण का फैसला लिया. रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को रक्षा क्षेत्र में लागू करने के बड़े कदम उठाए. अगस्त 2020 में 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगाई और मई 2021 में 108 और उपकरणों की सूची जारी की, जिनका निर्माण अब भारत में ही होगा.

सेना में नारी शक्ति को दी नई उड़ान

महिलाओं को सेना में समान अवसर देने के पक्षधर राजनाथ सिंह ने महिला सैन्य पुलिस भर्ती की शुरुआत की. एसएससी महिला अधिकारियों के कार्यकाल को 10 से बढ़ाकर 14 साल किया और प्रमोशन के अवसर भी बढ़ाए. सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना उनके रक्षा मंत्रालय का अहम उद्देश्य रहा है.

संवाद, सहमति और सिद्धांतों के पक्षधर

राजनाथ सिंह राजनीतिक जीवन में सैद्धांतिक दृढ़ता और संवादशीलता के प्रतीक हैं. उन्होंने बार-बार कहा है कि राजनीति में विश्वसनीयता सबसे बड़ी पूंजी है. वे मानते हैं कि वादों और कार्यों में मेल न होने से राजनीति में भरोसे का संकट आता है. वे अक्सर कहते हैं कि बिना अपनी सभ्यता और संस्कृति को समझे आधुनिकता का कोई मूल्य नहीं. यही कारण है कि उन्होंने युवाओं को भारत के सांस्कृतिक वैभव से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.

हर किरदार में अद्वितीय हैं राजनाथ सिंह 

वे लगातार तीसरी बार लखनऊ से सांसद हैं और जनता के बीच लगातार सक्रिय रहते हैं. शिक्षा, कृषि, संगठन, सुरक्षा और रक्षा- हर क्षेत्र में उन्होंने जो भूमिका निभाई, वह एक आदर्श राजनेता के रूप में उनकी छवि निखारती है. राजनाथ सिंह के जीवन की ओर देखने पर ये सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं लगती बल्कि एक सिद्धांतनिष्ठ, संवेदनशील और समर्पित जनसेवक की कहानी उभरती है, जो भारत को विश्वगुरु बनाने के सपने के साथ निरंतर कार्यरत हैं.

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