देश आज आपातकाल की 49वीं बरसी मना रहा है. इंदिरा गांधी की सरकार ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लागू किया था.इसके बाद सरकार ने विपक्ष के एक लाख से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. नागरिकों को कई सारे अधिकारों से वंचित कर दिया गया था. यह आपातकाल 21 मार्च 1977 को हटा लिया गया. इस दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों में दो महारानियां भी थीं.उनके नाम थे जयपुर की महारानी गायत्री देवी और ग्वालियर की राजमाता विजयराजे सिंधिया. इन दोनों महारानियों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था.
इमरजेंसी में महारानियों की गिरफ्तारी
जयपुर की महारानी गायत्री देवी को 30 जुलाई,1975 को गिरफ्तार किया गया था. उनके साथ उनके बेटे कर्नल भवानी सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था.गायत्री देवी को पुलिस ने विदेशी विनिमय और स्मगलिंग विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया था.कर्नल भवानी सिंह पर आरोप लगाए गए थे कि उनके पास विदेश यात्रा से बचे कुछ डॉलर हैं जिनका हिसाब उन्होंने सरकार को नहीं दिया है.गिरफ्तारी के बाद दोनों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया.
गायत्री देवी की गिरफ्तारी के करीब एक महीने बाद 3 सितंबर 1975 को ग्वालियर की राजमाता विजयराजे सिंधिया को भी गिरफ्तार कर तिहाड़ लाया गया.सिंधिया पर भी आर्थिक अपराध के ही आरोप लगाए गए थे.पहले दोनों महारानियों को एक ही कमरे में रखने की योजना थी.लेकिन गायत्री देवी के अनुरोध पर दोनों को अलग-अलग कमरे में रखा गया. लेकिन जिस कमरे में राजमाता विजयराजे सिंधिया को रखा गया था, वो सितंबर की उमस में रहने के लायक नहीं था. इस पर उन्होंने गायत्री देवी से उनके कमरे के बरामदे में रहने की इजाजत मांगी थी. इस पर गायत्री देवी ने हां कर दी. इसके बाद वो उनके बरामदे में ही रहने लगीं.
गायत्री देवी की रिहाई कैसे हुई?
सिंधिया ने इन घटनाओं का जिक्र अपनी आत्मकथा 'प्रिंसेज' में किया है. उन्होंने लिखा है, "गायत्री देवी और मैं पूर्व महारानियां भले ही रही हों लेकिन तिहाड़ जेल की अपनी रानी एक कैदी थी.उसके खिलाफ 27 मुकदमें चल रहे थे. इसमें चार मामले मर्डर के थे. वो अपने ब्लाउज में एक ब्लेड लेकर चलती थी. वो धमकी देती थी कि जो भी उसके रास्ते में आएगा वो ब्लेड से उसका चेहरा बिगाड़ देगी.''
गायत्री देवी ने सरकार से माफी मांगकर अपनी रिहाई का इंतजाम किया. तिहाड़ में उन्होंने कुल 156 रातें बिताईं थीं. जेल से उन्हें साथी कैदियों और राजमाता सिंधिया ने विदाई दी.
जेल में राजामाता के लिए कौन गाता था 'कैबरे'
जेल में विजयराजे सिंधिया के लिए स्थितियां बहुत खराब थीं.ऐसे में जेल में उनके मनोरंजन का इंतजाम किया गया.उन्होंने लिखा है,"एक दिन महिला कैदियों का एक समूह मेरे मनोरंजन के लिए गाने-बजाने का कार्यक्रम लेकर आया.इसमें वो नई फिल्मों के गीत कोरस में गाती थीं. महिला कैदी उसे 'कैबरे' कहती थीं. मैंने उन्हें सलाह दी कि अगर वो इसकी जगह भजन गाएं तो मुझे अच्छा लगेगा.मेरी फरमाइश पर वो भजन गाने लगीं.लेकिन उन्हें ये समझ नहीं आया कि कोई 'कैबरे' की जगह भजन को कैसे पसंद कर सकता है? वो मुझसे कहने लगीं,''ठीक है भजन पहले,लेकिन उसके बाद 'कैबरे.''
बीमार पड़ने पर सिंधिया को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया. बाद में सरकार ने स्वास्थ्य कारणों से सिंधिया को पैरोल पर रिहा कर दिया.जेल से रिहाई के दौरान महिला कैदियों ने उन पर फूल बरसाकर उन्हें विदा किया.जेल से बाहर उनकी तीनों बेटियां उनका इंतजार कर रही थीं.
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