राजीव गांधी हत्याकांड: नलिनी की समय-पूर्व रिहाई की याचिका पर सुनवाई 11 नवंबर तक स्थगित

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने नलिनी श्रीहरन की समय-पूर्व रिहाई की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की दोषी सजायाफ्ता नलिनी श्रीहरन (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन की समय-पूर्व रिहाई संबंधी याचिका की सुनवाई गुरुवार को 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी, क्योंकि पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई में व्यस्त थी, जिसकी आंशिक सुनवाई हो चुकी थी.

तमिलनाडु सरकार ने पहले राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन करते हुए कहा था कि उनकी उम्रकैद की सजा माफ करने को लेकर राज्य सरकार की 2018 की सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है.

दो अलग-अलग हलफनामों में राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि नौ सितंबर, 2018 को हुई कैबिनेट की बैठक में उसने मामले के सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन दोषियों की आजीवन कारावास की शेष सजा माफ करने का प्रस्ताव रखा था.

Advertisement

इस हत्याकांड में श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, एजी पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. श्रीहरन और रविचंद्रन दोनों पिछले साल 27 दिसंबर से अब तक पैरोल पर हैं. राज्य सरकार ने दोनों के अनुरोध पर ‘तमिलनाडु सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस रूल्स, 1982' के तहत पैरोल को मंजूरी दी थी.

Advertisement

श्रीहरन 30 साल से अधिक समय से वेल्लोर में महिलाओं के लिए एक विशेष जेल में बंद है, जबकि रविचंद्रन मदुरै के केंद्रीय कारागार में बंद है और उसे 29 साल की वास्तविक कारावास और छूट सहित 37 साल की कैद हुई है.

Advertisement

शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को श्रीहरन और रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई संबंधी याचिका पर केंद्र और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा था. दोनों ने मद्रास उच्च न्यायालय के 17 जून के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें समय-पूर्व रिहाई के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था और दोषी ठहराए गए एजी पेरारीवलन की रिहाई को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लेख किया था.

Advertisement

उच्च न्यायालय ने 17 जून को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी श्रीहरन और रविचंद्रन की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य के राज्यपाल की सहमति के बिना उनकी रिहाई का आदेश दिया गया था. उच्च न्यायालय ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि उच्च न्यायालयों के पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा करने की शक्ति नहीं है. उच्चतम न्यायालय के पास अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति है. संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए शीर्ष अदालत ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. पेरारिवलन जेल में 30 साल से ज्यादा की सजा काट चुका था. 

तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई, 1991 की रात को एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. आत्मघाती हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी. मई 1999 के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और श्रीहरन की मौत की सजा को बरकरार रखा था.

हालांकि, 2014 में, इसने दया याचिकाओं पर फैसला करने में देरी के आधार पर संथन और मुरुगन के साथ पेरारीवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. श्रीहरन की मौत की सजा को 2001 में इस आधार पर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था कि उनकी एक बेटी है.

राजीव गांधी के हत्यारों को माफी दिए जाने पर राहुल गांधी का बयान

Featured Video Of The Day
Russia Ukraine War: यूक्रेन पर ही दागकर रूस ने की नई मिसाइल टेस्टिंग | Vladimir Putin | NDTV India
Topics mentioned in this article