राजीव हत्याकांड: चेन्नई के घर में शिवरासन ने क्यों खोदा था तीन फुट का गड्ढा, CBI को उसमें क्या मिला?

शिवरासन ने नोटबुक और पॉकेट डायरियों पर 1 मई 1991 से लिखना शुरू किया था.उसी दिन वह नौ लोगों वाली उस टीम के साथ तमिलनाडु आया था, जिस पर राजीव की हत्या की जिम्मेदारी थी.उसने राजीव की हत्या के दो दिन बाद 23 मई तक नोट लिखे थे.

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चेन्नई के एक घर के दो गुणा दो फुट के गड्ढे में छिपाकर रखा गया था यह राज.
नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajeev Gandhi) की 21 मई 1991 को हत्या कर दी गई थी. उस दिन वो तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने गए थे. राजीव गांधी की हत्या के दोष में सात लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने सभी को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था.नवंबर 2022 में इन दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था. इस मामले के एक दोषी को मई 2022 में ही रिहा कर दिया गया था.इन दोषियों में से एक ने पूछताछ में चेन्नई के एक घर में बने एक गड्ढे के बारे में बताया था.इस गड्ढे ने इस मामले को सुलझाने में सीबीआई (CBI)की काफी मदद की थी. 

किसने की थी राजीव हत्याकांड की जांच?

राजीव गांधी हत्याकांड की जांच सीबीआई की एक विशेष जांच दल ने की थी.इस मामले में गिरफ्तार जयकुमार ने सीबीआई के मुख्य जांचकर्ता के रगोथमन को चेन्नई में स्थित अपने एक ठिकाने के फर्श में बने एक छेद के बारे में बताया था. लिट्टे ने यह ठिकाना राजीव गांधी की हत्या करने वाले लोगों के लिए बनाया था.राजीव हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त शिवरासन अपने साथियों के साथ 1 मई को इस ठिकाने पर रहने आया था.

'इंडिया टुडे' की एक खबर के मुताबिक लिट्टे का यह ठिकाना बना था, कोडुंगैयुर के मुथमिल नगर के मकान नंबर 158 में. हालांकि जयकुमार को भी नहीं पता था कि उस छेद में क्या है.पूछताछ में उसने बताया था कि इस मामले का मुख्य संदिग्ध शिवरासन जब भी उस छेद को खोलता था तो सबको घर से बाहर कर देता था.

लिट्टे के ठिकाने से सीबीआई को क्या-क्या मिला था?

जयकुमार के इस बयान पर एसआईटी ने उस मकान के फर्श को तोड़ा.जांचकर्ताओं ने दो गुणा दो फुट के तीन फुट गहरे गड्डेढे का पता लगाया. इस गड्ढे में एक मोटी तमिल-अंग्रेजी डिक्शनरी रखी थी. यह केवल देखने में डिक्शनरी थी, क्योंकि उसे काटकर उसमें एक नाइन एमएम पिस्टल रखने के लिए जगह बनाई गई थी.इस डिक्शनरी के अलावा वहां से दो छोटी पॉकेट डायरियां, एक नोटबुक और एक कांच की नकली आंख भी बरामद हुई.

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इस नोटबुक में शिवरासन ने तमिल और अंग्रेजी में लिखा था. यह टेलीफोन नंबरों, पतों, संपर्क सूत्रों, उपनामों, कोड नामों और भुगतानों का विवरण दिया गया था. पहले तो जांतकर्ताओं को कुछ खास समझ में नहीं आया. लेकिन जब हर पन्ने और उसमें दी गई जानकारियों का सावधानी से विश्लेषण किया गया तो एक बहुत बड़ी पहेली सुलझ गई. उस छोटी सी नोटबुक में राजीव हत्याकांड की साजिश को उजागर करने की कुंजी छिपी थी. इसी नोटबुक से पता चला कि शिवरासन इस हत्याकांड में शामिल दूसरे लोगों से किस तरह से जुड़ा है.

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कबसे डायरी लिख रहा था शिवरासन?

शिवरासन ने इस नोटबुक और पॉकेट डायरियों पर 1 मई 1991 से लिखना शुरू किया था.उसी दिन वह नौ लोगों वाली उस टीम के साथ तमिलनाडु आया था, जिस पर राजीव की हत्या की जिम्मेदारी थी.उसने राजीव की हत्या के दो दिन बाद 23 मई तक नोट लिखे थे. उसके बाद शिवरासन ने उन्हें गड्ढे में छिपाकर अपने साथियों के साथ बंगलुरु भाग गया. पुलिस के हाथों पकड़े जाने से पहले शिवरासन ने अपने साथियों के साथ साइनाइड की कैप्सूल खाकर आत्महत्या कर ली थी. 

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राजीव गांधी हत्याकांड में निचली अदालत ने 26 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मई 1999 में 19 लोगों को बरी कर दिया था.वहीं बचे हुए सात दोषियों में से चार नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन की फांसी की सजा बरकरार रखी गई. वहीं रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. 

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इस मामले की दोषी नलिनी घटना के समय दो महीने की गर्भवती थी. उसे जब फांसी की सजा सुनाई गई थी,लेकिन कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अपील पर उसे उम्र कैद में बदल दिया गया था.  

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