राजस्थान की सियासत में फिर उबाल, दिल्ली में सचिन पायलट, क्या मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे अशोक गहलोत?

राजस्थान (Rajasthan) में राजनीतिक सरगर्मी दोबारा तेज हो रही है. कांग्रेस आलाकमान से सलाह-मशविरा के लिए राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) दिल्ली में हैं.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. (फाइल फोटो)
जयपुर:

राजस्थान (Rajasthan) में राजनीतिक सरगर्मी दोबारा तेज हो रही है. कांग्रेस आलाकमान से सलाह-मशविरा के लिए राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) दिल्ली में हैं. वह इस उम्मीद में दिल्ली में हैं कि बगावत करने के 11 महीने बाद उनकी मांगें पूरी की जाएंगी. जयपुर में उनके समर्थक विधायक सरकार पर फोन टैपिंग का इल्जाम लगा रहे हैं और बसपा से आए विधायक सरकार को अब यह चेतावनी दे रहे हैं कि वो न होते तो गहलोत सरकार अब तक गिर चुकी होती.

ऐसे में अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि असंतोष विधायकों को शांत करने के लिए क्या मुख्यामंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे.

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बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों में से एक राजेंद्र गुडा ने कहा है कि अगर वो नहीं होते तो गहलोत सरकार पिछले साल बच नहीं पाती. जाहिर है पार्टी में असंतोष से गहलोत मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाएं तेज हो रही हैं. ऐसा जान पड़ता है कि अब सब अपना हिस्सा मांग रहे हैं.

राजेंद्र गुडा ने कहा, 'इसमें कोई ज्यादा गणित नहीं है. आज से लगभग 11 महीने पहले कुछ विधायक कांग्रेस को छोड़ के चले गए थे और अगर 10 प्लस हम नहीं होते तो सरकार की प्रथम पुण्यतिथि की तैयारी होती. कैबिनेट तो मुख्यमंत्री अधिकार क्षेत्र का मामला है. दिल्ली में जिस तरह की बातें चल रही हैं, वफादारियों का क्या होगा, वो कहां जाएंगे.'

बताते चलें कि 11 महीने बाद भी सचिन पायलट खेमे के लोगों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है और राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं हुई हैं. इसी मसले को सुलझाने के लिए वह दिल्ली में हैं, जबकि उनकी बगावत के बाद पिछले साल अक्टूबर में कुमार विश्वास की पत्नी डॉक्टर मंजू शर्मा को राजस्थान लोक सेवा आयोग में जगह मिली और उसी साल दिसंबर में राजस्थान सूचना आयोग में शीतल धनकड़, जो बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ की भतीजी और कांग्रेसी रणदीप धनकर की बेटी है, की नियुक्ति की गई.

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मंत्रिमंडल में फेर बदल अब तक क्यों नहीं हुआ, इस सवाल पर गहलोत सरकार का तर्क है कि कोरोना से पहले निपट लें, इसके बाद इस बारे में विचार किया जाएगा. राज्य के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, 'कोरोना के बीच में ये सब नियुक्तियां लेट हुई हैं. कैबिनेट एक्सपेंशन सब मुख्यमंत्री का अधिकार है. अभी जनता को तो सिर्फ इस बात से मतलब है कि कोरोना में हमारी जान कैसे बचेगी.'

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पायलट समर्थक अब शांत होने के मूड में नहीं दिख रहे. काम नहीं होने से लेकर फोन टैपिंग की शिकायत उन्होंने सार्वजनिक कर दी है. चाकसू से विधायक प्रकाश सोलंकी ने कहा, 'कई विधायकों ने कहा है कि उनके फोन टेप हो रहे हैं और कहा है कि उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है. उन्हें ये भी डर है कि ACB की मदद से उन्हें ट्रैप करने की कोशिश हो सकती है.'

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