केन्द्रीय पशुपालन मंत्री पुरूषोतम रूपाला ने शनिवार को कहा कि देश में लंपी रोग से प्रभावित पांच राज्यों में से राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित है और राज्य के 11 जिले गंभीर रूप से प्रभावित हैं. उन्होंने लंपी रोग से संक्रमित गायों का दूध नहीं पीने की भी चेतावनी दी और कहा कि ऐसी गायों को पृथक-वास में रखा जाना चाहिए. रूपाला ने शनिवार को यहां एक केन्द्रीय दल के साथ रोग प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया.
रूपाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश में लंपी चर्म रोग बीमारी से प्रभावित पांच राज्यों में से राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित है जहां 11 जिले गंभीर रूप से प्रभावित है.'' उन्होंने कहा कि मवेशियों में फैल रहे लंपी चर्म रोग की रोकथाम के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार मिलकर गंभीर प्रयास कर रही हैं और जल्द ही इसे नियंत्रित करने में सफल होंगे. उन्होंने बीमारी से बचाव के लिए राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों को संतोषजनक बताते हुए केन्द्र से हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
एहतियात बरतना जरूरी
रूपाला ने शनिवार को यहां शासन सचिवालय में राज्य सरकार के मंत्रियों तथा विभागीय अधिकारियों के साथ राज्य में लंपी चर्म रोग की स्थिति एवं रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा की. मंत्री ने कहा कि इस वायरस जनित बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरी क्षमता के साथ प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो पशु इससे सक्रंमित हो गए हैं, उन्हें स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएं. इसके लिए निर्दिष्ट पृथक-वास केंद्र भी बनाए जाएं, ताकि संक्रमण रोकने में मदद मिले और चिकित्सा एवं देखभाल करना आसान हो.
उन्होंने कहा कि इस बीमारी से बचने के लिए ‘गोट पॉक्स टीका' पूरी तरह कारगर है. अति प्रभावित क्षेत्र में तीन एमएल के डोज का उपयोग करें और कम प्रभावित एवं अप्रभावित क्षेत्र के पशुओं को एक एमएल का डोज लगाएं. रूपाला ने टीका एवं दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ प्राथमिकता से कोष दिए जाने का भी आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एसडीआरएफ का तुरंत प्रभाव से उपयोग करना शुरू करे और केन्द्र सरकार से जहां अनुमति की आवश्यकता हो तो शीघ्र प्रस्ताव बनाकर भिजवाएं.
सीएम ने मांगा सहयोग
उन्होंने कहा कि राज्य की सभी मांगों का गंभीरता से आकलन कर मदद की जाएगी. रूपाला ने राज्य सरकार की ओर से अलग गोपालन विभाग बनाने की पहल और गौ संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चलाई जा रही योजनाओं को प्रशंसनीय बताया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के पशुओं में फैल रहे लंपी चर्म रोग की रोकथाम के लिए भामाशाहों, दानदाताओं, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों, कार्मिकों एवं सभी वर्गों से आर्थिक सहयोग करने के लिए अपील की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विषम परिस्थिति में सभी स्वप्रेरणा से आर्थिक सहयोग के लिए आगे आएं. इस राशि का उपयोग प्रभावित पशुओं के उपचार के लिए दवाओं, टीकाकरण, रोग की रोकथाम, जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार, बीमार पशुओं के लिए परिवहन सुविधा, संक्रमण नियंत्रण एवं अन्य चिकित्सकीय आवश्यकताओं में लिया जाएगा. मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक की जयपुर सचिवालय शाखा में एक खाता खोला गया है, जिसकी खाता संख्या 41180075428 और आईएफएससी कोड एसबीआईएन 0031031 है. सहयोगकर्ता नकद, चेक एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से इस खाते में सहयोग राशि भेज सकते हैं.
दवाओं की उपलब्धता की गई सुनिश्चित
केन्द्रीय मंत्री के साथ बैठक में राज्य के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है और चिकित्सा दल मौके पर पहुंचकर गायों का उपचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गौशालाओं में स्वच्छता एवं रखरखाव तथा मृत पशुओं को वैज्ञानिक विधि से निस्तारित करने के लिए अभियान के रूप में कार्य किया जा रहा है. किसान-पशुपालकों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग को भी जोड़ा गया है. जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्थाएं, भामाशाह और आमजन भी आगे आकर पूरा सहयोग कर रहे हैं.
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उन्होंने केन्द्रीय पशुपालन मंत्री से विशेषज्ञ दल भिजवाने का आग्रह करते हुए संक्रामक बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए केन्द्र सरकार से हर संभव सहयोग की उम्मीद जताई. उन्होंने राज्य का दौरा करने के लिए केन्द्रीय मंत्री का आभार जताया.
क्या है लंपी रोग
अधिकारियों के अनुसार यह संक्रामक रोग रक्त चूसने वाले कीड़ों, मक्खियों की कुछ प्रजातियों और दूषित भोजन और पानी के जरिए फैलता है. इसके प्राथमिक लक्षण में पशुओं की त्वचा पर गांठ, तेज बुखार और नाक बहना है. उन्होंने बताया कि अफ्रीका में पैदा हुई यह बीमारी अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आई थी.
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