दीया कुमारी : 'जयपुर की बेटी' होगी राजस्‍थान की डिप्‍टी सीएम, तीन चुनाव, तीन सीटें और तीनों बार मिली जीत

Rajasthan Deputy CM: दीया कुमारी (Diya Kumari) जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्‍य हैं. विद्याधर नगर से उन्‍होंने कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को 71,000 से अधिक वोटों से हराया. 

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Diya Kumari: दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्‍य हैं.

जयपुर:

छत्तीसगढ़ और मध्‍य प्रदेश के बाद राजस्‍थान (Rajasthan) में भी भाजपा ने एक बार फिर मुख्‍यमंत्री के नाम को लेकर चौंकाया है. राजस्‍थान में भाजपा ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) को मुख्‍यमंत्री के लिए चुना है. इसके साथ ही पार्टी ने राज्‍य में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से एक दीया कुमारी (Diya Kumari) को राजस्‍थान की उपमुख्‍यमंत्री (Rajasthan Deputy CM) के रूप में चुना है. साथ ही पार्टी ने अनुसूचित जाति के नेता प्रेमचंद बैरवा (Prem Chand Bairwa) को भी उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. दीया कुमारी जहां जयपुर के पूर्व राजपरिवार से ताल्‍लुक रखती हैं, वहीं प्रेमचंद बैरवा ने दूदू से पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर को हराया है. 

राजसमंद से सांसद रहीं दीया कुमारी ने विद्याधर नगर विधानसभा सीट से जीत के बाद इस्‍तीफा दे दिया था. विद्याधर नगर से उन्‍होंने कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को 71,000 से अधिक वोटों से हराया. 

उपमुख्‍यमंत्री चुने जाने के बाद दीया कुमारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के समस्त नेताओं, कार्यकर्ताओं और विद्याधर नगर विधानसभा क्षेत्र जनता का आभार जताया है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि मैं इस पद की गरिमा को बनाए रखते हुए राजस्थान के विकास में अपना  योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हूं. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हम सब मिलकर राजस्थान को एक विकसित और समृद्ध राज्य बनाएंगे. 

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जयपुर रियासत के अंतिम शासक महाराजा मान सिंह द्वितीय की पोती दीया कुमारी ने वोट के लिए अपील "जयपुर की बेटी" के रूप में की थी. दीया कुमारी की गिनती जमीनी से जुड़े नेताओं के रूप में होती है और राजपरिवार की विरासत के साथ इसने उन्हें राजस्थान के लोगों के बीच एक लोकप्रिय व्यक्ति बना दिया है. 

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तीन चुनाव लड़े, तीनों में जबरदस्‍त जीत 

2013 में भाजपा में शामिल होने के बाद से दीया कुमारी ने तीन चुनाव लड़े हैं, जिनमें तीनों में उन्‍होंने जीत दर्ज की है. 2013 में दीया कुमारी सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बनीं. 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्‍होंने करीब साढ़े पांच लाख वोटों के सबसे बड़े अंतर से जीत के साथ राजसमंद से सांसद चुनी गईं. अब उन्होंने 2023 का विधानसभा चुनाव विद्याधर नगर से जीता है. 

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पिता भवानी सिंह सेना में रहे अधिकारी 

दीया जयपुर के पूर्व राजपरिवार के भवानी सिंह की बेटी हैं. भवानी सिंह ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 10वीं पैराशूट रेजिमेंट के पैरा कमांडो के लेफ्टिनेंट कर्नल और कमांडिंग ऑफिसर के रूप में गौरव हासिल किया था. 

कई स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं और सामाजिक संगठनों से जुड़ी 

विधानसभा चुनावों के लिए अपने अभियान के दौरान 52 साल की दीया कुमारी ने पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण के पर जोर दिया था. 2019 में, उन्हें सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया था. दीया कुमारी कई स्वयंसेवी संगठनों और सामाजिक संगठनों से जुड़ी हुई हैं. उनमें आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान और एचआईवी+, बच्चों के लिए काम करने वाला एक गैर सरकारी संगठन रेज शामिल है, जिसकी वह संरक्षक हैं. 

बैरवा ने पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर को हराया 

प्रेमचंद बैरवा जयपुर के पास दूदू विधानसभा सीट से विधायक हैं. उन्होंने 25 नवंबर का चुनाव कांग्रेस के बाबूलाल नागर के खिलाफ 35,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीता है. बाबूलाल नागर मंत्री भी रहे हैं. 

जातिगत समीकरणों को साधने का है प्रयास 

बैरवा को उपमुख्‍यमंत्री बनाए जाने के फैसले को जातिगत समीकरणों को साधने के रूप में देखा जा रहा है. भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे को मुख्‍यमंत्री बनाया है तो उपमुख्‍यमंत्रियों में से एक राजपूत हैं तो दूसरे अनुसूचित जाति से जुड़े हैं. बैरवा समुदाय पारंपरिक रूप से कांग्रेस को वोट देता रहा है और प्रेमचंद बैरवा का नाम 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी का एक रणनीतिक कदम हो सकता है. 

छत्तीसगढ़ और MP में भी बीजेपी ने चौंकाया

मध्य प्रदेश में भाजपा ने शीर्ष पद के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन यादव को चुना और उन्हें पार्टी के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान पर तरजीह दी थी. वहीं छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी ने तीन बार के मुख्यमंत्री रमन सिंह के स्थान पर आदिवासी नेता विष्णुदेव साय के साथ जाने का फैसला किया. पीएम मोदी किसी आदिवासी नेता को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे और साय को पार्टी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी पसंदीदा माना जाता है. 

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