राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की कथित मौतों को लेकर चल रहे विवाद के बीच चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शनिवार को जोधपुर में इस मुद्दे पर जानकारी दी. उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रदेश के अस्पतालों में जो कफ सिरप दी जा रही थी, उसकी वजह से ये मौतें नहीं हुई हैं. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कायसन फार्मा की खांसी की जेनेरिक दवाएं दी जाती हैं.
जोधपुर सर्किट हाउस पहुंचे चिकित्सा मंत्री खींवसर ने कहा कि बच्चों की मौत के बाद दावा किया जा रहा है कि सिर्फ कफ सिरप की वजह से ऐसा हुआ, ये सच नहीं है. हमने कफ सिरफ के फॉर्मूले की पूरी जांच करवाई है. जांच से स्पष्ट हुआ है कि मौत सिर्फ कफ सिरप लेने की वजह से नहीं हुई है. जो 2 मौतें हुई हैं, वो बच्चे को-मोर्बिड थे, मतलब उनको दूसरी बीमारी थी. दवाई से मौतें नहीं हुई हैं.
मंत्री ने आगे कहा कि अगर जनता को कोई आशंका हो तो एक और कमिटी बना देंगे और सैंपलिंग फिर से करवा लेंगे. हम अभी ये नहीं कह रहे कि ये दवाई एकदम ओके है. उन्होंने कहा कि एडल्ट के लिए जो दवाई है, वो बच्चों को दी जाएगी तो नुकसान होना स्वाभाविक है क्योंकि उसमें कई केमिकल होते हैं.
चिकित्सा मंत्री ने ये भी कहा कि प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल स्तर पर, जहां हमारे डॉक्टरों ने बच्चों के लिए यह दवा लिखी थी, कोई मौत नहीं हुई है. सरकार की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है और न ही दवा में कोई मिलावट हुई है.
उन्होंने कहा कि हमने अब एक नई नीति शुरू की है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए सभी दवाओं पर विशेष सावधानी बरती जा रही है. हालांकि जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि केंद्र सरकार ने कुछ ही घंटे पहले इस दवा के फार्मूले को बैन किया है, तो मंत्री जी अपने साथ मौजूद अधिकारियों से जानकारी लेते नजर आए.
जब पत्रकारों ने दावा किया कि कई सरकारी अस्पतालों में बैन के बाद भी ये दवा लिखी जा रही है तो चिकित्सा मंत्री ने कहा कि हमें इसकी जानकारी दीजिए, हम जांच और कार्रवाई करवाएंगे.
बता दें कि राजस्थान के कई जिलों में कथित तौर पर कफ सिरप पीने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी. सीकर और भरतपुर ज़िलों में बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे. इसके बाद सरकार ने कायसन फार्मा की 19 दवाओं पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.
(जोधपुर से अरुण हर्ष की रिपोर्ट)