राज-उद्धव-फडणवीस का लव ट्रायंगल, सुबह उद्धव तो शाम में राज निवास पहुंचे CM फडणवीस, समझें माजरा

मंगलवार को राज ठाकरे के निवास 'शिवतीर्थ' पर सुबह में उद्धव ठाकरे पहुंचे तो शाम में सीएम देवेंद्र फडणवीस. एक ही दिन राज ठाकरे की उद्धव और सीएम फडणवीस से हुई इस मुलाकात ने लव ट्रायंगल की चर्चा को हवा दी है.

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सुबह उद्धव तो शाम में राज निवास पहुंचे CM फडणवीस, समझें माजरा.

Raj-Uddhav-Fadnavis Love Triangle: गणपति बप्पा मोरया... मुंबई के कोने-कोने में आज यह आवाज गूंज रही है. वजह मुंबई के सबसे बड़े उत्सव गणेश चतुर्थी का है. जगह-जगह गणपति के बड़े-बड़े पंडाल लगाए गए हैं. घरों में पूजा-पाठ के अलावा चौक-चौराहों पर स्थापित गणपति प्रतिमाओं के दर्शन-पूजन की भीड़ जुट रही है. भक्ति भाव के इस माहौल के बीच मंगलवार को महाराष्ट्र की राजनीति से भी कुछ ऐसे संकेत सामने आए, जिसने राज्य की सियासी पिच पर पक रही लव ट्रायंगल की ओर से लोगों का ध्यान खींचा. दरअसल लव ट्रायंगल की यह कहानी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके चचेरे भाई राज ठाकरे और मौजूदा सीएम देवेंद्र फडणवीस से जुड़ी है. भाजपा नेता फडणवीस इस समय राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जबकि उद्धव और राज विपक्षी दलों के नेता. लेकिन इसके बाद भी इन तीनों के बीच कुछ न कुछ खिचड़ी पकने की चर्चा चल रही है.

राज ठाकरे के निवास शिवतीर्थ पर नेताओं का जमावड़ा

लंबे समय तक अलग रहने के बाद उद्धव और राज अब एक साथ आ चुके हैं. लेकिन इनका यह साथ कितना मजबूत है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. मंगलवार को राज ठाकरे के निवास 'शिवतीर्थ' पर सुबह में उद्धव ठाकरे पहुंचे तो शाम में सीएम देवेंद्र फडणवीस. एक ही दिन राज ठाकरे की उद्धव और सीएम फडणवीस से हुई इस मुलाकात ने लव ट्रायंगल की चर्चा को हवा दी है.

राज-उद्धव-फडणवीस के लव ट्रायंगल से उठ रहे सवाल

राज-उद्धव-फडणवीस का लव ट्रायंगल, ये रिश्ता क्या कहलाता है? जैसे सवालों को जन्म दे रहा है. इस सवाल के बीछे तस्वीरों और बयानों का मायाजाल है. फिलहाल इस रिश्ते को डिकोड करना मुश्किल है. अलग-अलग सियासी पंडित इसे अलग-अलग तरीके से देख रहे हैं. कुछ के अनुसार यह फायदा पाने की कवायद तो कुछ के अनुसार यह नुकसान पहुँचाने का मास्टर प्लान है.

लोगों के जेहन में सबसे बड़ा सवाल जो कौंध रहा है वो यह कि शून्य सीट वाले राज ठाकरे आखिर इतने जरूरी क्यों?

राज और उद्धव की 22 साल लंबी जुदाई खत्म

बालासाहेब ठाकरे की लेगेसी में आगे बढ़े उद्धव और राज ठाकरे के बीच 22 सालों से चल रही कड़वाहट और जुदाई अब लगभग समाप्त हो चुकी है. बीते दो महीने में इन दोनों नेताओं की 3 सार्वजनिक मुलाकातें हुई हैं. पहली मुलाकात- मराठी मुद्दा, दूसरी- उद्धव ठाकरे का जन्मदिन तो तीसरी, गणपति बप्पा के नाम पर आज.

2 घंटे तक साथ रहा उद्धव और राज ठाकरे का परिवार

आज हुई मुलाकात में मीडिया के सामने पूरा परिवार पूजा-पाठ, आरती और कैमरों में पोज़ करता दिखा. ठाकरे भाइयों ने रिपोर्टरों के सवाल जवाब से दूरी बनाई लेकिन तस्वीरें खुद से सोशल मीडिया पर भी डाले. मुलाकात भी चंद मिनटों की नहीं बल्कि दो घंटे लंबी रही, परिवार के साथ लंच डेट भी चली. यह मुलाकात राज ठाकरे निवास शिवतीर्थ पर हुई.

सीएम फडणवीस भी पहुंचे राज निवास

राज ठाकरे के निवास से उद्धव के निकलने का इंतजार कर रहे राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी “शिव तीर्थ” पहुंचे. उन्होंने ठाकरे भाइयों की मुलाकात को राजनीतिक चश्मे से नहीं धार्मिक और पारिवारिक प्रेम-चश्मे से देखने की बात कही. सीएम फडणवीस ने ठाकरे भाइयों की मुलाकात पर कहा, यह अच्छी बात है कि इस साल गणेशोत्सव के अवसर पर दोनों एक साथ आए हैं. इस दिन राजनीति की बात न करना ही बेहतर है.

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क्या ये मुलाकात BMC चुनाव की फिल्डिंग?

लेकिन राज ठाकरे से हुई उद्धव और सीएम फडणवीस की मुलाकात ने सवालों को जन्म दे दिया है. सवाल कई हैं, उद्धव और राज ठाकरे की एकता से क्या BMC के समीकरण बदलेंगे? देवेंद्र फड़नवीस के राज ठाकरे से खट्टे-मीठे रिश्ते का राज़ क्या है? MNS क्या अपना खेल बनाना चाहती है या किसी पार्टी का खेल बिगाड़ने का मास्टर प्लान है? लेकिन पक्के तौर पर अभी जवाब कुछ नहीं.

उद्धव और राज साथ लड़ेंगे बीएमसी चुनाव

दोनों चचेरे ठाकरे भाइयों का कमजोर दिखता राजनीतिक अस्तित्व, और आने वाले निकाय चुनाव की मजबूरी करीबी की बड़ी वजह मानी जाती है. हाल ही उद्धव गुट ने बिना पुष्टि ये ऐलान किया था कि दोनों ठाकरे भाई निकाय चुनाव साथ लड़ रहे हैं, पर राज-उद्धव ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की, बातचीत अभी चल ही रही है!

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अब इस बातचीत के बीच राज ठाकरे सीएम बंगले पर पहुंच जाते हैं, फिर कहते हैं कि शहर की ट्रैफिक समस्या पर चर्चा करने पहुंचे थे! तस्वीरों और बयानों के इस मायाजाल में कोई साफ़ नहीं बोल रहा!

शिंदे गुट के मंत्री बोले- मनसे का प्रभाव सीमित

इधर शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि मनसे का चुनावी इतिहास दर्शाता है कि 2009 में अपने पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद से इसका प्रभाव सीमित रहा है. लोकसभा चुनावों में मनसे ने अब तक एक भी सीट नहीं जीती है, राज्य विधानसभा चुनावों में मनसे ने अच्छी शुरुआत की थी और साल 2009 में 13 सीटें और 5.7% वोट शेयर हासिल किया था उसके बाद से उसकी किस्मत कमज़ोर होती गई है…! 2014 और 2019 में पार्टी सिर्फ़ एक-एक सीट जीत पाई और 2024 में शून्य पर सिमट गई!

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नुकसान पहुंचाने का इरादा किसे... देखना होगा

लेकिन मंत्री ने आगे कहा कि बात जहाँ निकाय चुनावों के लिए शहरी मराठी मतदाताओं की हो, तो राज ठाकरे हलचल मचाने में मास्टर समझे जाते हैं! वोट कितने जोड़ेंगे कहना मुश्किल है पर अच्छा भला काट सकते हैं ये ज़रूर दिखता है! पर नुक़सान पहुँचाने का इरादा किसे है? यह देखने वाली बात होगी.

मुंबई में BMC की 227 सीटों के लिए होना है चुनाव

मालूम हो कि कुछ दिनों बाद मुंबई में BMC की 227 सीटों के लिए चुनाव होंगे. जिस उद्धव ने देश की सबसे अमीर महानगर पालिका बीएमसी पर 25 साल तक राज किया, क्या फिर लौटने के लिए “राज” की ज़रूरत है? MNS से फड़नवीस की क़रीबी, उनके सहयोगी शिंदे भी पचा नहीं पा रहे, मराठी वोट अगर कटे तो नुक़सान के कुछ छींटे शिंदे के ऊपर भी गिरेंगीं! फिलहाल राज-उद्धव-फडणवीस का ये लव ट्रायंगल डिकोड करने में और वक्त लगेगा.

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