- भारतीय रेलवे 20 प्रमुख शहरों में यात्रियों की बढ़ती मांग को देखते हुए मेगा कोचिंग टर्मिनल का निर्माण करेगा
- मेगा कोचिंग टर्मिनल में ट्रेनों की तैयारी, धुलाई, मेंटेनेंस और रुकने की व्यवस्था एक साथ की जाएगी
- मेगा टर्मिनल बनने से रेलवे स्टेशनों पर दबाव कम होगा, ट्रेन संचालन की क्षमता और समयपालन में सुधार होगा
देश के 20 शहरों में रेलवे "मेगा कोचिंग टर्मिनल" का निर्माण करने जा रहा है. इसको लेकर रेल मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है और अगर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही काम शुरू हो जाएगा.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेलवे ने एक अध्ययन के तहत 20 शहरों को चयनित किया है, जहां यात्रियों की डिमांड अत्याधिक है. इन सभी जगहों पर मेगा कोचिंग टर्मिनल बनाया जाएगा.
किन शहरों में बनाए जाएंगे मेगा कोचिंग टर्मिनल?
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, पटना, अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में मेगा कोचिंग टर्मिनल बनेंगे. उन्होंने कहा कि इन शहरों से नई ट्रेन की डिमांड अधिक आती है. गुजरात में अहमदाबाद और सूरत से अधिक मांग रहती है. इस बढ़ती डिमांड को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों की परिचालन क्षमता बढ़ाने हेतु अहमदाबाद के वटवा में एक मेगा टर्मिनल विकसित किया जाएगा, जिसमें 10 पिट लाइनों का निर्माण होगा. इसके बनने से करीब 45 अतिरिक्त ट्रेनों की कैपेसिटी बढ़ेगी जिससे अहमदाबाद से लगभग 150 ट्रेनों का संचालन संभव होगा.
मेगा कोचिंग टर्मिनल एक बड़ा रेलवे स्टेशन परिसर होता है जहां पर ट्रेनों की तैयारी, धुलाई, मेंटेनेंस और रुकने की व्यवस्था एक साथ होती है. इसे सामान्य स्टेशन से अलग बनाते हैं ताकि वहां यात्री ट्रेनों का संचालन सुचारू और तेज से हो सके.
मेगा कोचिंग टर्मिनल बनने से क्या लाभ होगा?
रेल मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेगा कोचिंग टर्मिनल बनने से स्टेशनों पर दबाव कम होगा, क्षमता बढ़ेगी और नई ट्रेनें चल सकेंगी. इसके अलावा ट्रेन की लेट लतीफ घटेगी, कोच मेंटेनेंस और साफ-सफाई बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि मेगा कोचिंग टर्मिनल बनने का लाभ यात्री सुविधाओं में विस्तार होने के साथ ही रोजगार और आर्थिक विकास में भी देखने को मिलता है. इसके अलावा लॉजिस्टिक और ट्रेन मूवमेंट में सुधार आता है साथ ही ऑपरेशनल दक्षता भी बढ़ती है.
जानकारों का कहना है मेगा कोचिंग टर्मिनल का निर्माण होने से वेटिंग टिकट की समस्या काफी हद तक काम हो जाएगी, क्योंकि ट्रेनों के संचालन की क्षमता दोगुनी हो जाएगी. इससे इन शहरों और इनके आसपास के क्षेत्र की यात्रा करना सरल और सुविधाजनक हो जाएगा.













