राहुल गांधी रायबरेली से बने रहेंगे सांसद, वायनाड सीट पर प्रियंका गांधी लड़ेंगी चुनाव

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 में वायनाड और रायबरेली सीट से जीत दर्ज की. नियमानुसार, रिजल्ट घोषित होने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़नी होती है. 4 जून को चुनाव के नतीजे आए थे. यानी 18 जून तक की डेडलाइन थी.

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नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने रायबरेली और केरल में से एक सीट चुन ली है. राहुल यूपी की रायबरेली सीट से लोकसभा सांसद बने रहे. जबकि वायनाड सीट (Wayanad Seat) से इस्तीफा देंगे. उनकी बहन और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी. राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में वायनाड और रायबरेली सीट से जीत दर्ज की. नियमानुसार, रिजल्ट घोषित होने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़नी होती है. 4 जून को चुनाव के नतीजे आए थे. यानी 18 जून तक की डेडलाइन थी.

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कांग्रेस संसदीय समिति की मीटिंग के बाद हुआ फैसला
कांग्रेस नेताओं की सोमवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर बैठक हुई. इसमें कांग्रेस संसदीय समिति की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल मौजूद थे. इस मीटिंग में तय हुआ कि राहुल गांधी रायबरेली से सांसद बने रहेंगे और प्रियंका गांधी वायनाड से इलेक्शन डेब्यू करेंगी. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया.

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वायनाड और रायबरेली से मेरा भावनात्मक रिश्ता- राहुल गांधी
इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी अपनी बात रखी. राहुल गांधी ने कहा, "वायनाड और रायबरेली से मेरा भावनात्मक रिश्ता है. मैं पिछले 5 साल से वायनाड से सांसद था. मैं लोगों को उनके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं."

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खास अंदाज में किया प्रियंका के नाम का ऐलान
इस दौरान राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के एक पुराने स्लोगन 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का प्रयोग करते हुए कहा कि वह वायनाड से उपचुनाव लड़ेंगी. 
 

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राहुल गांधी ने कहा, "मैं समय-समय पर वायनाड का दौरा भी करूंगा. मेरा रायबरेली से पुराना रिश्ता है, मुझे खुशी है कि मुझे फिर से उनका प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा, लेकिन यह एक कठिन निर्णय था."

वायनाड को महसूस नहीं होने दूंगी राहुल गांधी की कमी- प्रियंका
इस दौरान प्रियंका गांधी ने कहा, "वायनाड का प्रतिनिधित्व करने को लेकर मुझे काबिल समझने के लिए मैं खुश हूं. मैं वायनाड को राहुल गांधी की अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दूंगी. मैं कड़ी मेहनत करूंगी. सभी को खुश करने और अच्छा प्रतिनिधि बनने की पूरी कोशिश करूंगी." प्रियंका गांधी ने कहा, "मेरा भी रायबरेली और अमेठी से बहुत पुराना रिश्ता है. इस रिश्ते को तोड़ा नहीं जा सकता. मैं भी रायबरेली में अपने भाई की मदद करूंगी. हम दोनों रायबरेली और वायनाड के लिए खड़े रहेंगे." 

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राहुल गांधी को क्यों छोड़नी पड़ी सीट?
दरअरल, संविधान के तहत कोई व्यक्ति एक साथ संसद के दोनों सदनों या संसद और राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता. कोई सांसद एक सदन में एक से ज्यादा सीटों का प्रतिनिधित्व भी नहीं कर सकता है. संविधान के अनुच्छेद 101 (1) में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 68 (1) के तहत अगर कोई जनप्रतिनिधि दो सीटों से चुनाव जीतता है, तो उसे रिजल्ट घोषित होने के 14 दिन के भीतर एक सीट छोड़नी होती है. अगर ऐसा नहीं किया जाता, तो अपने आप उसकी दोनों सीटें खाली हो जाती हैं. लिहाजा राहुल गांधी को एक सीट छोड़नी पड़ी.


रायबरेली और वायनाड में राहुल को मिले कितने वोट?
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी रायबरेली सीट से 3 लाख 90 हजार वोटों के मार्जिन से जीते हैं. उन्हें कुल 6 लाख 87 हजार 649 वोट मिले. उनका वोट पर्सेंटेज 66.17% रहा. केरल की वायनाड सीट से राहुल गांधी ने 59.69% वोटों से जीत हासिल की. उन्हें कुल 6 लाख 47 हजार 445 वोट मिले. जीत का मार्जिन 3 लाख 64 हजार 422 वोट था.

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वायनाड के बजाय राहुल ने क्यों चुनी रायबरेली सीट?
इसके पीछे कई कारण हैं. रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का गढ़ है. सोनिया गांधी यहां से लंबे समय कर जीतकर संसद पहुंचती रही हैं. राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी अमेठी और परदादा जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से चुनाव लड़ते रहे हैं. रायबरेली सीट से सोनिया गांधी, दादी इंदिरा और दादा फिरोज गांधी सांसद रह चुके हैं. राजनीति के लिहाज से यूपी बहुत अहम राज्य है. इस बार रायबरेली के साथ-साथ कांग्रेस ने अमेठी भी वापस ले ली है. लिहाजा पार्टी संगठन को मजबूत करने और यूपी की राजनीति में वापसी करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व चाहता था कि राहुल रायबरेली से सांसद बने रहे. लिहाजा उन्होंने वायनाड के बजाय रायबरेली को चुना.

यूपी और केरल में कैसा रहा कांग्रेस का प्रदर्शन?
केरल की 20 सीटों में से कांग्रेस ने 14 सीटें जीती हैं. जबकि यूपी में कांग्रेस को 6 सीटें मिली. इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. सपा ने 37 सीटें जीती.

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