- बिहार में वोट चोरी के आरोपों के खिलाफ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा जारी है.
- यात्रा में जातीय ध्रुवीकरण की बजाय वोट चोरी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जा रहा है जो चर्चा का विषय बना है.
- यात्रा के अंतिम चरण में प्रियंका गांधी, स्टालिन, सिद्धरामैया और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता भी शामिल होंगे.
Voter Adhikar Yatra in Bihar: बिहार में कथित 'वोटचोरी' के खिलाफ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की “वोटर अधिकार यात्रा” का पहला हफ़्ता पूरा हो चुका है. यात्रा में खूब भीड़ उमड़ रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग (EC) और BJP वोटचोरी के आरोप का ठीक से बचाव नहीं कर पा रहे और ऊपर से सुप्रीम कोर्ट का अनुकूल आदेश बताता है कि यात्रा के संकेत शुभ हैं. अगले हफ़्ते प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता भी यात्रा में शामिल होंगे.कांग्रेस खेमे में इस बात को लेकर उत्साह है कि राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस, संसद में लगातार प्रदर्शन के बाद अब वोटर अधिकार यात्रा की वजह से “वोटचोरी” विरोधी अभियान बिहार ही नहीं देश भर में चर्चा का विषय बन गया है.
जातीय ध्रुवीकरण की बजाए वोट चोरी का मुद्दा हुआ अहम
वोटर अधिकार यात्रा की कोर टीम के एक सदस्य के मुताबिक एक तो यात्रा खूब ट्रेंड में है. वहीं राहुल गांधी की अगुवाई से जातीय ध्रुवीकरण की बजाय वोट चोरी का मुद्दा काफ़ी अहम हो गया है. हालांकि पार्टी में एक वर्ग का मानना है कि केवल निगेटिव प्रचार की बजाय लोगों से किए जाने वाले वादों को यात्रा में प्रमुखता से उठाना चाहिए. क्योंकि यात्रा की भीड़ वोट में किस हद तक तब्दील होगी, इसको लेकर अनुमान लगाना मुश्किल है.
वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ चल रही यात्रा
चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे वोटरलिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR प्रक्रिया के ख़िलाफ़ निकाली जा रही इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी खुली जीप में सवार होकर आम लोगों से मिलते–जुलते आगे बढ़ रहे हैं. सुबह और शाम के वक्त क़रीब दो–दो घंटे यात्रा आगे बढ़ती है.
- बीते रविवार को सासाराम से शुरू हो कर यह यात्रा दक्षिण बिहार के औरंगाबाद, गया, नवादा होते हुए नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर के रास्ते कटिहार, पूर्णिया यानी सीमांचल के इलाके में पहुंच चुकी है.
- दूसरे और आखिरी हफ्ते में यह यात्रा सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, चंपारण, गोपालगंज, सिवान, छपरा होते हुए आरा में ख़त्म होगी. एक सितंबर को पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली होगी.
अगले सप्ताह में प्रियंका, स्टालिन, सिद्धारमैया और अखिलेश भी होंगे शामिल
राहुल गांधी की यात्रा के आख़िरी चरण में 26 अगस्त को प्रियंका गांधी, 27 अगस्त को स्टालिन, 29 अगस्त को कर्नाटक के सीएम सिद्धरामैया और 30 अगस्त को अखिलेश यादव यात्रा में शामिल होंगे. इंडिया गठबंधन के बड़े चेहरों को आमंत्रित कर कांग्रेस एक तरफ़ एकजुटता का संदेश देने और यात्रा को लगातार सुर्खियों में बरकरार रखना चाहती है.
यात्रा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ सीपीआई एमएल महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी लगातार बने हुए हैं.
सीट बंटवारे और उम्मीदवार का चयन असली चुनौती
बहरहाल बिहार में इंडिया गठबंधन के सामने असली चुनौती सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन की है. अंदरखाने सभी दल अपना होमवर्क पूरा करने में जुटे हैं. वोटर अधिकार यात्रा में राहुल अगुवाई तो कर रहे हैं लेकिन क्या कांग्रेस को मन मुताबिक सीटें मिल पाएंगी ये देखने वाली बात होगी. इसके बाद लुभावने वादों को वोटरों तक पहुंचाने की बारी आएगी.
चुनाव आयोग का फैक्ट चेक दावा को बता रही गलत
राहुल–तेजस्वी की यात्रा से इंडिया गठबंधन ख़ास तौर पर कांग्रेस भले ही उत्साहित हो लेकिन बीजेपी इसे घुसपैठिया बचाओ यात्रा करार दे रही है. यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कुछ ऐसे लोगों का वीडियो जारी किया जिनके वोट कथित तौर पर कट गए हैं. लेकिन चुनाव आयोग ने कुछ ही समय में फैक्टचेक करते हुए साफ़ किया कि इनके से कुछ का दावा गलत है और उनके नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं.
कांग्रेस खेमे में उत्साह, अच्छे रिजल्ट की उम्मीद
लेकिन वोटचोरी के आरोपों और सफ़ाई के बीच राहुल गांधी की दो हफ़्ते में लगभग तेरह सौ किलोमीटर की बिहार यात्रा चर्चा में है और कांग्रेस इसी बात से संतुष्ट है कि अरसे बाद बिहार की सियासत में उसे गंभीरता से लिया जा रहा है. एक कांग्रेस नेता के मुताबिक यात्रा ने बिहार में प्रशांत किशोर की नई राजनीति से लोगों का ध्यान वापस इंडिया गठबंधन की तरफ खींचा है अगर टिकट बंटवारे में सामाजिक समीकरण संतुलित रहा तो रिजल्ट बहुत अच्छा होगा.
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