तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग में एक महीने से कुछ अधिक समय बाकी है. सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने भाजपा और कांग्रेस की ओर से भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति को लेकर हमलों के बीच क्षेत्रीय गौरव को अपने अभियान का केंद्रबिंदु बना लिया है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव, जिन्होंने कहा था कि पिछले चुनावों के दौरान आंध्र के जमींदार खलनायक थे, ने इस बार गुजरात के 'गुलामों' और दिल्ली के 'दरबारियों' पर अपनी बंदूकें तान दी हैं.
एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में शुक्रवार को राव ने अपनी पार्टी के एक-दूसरे का पक्ष लेने के भाजपा और कांग्रेस दोनों के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि बीआरएस किसी की बी-टीम नहीं है, बल्कि तेलंगाना की ए-टीम है.
मुख्यमंत्री केसीआर के बेटे केटीआर ने कहा कि, "तेलंगाना का पूरा राज्य आंदोलन दो चीजों पर आधारित था, आत्मसम्मान और गौरव. प्रधानमंत्री हैदराबाद आते हैं और कहते हैं कि एक गुजराती (सरदार वल्लभभाई पटेल) ने आपको निजाम के चंगुल से बचाया और दूसरे गुजराती (पीएम नरेंद्र मोदी) आपको केसीआर (मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव) के तानाशाही शासन से छुटकारा दिलाएंगे.''
उन्होंने कहा कि, "हमें गर्व का अहसास कराना है और हमें लोगों को यह भी याद दिलाना है कि गुजरात के गुलाम भाजपा के लोगों ने यहां तेलंगाना में पिछले साढ़े नौ वर्षों में बहुत कुछ नहीं किया है. और हमें उनके ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में बात करनी है. दिल्ली दरबार का भी यही हाल है. राहुल बाबा यहां आते हैं और पारिवारिक शासन और वंशवाद जैसी बातें कहने लगते हैं, जो शायद इस सहस्राब्दी का मजाक है."
तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामा राव ने कहा कि गुजरात और दिल्ली के लोग तेलंगाना आने से पहले अपना होमवर्क नहीं करते हैं और उन्हें और उनकी पार्टी को समय-समय पर उन्हें याद दिलाना पड़ता है कि तेलंगाना में राज्य के दर्जे के लिए किया गया आंदोलन बड़े स्वाभिमान का विषय था. उन्होंने कहा, "उस आंदोलन के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक गर्व था, और आप आकर इस तरह हमारा अपमान नहीं कर सकते."
तेलंगाना में केवल दस दिनों में चुनाव को लेकर 243 करोड़ रुपये तक जब्त किए जाने के बारे में पूछने पर राव ने कांग्रेस को दोषी ठहराया और कहा कि बेंगलुरु में उसके एक पूर्व नगरसेवक के पास से पैसा जब्त किया गया था. जब यह बताया गया कि जब्ती कर्नाटक में हुई थी, तो उन्होंने कहा कि कर्नाटक और तेलंगाना में बहुत से लोगों के साझा व्यवसाय हैं.
उन्होंने कहा कि, "कुछ बिल्डरों ने मुझे बताया है कि कर्नाटक सरकार ने अतिरिक्त चुनाव कर वसूलना शुरू कर दिया है, 500 रुपये प्रति वर्ग फुट, और वे सीधे बिल्डरों को बता रहे हैं कि पैसे का इस्तेमाल तेलंगाना चुनावों में कांग्रेस पार्टी के समर्थन और वित्तपोषण के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ''पैसा कहां पकड़ा जा रहा है, इसकी जड़ कहां है.''
पीएम नरेंद्र मोदी के इस दावे पर कि केसीआर ने कर्नाटक कांग्रेस अभियान को वित्तपोषित किया था और कांग्रेस अब उसका बदला चुका रही है, राव ने कहा, "प्रधानमंत्री शानदार स्क्रिप्ट और शानदार कहानियां लिखने में माहिर हैं. यह वही आदमी है जिसने 2022 तक बुलेट ट्रेन, 2022 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. मैं 15 लाख रुपये वाले जुमले का जिक्र तो कर ही नहीं रहा."
उन्होंने जोर देकर कहा कि, "तो तथ्य यह है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्रधानमंत्री या राहुल गांधी क्या विश्वास करना चाहेंगे, हम न तो कांग्रेस की बी-टीम हैं और न ही भाजपा की, हम तेलंगाना के लोगों की ए-टीम हैं और हम कांग्रेस और भाजपा दोनों से दृढ़तापूर्वक तटस्थ और समान दूरी पर बने रहेंगे. यह द्विध्रुवीय स्थिति जो वे पैदा करना चाहते हैं, कि इस देश को या तो भाजपा या कांग्रेस पर निर्भर रहना होगा, ऐसा कुछ नहीं है. हम निश्चित रूप से उनके विचार या विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं."
बीआरएस को पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से जाना जाता था. इसने 2014 में राज्य के गठन के बाद से तेलंगाना में शासन किया है. तेलंगाना में विधानसभा चुनाव 30 नवंबर को होंगे और मतगणना तीन दिसंबर को होगी.