कांग्रेस ने राफेल सौदे में मोदी सरकार के अलावा अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने सीएजी राजीव महर्षि को दिए एक मेमोरैंडम में राजीव महर्षि पर कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट यानी हितों के टकराव का आरोप लगाया है. कांग्रेस के मुताबिक 36 रफाल जेट के सौदे की जांच कर रहे सीएजी राजीव महर्षि अक्टूबर 2014 से लेकर अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे. यानी 10 अप्रैल, 2015 को 58 हज़ार करोड़ के इस सौदे के ऐलान के दौरान वो वित्त सचिव थे. सेना के लिए सामान ख़रीदने की वित्तीय मंज़री वित्त मंत्रालय और कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की कमेटी देती है. कांग्रेस का कहना है कि तब वित्त सचिव रहे राजीव महर्षि सौदे को मंज़ूरी देने की प्रक्रिया का हिस्सा थे. 24 जून, 2015 में यूपीए सरकार की 126 विमान की डील जब एनडीए सरकार ने खारिज की तब भी वो वित्त सचिव थे.
कांग्रेस ने ये भी आरोप लगाया वित्त सचिव की हैसियत से राजीव महर्षि मई 2015 में 36 रफाल सौदे की कीमत पर होने वाली बातचीत का भी हिस्सा रहे. कांग्रेस का आरोप है कि उच्चतम स्तर पर हुई कथित गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार में उनका भी हाथ था. ऐसे में वो खुद उस सौदे की जांच नहीं कर सकते जिसमें वो खुद भागीदार थे. सुप्रीम कोर्ट तक में सीएजी की रिपोर्ट के बारे में भ्रम पैदा होने पर भी वो चुप रहे और मोदी सरकार को झूठ फैलाने से रोकने की कोशिश नहीं की.
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कांग्रेस ने सीएजी को एक मेमोरेंडम देकर कहा है कि रफाल सौदे की जांच कर रही पीएसी के सामने रिपोर्ट पेश करना सीएजी होने के नाते आप का दायित्व है. हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप अपने आप को इस जांच से अलग कीजिए और सार्वजनिक तौर पर अपनी गलती स्वीकार कीजिए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को बताया कि महर्षि सोमवार को संसद में राफेल करार पर रिपोर्ट पेश कर सकते हैं. सिब्बल ने कहा कि महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से लेकर 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे और इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल करार पर दस्तखत की घोषणा की. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘....वित्त मंत्रालय इन वार्ताओं में अहम भूमिका निभाता है. अब स्पष्ट है कि राफेल करार राजीव महर्षि के इस कार्यकाल में हुआ. अब वह सीएजी के पद पर हैं. हमने 19 सितंबर 2018 और चार अक्टूबर 2018 को उनसे मुलाकात की. हमने उन्हें घोटाले के बारे में बताया. हमने उन्हें बताया कि करार की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह भ्रष्ट तरीके से हुआ. लेकिन वह अपने ही खिलाफ कैसे जांच करा सकते हैं?''
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सीएजी के सामने पेश की गई दलीलों में बताया था कि राफेल करार में कहां-कहां अनियमितताएं हुई हैं और इसमें कैसे भ्रष्टाचार हुआ है. सिब्बल ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर वह वित्त सचिव के तौर पर लिए गए फैसलों की जांच नहीं कर सकते. वह पहले खुद को और फिर अपनी सरकार को बचाएंगे. इससे बड़ा हितों का टकराव तो कुछ हो ही नहीं सकता.''
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