राफेल डील: सुप्रीम कोर्ट को कीमत बताने के लिए आखिर कैसे तैयार हुई सरकार, जानें पूरा मामला

वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के बीच इस बात को लेकर बैठक हुई कि राफेल की कीमत और इसके फायदे सुप्रीम कोर्ट को बताए जाएं या नहीं.

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सरकार ने सोमवार को राफेल डील से संबंधित जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की.
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केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम में दाखिल की सीलबंद रिपोर्ट.
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में कीमत की भी जानकारी दी गई.
पहले केंद्र सरकार राफेल डील की जानकारी देने से मना कर रही थी.
राफेल डील से संबंधित जानकारी केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दाखिल की गई सीलबंद रिपोर्ट में दी गई. सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में कीमत की भी जानकारी दी गई है. इसके अलावा राफेल डील की प्रक्रिया और दसॉल्ट कंपनी के भारतीय ऑफसेट पार्टनर के चुनाव पर भी कागजात सौंपे गए हैं. केंद्र ने कहा है कि राफेल सौदा प्रक्रिया के तहत ही किया गया है और भारतीय ऑफसेट पार्टनर चुनने में उसकी कोई भूमिका नहीं है. ये ऑरिजनल इक्विपमेंट मैनुफैक्चरर ( OEM) यानी दसॉल्ट एविएशन का फैसला था. पहले केंद्र सरकार राफेल डील की जानकारी देने से मना कर रही थी. सरकार ने कहा था कि वह राफेल डील से संबंधित कोई भी जानकारी किसी से साझा नहीं कर सकती. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस डील के बारे में जानकारी देने के लिए कहा. इसके बाद सरकार ने सोमवार को इस डील से संबंधित जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की.

वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के बीच इस बात को लेकर बैठक हुई कि राफेल की कीमत और इसके फायदे सुप्रीम कोर्ट को बताए जाएं या नहीं. बैठक में तय किया गया कि इस डील से संबंधित कोई भी जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने न छुपाई जाए. इसके साथ ही तय किया गया कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच को राफेल की कीमत की जानकारी सीलबंद दी जाए और साथ ही इसके फायदे भी बताए जाएं. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी इजाजत दे दी.

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछे थे ये सवाल
- क्या है राफेल की कीमत और फायदे
- दस दिन में सीलकवर में ब्योरा दें
- ऑफसेट पार्टनर का ब्यौरा भी मांगा

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केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मध्यम श्रेणी के बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान(एमएमआरसीए) प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा देरी हुई इसी बीच दुश्मनों ने चौथी और पांचवी पीढ़ी के विमानों को बेड़े में शामिल कर लिया. इस वजह से भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के बेड़े की संख्या में आयी गिरावट को तुरंत दूर करने की जरूरत है. यह उस दस्तावेज में कहा गया है, जिसे केंद्र ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को उचित ठहराने के लिए सार्वजनिक किया है.

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