- पुतिन के इंटरप्रेटर कूटनीतिक बातचीत में हर शब्द, सुर और भाव का सटीक अनुवाद कर वैश्विक संकेतों को तय करते हैं.
- वे गोपनीय बैठकों में मौजूद रहते हैं, जहां एक छोटी गलती भी देशों के रिश्तों में गलतफहमी या तनाव ला सकती है.
- थकान, दबाव और अचानक बदलते शेड्यूल के बीच वे पुतिन की गति, टोन और भाषाई बारीकियों को संभालते हुए काम करते हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नई दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक हो रही है. राष्ट्राध्यक्षों की हाई-प्रोफाइल मुलाकातों के बीच एक शख्स हमेशा शांत, कैमरों से दूर, लेकिन सबसे अधिक जिम्मेदारी का काम निभाता है- इसे इंटरप्रेटर या दुभाषिया कहते हैं. जो राष्ट्राध्यक्षों की बातों को ट्रांसलेट करता है और बैठक के दौरान ही ट्रांसलेट कर उसे बोलता है. इसे न तो सुर्खियां मिलती हैं न ही उनकी पहचान ही हो पाती है, केवल कुछ मौके पर उनकी आवाज सुनी जा सकती हैं. यह वो शख्स है जो राष्ट्राध्यक्षों के बीच कई गई हर बातों का न केवल सटीक अनुवाद करता है, बल्कि वो उनके सुर, स्वर और भावनाओं को भी समझ कर अपने शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष तक पहुंचाता है.
भारत-रूस वार्ता हों, यूक्रेन पर चर्चा हो या रक्षा सौदे की बात, हर शब्द का सही भाव के साथ अनुवाद करना जरूरी है. पुतिन के इंटरप्रेटर दुनिया के सबसे संवेदनशील कूटनीतिक संवाद सबसे पहले सुनते हैं. इसमें एक छोटी गलती भी कूटनीतिक संकेतों को बदल सकती है, इसलिए पुतिन के इंटरप्रेटर को गहन ट्रेनिंग दी जाती है.
बहुपक्षीय मंचों पर उनकी भूमिका और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जहां एक कमरे में कई राष्ट्राध्यक्ष और कई भाषाएं होती हैं. यही कारण है कि कूटनीति में इंटरप्रेटर सिर्फ भाषा का माध्यम नहीं, बल्कि देशों के बीच भरोसे की नींव भी होता है.
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इंटरप्रेटर की बहुत अधिक अहमियत
जब दो देश या अनेक देशों के बीच बैठकें होती हैं तब प्रोटोकॉल के अनुसार, हर प्रतिनिधिमंडल अपने इंटरप्रेटर को साथ लाता है, वह एक प्रोफेशनल और ट्रांसलेशन को लेकर भरोसेमंद शख्स होता है. पर जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसे दुनिया के अहम शख्सियत के इंटरप्रेटर बनने की बात हो तो यह बहुत ही खास होता है. उसे रूसी राष्ट्रपति के साथ अक्सर रक्षा, खुफिया सहयोग, हथियारों के सौदे, स्ट्रैटेजिक पार्टनर और वैश्विक संकटों पर होने वाली पूरी तरह से गोपनीय चर्चाओं में भी मौजूद रहना पड़ता है. दुनिया की बड़ी शक्तियों के बीच एक गलत शब्द भी बयानबाजी, गलतफहमी या तनाव को जन्म दे सकते हैं. इंटरप्रेटर का काम सिर्फ शब्दों को बदलना नहीं होता, वे कूटनीतिक संकेतों, राजनीतिक भावनाओं और बातचीत की छोटे से छोटे टोन को भी उसी तरह सामने वाले नेता तक पहुंचाते हैं.
पुतिन के सुपर इंटरप्रेटर का अनुभव
राष्ट्रपति पुतिन के इंटरप्रेटर का अनुभव कैसा होता है? इस पर रूस की सरकारी समाचार चैनल रूसिया-24 पर उनके तीन इंटरप्रेटर्स ने अपनी बातें साझा कीं, जो रूस के भाषा विभाग में काम करते हैं. एलेक्सी सादिकोव, सर्गेई चुडिनोव और नताल्या क्रासाविना नाम के इन इंटरप्रेटर्स ने हालांकि पुतिन के साथ किसी राष्ट्राध्यक्ष के बीच हुई बातचीत के बारे में कुछ नहीं बताया और यह कहा कि बातचीत पूरी तरह गोपनीय होती है. हालांकि उन्होंने यह बताया कि बंद दरवाजों के पीछे बातचीत का स्वरूप और उसकी शैली पूरी तरह से चर्चा के विषयों के साथ-साथ इस पर निर्भर होती है कि दोनों नेताओं के बीच आपसी संबंध कैसे हैं. वो कहते हैं कि इंटरप्रेटर का काम केवल अनुवाद तक ही सीमित नहीं होता है. उन्हें भावनाओं को भी सही तरीके से दूसरे नेता तक पहुंचाना होता है.
कैसे काम करते हैं पुतिन के इंटरप्रेटर?
इंटरप्रेटर दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत का कोई भी हिस्सा बैठक से बाहर नहीं जाहिर कर सकते हैं. बेशक यह उनके काम का हिस्सा है. कई बैठकें बहुत ही गोपनीय होती हैं और यह गोपनीयता ही डिप्लोमैटिक इंटरप्रेटर की अहमियत को बरकरार रखते हैं.
पुतिन के ये तीन इंटरप्रेटर बताते हैं कि कभी कभी उन्हें तब अप्रत्याशित स्थिति का सामना करना पड़ता है जब राजनीतिक वार्ता का शेड्यूल बदल जाता है. वो कहते हैं कि नेताओं के पीछे भागना उनके लिए कोई नई बात नहीं है, आपको किसी भी अप्रत्याशित चीज के लिए तैयार रहना पड़ता है.
वहीं कभी-कभी इस उच्चस्तरीय बातचीत के दौरान इंटरप्रेटर ऐसी परिस्थिति में फंस जाता है कि उसे माफी तक मांगनी पड़ती है. ऐसी स्थिति तब आती है जब वो कोई शब्द ठीक से सुन नहीं पाता या गलत अनुवाद कर देता है.
जब शब्द नहीं सुन सके, तो पुतिन ने...
एक बार ऐसी ही परिस्थिति में टीवी पर प्रसारित हो रहे उस बातचीत के अंश में जब इंटरप्रेटर एक शब्द ओटलिनो (जिसका अर्थ उतकृष्ट होता है) नहीं सुन सके तो पुतिन उनके चेहरे पर देखते हैं.
एक मौके पर पुतिन को लगा कि इंटरप्रेटर बहुत धीमी गति से बोल रहे हैं तो उन्होंने उसे अपनी आवाज को और प्रभावी बनाने को कहा. इन इंटरप्रेटर्स का कहना है कि निश्चित रूप से गलतियां नहीं होनी चाहिए पर अत्यधिक थकान की वजह से कभी-कभी ऐसा हो जाता है.
कई बार पुतिन अपनी बात को दोहराते हैं, ताकि इंटरप्रेटर को सुधार करने का मौका मिल सके, या वे कहते हैं, 'ध्यान से सुनो.'
पुतिन के ये इंटरप्रेटर्स कहते हैं कि नंबर या देशों के नाम में गलतियां हो सकती हैं, कोई भी पूरी तरह दोषरहित नहीं होता. वो ये भी बताते हैं कि पुतिन खुद जर्मन भाषा में मजाक भी कर सकते हैं.
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पुतिन जर्मन भाषा में माहिर
टॉक रशियन के मुताबिक पुतिन को जर्मन भाषा का अच्छा ज्ञान है. बता दें कि पुतिन रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में काम करते थे और उसी दौरान उनकी जर्मनी में पोस्टिंग हुई थी. वहां उन्होंने जर्मन सीख लिया. इस भाषा पर उनकी पकड़ इतनी बेहतर है कि वो इसमें चुटकुला भी अनुवाद कर सकते हैं.
साथ ही वियोन की एक खबर के मुताबिक उन्हें अंग्रेजी भाषा की भी अच्छी समझ है. कभी-कभी उन्हें अपने इंटरप्रेटर के अनुवाद को सुधारते हुए भी देखा गया है.
जब इंटरप्रेटर से हुई बड़ी गलती
इसी संदर्भ में आपको बता दें कि कई बार इंटरप्रेटर भी अनुवाद करने में गलती करते हैं. पुतिन के साथ भी ऐसा हो चुका है. हाल ही में जब व्लादिमीर पुतिन हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबैन से मिले तब उनके इंटरप्रेटर ने ऐसी गलती कर दी जिससे काफी चर्चा हुई. उस बैठक की फुटेज टीवी पर प्रसारित की गईं जहां हंगरी भाषा के उनके इंटरप्रेटर ने कई बार गलत अनुवाद किया.
इंटरप्रेटर क्या करें?
पुतिन के ये इंटरप्रेटर कहते हैं, "इसमें फोकस की सबसे अधिक अहमियत होती है. हर शब्द पर आपको चौकन्ना रहना होता है. न केवल आपको सही व्याख्या करनी होती है बल्कि शब्दों के चयन और उसका वाक्य विन्यास भी ऐसा रखना होता है कि सामने वाले नेता को आसानी से समझ आ जाए."
पुतिन के ये इंटरप्रेटर सुझाव देते हैं, "एक इंटरप्रेटर को खुद के व्याख्या करने के तरीके में भी लगातार सुधार करते रहना चाहिए. उसे अपनी शब्दावली पर काम करते रहना चाहिए क्योंकि चर्चाएं अलग अलग विषयों पर होती हैं ऐसे में कभी कभी दिमाग में मौजूद ये शब्द मौके पर याद आ जाते हैं."
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