पुतिन की गर्मजोशी, डोभाल की संजीदगी... ट्रंप के टैरिफ अटैक के बीच ये मुलाकात बहुत कुछ कहती है

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भारतीय एनएसए अजित डोभाल से जिस गर्मजोशी से मुलाकात की है, वह अमेरिका जैसे कई देशों को जरूर नागवार गुजरेगी. इस मुलाकात में आने वाले वक्त के अहम संकेत देखे जा सकते हैं.

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  • रूसी राष्ट्रपति पुतिन और भारतीय एनएसए अजित डोभाल के बीच क्रेमलिन में मुलाकात हुई.
  • डोभाल का मॉस्को दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब ट्रंप ने भारत पर डबल टैरिफ थोप दिया है.
  • पुतिन जिस गर्मजोशी के साथ डोभाल से मिले, उसमें आने वाले वक्त के अहम संकेत देखे जा सकते हैं.
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सीन-1 :

सीन-2.

ये दोनों सीन वैसे तो एकदूसरे से लगभग 8 हजार किलोमीटर की हवाई दूरी पर हुए, लेकिन दोनों में एक चीज कॉमन थी. गर्मजोशी, उत्साह, अपनापन... ट्रंप ने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद जिस तरह से पलटी मारी है, उसे देखकर अमेरिका में ही कई बड़े नेता सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर वो भारत के साथ पिछले ढाई दशक में गहराए संबंधों की बलि चढ़ाने पर क्यों तुले हुए हैं. 

छोटे फायदों के लिए बड़े संबंधों की बलि चढ़ा रहे ट्रंप!

ट्रंप ने अपने कुछ फायदों के लिए भारत पर एकतरफा तरीके से, भारी-भरकम 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया है. दुनिया में सिर्फ दो देश हैं, जिन पर ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है. एक भारत, दूसरा ब्राजील. रूस से तेल खरीदने से चिढ़कर ट्रंप ने भारत पर दोगुना टैरिफ थोप दिया है. भारत ने वैसे तो संतुलित तरीके से जबाव दिया है, लेकिन ट्रंप का ये कदम आर्थिक ही नहीं, दुनिया की भू-राजनीति के लिहाज से भी एक नए ऐतिहासिक दौर की नींव बन सकता है. 

अमेरिका का पाकिस्तान प्रेम जगजाहिर

अब रूस की बात. भारत और रूस के संबंध उस जमाने से हैं, जब अमेरिका खुलकर पाकिस्तान की तरफदारी किया करता था. शीत युद्ध का दौर हो या फिर 65 और 71 की जंग, अमेरिका ने पाकिस्तान को ही ज्यादा तवज्जो दी है. 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों ने जब आतंकियों के वेश में भारत की चोटियों पर कब्जा कर लिया था, तब भी अमेरिका ने भारत की मदद करने से इनकार कर दिया था. हालांकि बाद के वर्षों में भारत और अमेरिका के संबंधों में अहम मोड़ आया और रिश्तों में गर्माहट बढ़ी. लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप एक तरफ भारत को दुत्कार रहे हैं, वहीं पाकिस्तान को पुचकार रहे हैं. 

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वक्त की कसौटी पर खरे भारत-रूस संबंध

इसके उलट, रूस और उससे पहले सोवियत संघ से भारत के संबंध आजादी के बाद 1950 से गहरे बने हुए हैं. 1955 में प्रधानमंत्री नेहरू सोवियत संघ गए थे. उसके बाद सोवियत संघ के प्रमुख ख्रुश्चैव भारत आए. इन यात्राओं ने संबंधों की ऐसी नींव रखी, जो अब तक बनी हुई है. समय बीतने के साथ इसमें और मजबूती ही आई है. वक्त की कसौटी पर भारत और रूस के संबंध सोलह आने खरे उतरे हैं. 

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पुतिन-डोभाल की गर्मजोशी में छिपे अहम संकेत

अब भारतीय एनएसए अजित डोभाल का मॉस्को दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब ट्रंप ने भारत पर टैरिफ स्ट्राइक कर दी है. डोभाल की इस यात्रा ने राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे की नींव रख दी है. डोभाल ने खुद बताया है कि पुतिन जल्द ही भारत का दौरा करेंगे. इसके इतर पुतिन ने जिस गर्मजोशी से डोभाल से मुलाकात की है, वह अमेरिका जैसे कई देशों को जरूर नागवार गुजरेगी. 

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इस मुलाकात के दौरान पुतिन के हावभाव गौर करने लायक हैं. वह जिस तेजी और जोश से आते हैं, डोभाल से आगे बढ़कर हाथ मिलाते हैं, मुस्कुराते हुए बातें करते हैं और बैठकर बात करने का इशारा करते हैं. इस सबमें आने वाले वक्त के अहम संकेत जरूर छिपे हैं. ये आने वाले बदलाव की आहट साबित हो सकते हैं.

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