'कम मतदान, आरोप-प्रत्यारोप का दौर', पंजाब जिला परिषद चुनाव की पूरी कहानी, यहां पढ़ें

Punjab Local Bodies Polls: ये चुनाव सिर्फ आप पार्टी की जमीनी ताकत नहीं दिखाएंगे, बल्कि शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के भविष्य की राह भी तय करेंगे.

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पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनाव मतदान हिंसा के आरोपों और कम मतदाता भागीदारी के बीच संपन्न हुए. राज्यभर में महज लगभग 48 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. जमीनी लोकतंत्र की एक नियमित प्रक्रिया होने के बजाय ये चुनाव राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गए, जहां विपक्षी दलों ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर चुनावी प्रक्रिया को डराने-धमकाने और प्रशासनिक दुरुपयोग के जरिये प्रभावित करने के आरोप लगाए.

शिरोमणि अकाली दल ने लगाए आरोप

शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने सबसे तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि आप पार्टी ने राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) और पंजाब पुलिस की मिलीभगत से चुनाव 'चुरा' लिए. चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए SAD नेताओं डॉ. दलजीत सिंह चीमा और अरशदीप सिंह क्लेर ने SEC की कार्यप्रणाली की न्यायिक जांच की मांग की और उसके तत्काल हटाए जाने की बात कही. उन्होंने आरोप लगाया कि कई जिलों में मतदान केंद्रों पर जबरन कब्जा किया गया और विपक्षी कार्यकर्ताओं पर सुनियोजित हमले किए गए. उन्होंने फायरिंग की घटनाओं, पार्टी कार्यकर्ताओं के घायल होने, AAP उम्मीदवारों को अग्रिम रूप से मतपत्र दिए जाने, वोटों की कथित कटौती और मतपेटियों को सही तरीके से सील न किए जाने जैसे गंभीर आरोप लगाए. शिरोमणि अकाली दल ने इसे 'लोकतंत्र की हत्या' करार देते हुए कहा कि वह राज्यपाल से मिलकर कानूनी कार्रवाई का रास्ता अपनाएगा.

कांग्रेस ने भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी में आत्मविश्वास की कमी है, इसलिए उसने 'पैसा, बाहुबल और राज्य मशीनरी' का इस्तेमाल किया. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने व्यापक स्तर पर बूथ कैप्चरिंग, विपक्ष को मतदाता सूचियां न देने और पुलिस-प्रशासन के खुले समर्थन के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि ये तौर-तरीके सत्ताधारी दल की घबराहट को दर्शाते हैं और कठिन परिस्थितियों में डटे रहने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सराहना की.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कम मतदान को जनता के अविश्वास से जोड़ते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भरोसे की कमी का संकेत बताया. उन्होंने रविवार को मतदान कराए जाने के फैसले पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि धार्मिक आयोजनों और शादियों के कारण मतदान प्रभावित हुआ.

ये चुनाव सिर्फ आप पार्टी की जमीनी ताकत नहीं दिखाएंगे, बल्कि शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी के भविष्य की राह भी तय करेंगे. गठबंधन हो या अकेले. कांग्रेस के लिए भी यह साफ संदेश है कि जनता अभी उसे कितना मानती है. 

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