सन 1896 से देश सेवा का जज्बा... पांचवीं पीढ़ी की महिला अधिकारी भारतीय सेना में शामिल

एक ही परिवार की दो पीढ़ियों से तीन सेवारत अधिकारियों का यह दुर्लभ उदाहरण राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल का कमीशन इस शानदार सैन्य परंपरा को मज़बूत करता है.

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  • लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल ने ओटीए चेन्नई से उत्तीर्ण होकर भारतीय सेना आयुध कोर में कमीशन प्राप्त किया.
  • पारुल को पाठ्यक्रम में मेरिट प्रथम स्थान पर रहने के कारण राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया.
  • धड़वाल परिवार पंजाब के होशियारपुर जिले के जनौरी गांव से है और पांचवीं पीढ़ी से सैन्य सेवा में है.
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राष्ट्र के प्रति वीरता और सेवा की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाते हुए, एक प्रतिष्ठित सैन्य परिवार की पहली महिला अधिकारी ने कमीशन पाकर देश सेवा के जज्बे का अनूठा उदाहरण दिया है. लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल को प्रतिष्ठित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) चेन्नई से सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने के बाद, 06 सितंबर 2025 को भारतीय सेना आयुध कोर में कमीशन दिया गया. उन्हें अपने पाठ्यक्रम में मेरिट क्रम में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो उनके असाधारण समर्पण और योग्यता को दर्शाती है.

लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल सेना में अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं. ये परिवार पंजाब के होशियारपुर जिले के जनौरी गांव से है. ये परिवार अपनी सैन्य परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. पारुल की कमीशनिंग परिवार के लिए एक उल्लेखनीय क्षण है. जहां विरासत और आधुनिकता का संगम होता है, जहां परिवार की एक बेटी पहली बार ऑलिव ग्रीन्स पहनेगी.

धडवाल परिवार की सैन्य परंपरा उनके परदादा के पिता, 74 पंजाबियों के सूबेदार हरनाम सिंह से जुड़ी है, जिन्होंने 1 जनवरी 1896 से 16 जुलाई 1924 तक सेना में सेवा की थी. उनके परदादा, मेजर एलएस धड़वाल, 3 जाट रेजिमेंट का हिस्सा थे. जबकि तीसरी पीढ़ी में कर्नल दलजीत सिंह धड़वाल (7 जेएके राइफल्स) और ब्रिगेडियर जगत जामवाल (3 कुमाऊं) ने विशिष्ट सेवा की. यह परंपरा उनके पिता, मेजर जनरल केएस धड़वाल (एसएम, वीएसएम) और उनके भाई कैप्टन धनंजय धड़वाल, दोनों के 20 सिख रेजिमेंट में सेवा करने के साथ जारी है.

एक ही परिवार की दो पीढ़ियों से तीन सेवारत अधिकारियों का यह दुर्लभ उदाहरण राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है. लेफ्टिनेंट पारुल धड़वाल का कमीशन न केवल इस शानदार सैन्य परंपरा को मज़बूत करता है, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी उजागर करता है.

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