फर्जी एनकाउंटर में 'SSP-DSP' समेत 5 दोषी, तीन दशक पुराने केस में CBI कोर्ट का अहम फैसला

फर्जी एनकाउंटर का यह मामला 1993 में पंजाब में अमृतसर के दो थानों से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केस सीबीआई ने लिया था. अब स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तत्कालीन एसएसपी-डीएसपी समेत पांच पूर्व पुलिस अफसरों को हत्या का दोषी करार दिया है.

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  • मोहाली की विशेष CBI कोर्ट ने पांच रिटायर्ड पुलिस अफसरों को फर्जी एनकाउंटर का दोषी ठहराया है.
  • तत्कालीन एसएसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और दो एएसआई को हत्या में दोषी करार दिया गया है.
  • मामला 1993 में अमृतसर जिले के दो थानों से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर CBI ने केस लिया था.
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पंजाब के तीन दशक पुराने चर्चित फर्जी मुठभेड़ मामले में मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने पांच रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया है. इनमें एक पूर्व एसएसपी, पूर्व डीएसपी, एक पूर्व इंस्पेक्टर और दो पूर्व एएसआई शामिल हैं. इन सभी को फर्जी मुठभेड़ में हत्या का दोषी पाया गया है. अदालत 4 अगस्त 2025 को सजा का एलान करेगी.

इन अधिकारियों को दोषी ठहराया 

  • भूपिंदरजीत सिंह – तत्कालीन डीएसपी (सेवानिवृत्त एसएसपी)
  • देविंदर सिंह – तत्कालीन एएसआई (सेवानिवृत्त डीएसपी)
  • गुलबर्ग सिंह – तत्कालीन एएसआई (सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर)
  • सुबा सिंह – तत्कालीन इंस्पेक्टर (सेवानिवृत्त)
  • रघुबीर सिंह – तत्कालीन एएसआई (सेवानिवृत्त एसआई)

    1993 का अमृतसर जिले का मामला

    यह मामला 1993 में पंजाब के अमृतसर जिले के सिरहाली और वेरोवाल थानों से जुड़ा है. इसमें निर्दोष लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मारने का आरोप था. यह केस सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सामने आया था. 12 दिसंबर 1996 को सुप्रीम कोर्ट ने परमजीत कौर बनाम पंजाब राज्य के मामले में जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद सीबीआई ने 30 जून 1999 को इसका केस दर्ज किया.

    सीबीआई जांच में अफसर दोषी

    जांच में सामने आया कि 27 जून 1993 को पंजाब पुलिस के स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO)  शिंदर सिंह, सुखदेव सिंह और देसा सिंह को थाना सिरहाली के तत्कालीन एसएचओ गुरदेव सिंह के नेतृत्व में कथित तौर पर अगवा किया गया. आरोप था कि उसी दिन बलकार सिंह उर्फ काला को भी अगवा किया गया. जुलाई 1993 में थाना वेरोवाल के एसएचओ सुबा सिंह पर सरबजीत सिंह उर्फ सबा और हरविंदर सिंह को अगवा करने का आरोप लगा. 

    10 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट

    सीबीआई जांच में सामने आया कि 12 जुलाई 1993 को शिंदर सिंह, देसा सिंह, बलकार सिंह और एक अन्य व्यक्ति मंगल सिंह को एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया. 28 जुलाई 1993 को सुखदेव सिंह, सरबजीत सिंह और हरविंदर सिंह को भी इसी तरह मारने की स्क्रिप्ट रची गई. सीबीआई ने 31 मई 2002 को 10 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. इनमें से 5 की मौत ट्रायल के दौरान हो गई.

    ट्रायल के बीच इन आरोपियों की मौत 

    • इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह
    • एसआई ज्ञान चंद
    • एएसआई जगीर सिंह
    • हेड कॉन्स्टेबल मोहिंदर सिंह
    • हेड कॉन्स्टेबल अरूर सिंह

    सीबीआई की विशेष अदालत ने पूरे मामले पर सुनवाई की. इस दौरान पक्ष-विपक्ष में दी गई दलीलों और उपलब्ध सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाया. इस फैसले को मानवाधिकारों और न्याय व्यवस्था की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. अब सबकी नजरें 4 अगस्त पर टिकी हैं, जब अदालत इन दोषियों के लिए सजा का ऐलान करेगी.

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