पंजाब में सियासी भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक विवाद खत्म नहीं होता है कि दूसरा मुद्दा सामने आ जाता है. पंजाब के एडवोकेट जनरल ए.पी.एस देओल के इस्तीफे से एक फिर पंजाब सरकार का संकट सामने आ गया. इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) ने राज्य के एडवोकेट जनरल ए.पी.एस देओल (Advocate-General APS Deol) का इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया. सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
इस कदम को नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के राज्य सरकार पर सार्वजनिक हमलों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. सिद्धू ने पंजाब के मुख्यमंत्री चिन्नी द्वारा बिजली के दाम घटाने जाने की घोषणा के बाद उन पर निशाना साधा.
सूत्रों के मुताबिक, "पंजाब सरकार पर सिद्धू के हमले इस्तीफे को नामंजूर करने का कारण हो सकता है."
बिजली दरों में तीन रुपये प्रति यूनिट की कटौती के फैसले को 'लॉलीपॉप' करार दिया. एक कार्यक्रम के दौरान सिद्धू ने आश्चर्य जताया कि क्या कोई राज्य के कल्याण के बारे में बात करेगा. उन्होंने कहा कि वे लॉलीपॉप देते हैं, ये मुफ्त है, जो मुफ्त है वो इन दो महीनों (अगले साल की शुरुआत में पंजाब विधानसभा चुनाव होने हैं) में हो रहा. क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने जनता को उन राजनेताओं से सवाल करने को कहा कि वादे तो कर रहे हैं, वादों को पूरा कैसे करेंगे.
देओल ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के हमलों के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री को अपना त्याग पत्र सौंप दिया था. सिद्धू चाहते हैं कि बेअदबी और पुलिस फायरिंग मामले में दो आरोपी पुलिसकर्मियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए देओल को हटाया जाए. सिद्धू लगातार राज्य के डीजीपी और एडवोकेट जनरल को बदले जाने की मांग कर रहे थे.
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता देओल को सितंबर में एडवोकेट जनरल पद पर नियुक्त किया गया था. कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद छोड़ने के बाद जब अतुल नंदा ने शीर्ष सरकारी वकील के पद से इस्तीफा दिया था, तब उनकी नियुक्ति की गई थी.
वीडियो: चुनाव से पहले पंजाब सरकार ने जनता को दी राहत की 'डोज', बिजली दरों में कटौती