गरीबी वक्त से पहले बड़ा बना देती है, खेलने-कूदने की उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ उठाना सिखा देती है. तमाम ऐसे बच्चे हैं जिनकी बचपन से यारी छूट चुकी है. जिन हाथों में किताब होनी चाहिए वो मजदूरी कर रहे हैं. लेकिन हर किसी की किस्मत वंश की तरह नहीं होती. पंजाब के हैबोवाल इलाके से वास्ता रखने वाले 10 साल के वंश और उसके परिवार को तंगहाली ने इस कदर घेरा कि रोजी-रोटी के लिए सड़कों पर घूम-घूम कर जुराब बेचने को मजबूर हो गए. आज से पहले तक वंश भी अपने पिता के साथ लुधियाना की सड़कों पर जुराबें बेचता था. लेकिन नन्हें वंश को नहीं पता था कि उसका वक्त बदलने वाला है. खुद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उसकी मदद के लिए आगे आएंगे. पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार ने 10 साल के वंश सिंह की शिक्षा का जिम्मा लिया है. वंश और उसके परिवार की माली हालत को देखते हुए राज्य सरकार ने परिवार को 2 लाख रुपये की तत्काल सहायता देने का भी एलान किया.
कैप्टन को कैसे पता चला वंश के बारे में ?
वंश कुछ साल पहले तक सभी बच्चों की तरह स्कूल जाता था. परिवार पर गरीबी की मार पड़ी तो वंश को स्कूल छोड़ना पड़ा. अपने परिवार की मदद के वंश पिता के साथ लुधियाना की सड़कों पर जुराबें बेचने लगा. कुछ दिनों पहले वंश का एक वीडियो वायरल हुआ था. वीडियो जब पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के पास पहुंचा तो वे वंश की मदद के लिए खुद आगे आए.
वंश के हाथों में फिर होंगी किताबें
मुख्यमंत्री ने लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर को वंश की मदद का आदेश दिया है. सीएम ने ऐलान कि स्कूल छोड़ चुके वंश को फिर से स्कूल भेजा जाए और उसकी पढ़ाई का सारा खर्च राज्य सरकार उठाएगी. सीएम ने वंश और उसके परिवार से वीडियो कॉल पर बात की और वंश को फिर से स्कूल जाने के लिए कहा. वंश ने सीएम को भरोसा दिलाया कि वो फिर से स्कूल जाएगा और मन लगा के पढ़ेगा. सीएम ने वंश से उसके भाई और बहन के बारे में भी पूछा.
क्या है वायरल वीडियो में ?
वायरल वीडियो में वंश जुराब बेच रहा है. जब एक कार चालक ने वंश को जुराबों की कीमत से 50 रुपये ज्यादा देने की पेशकश की तो उसने इन्कार कर दिया. वंश का यह रवैया देख सब छोटे सरदार की तारीफ कर रहे हैं. सीएम अमरिंदर सिंह ने भी कहा कि वंश के स्वाभिमान ने उन्हें प्रभावित किया है. वंश का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. लाखों लोग इस वीडियो को देख चुके हैं और लोग वंश की ईमानदारी और स्वाभिमान की प्रशंसा करते नहीं थक रहे. वंश के पिता परमजीत भी जुराबें बेचते हैं. उसकी मां रानी गृहणी हैं. वंश की तीन बहनें और एक बड़ा भाई है और परिवार हैबोवाल इलाके में किराए के मकान में रहता है.