पूजा तोमर ने एमएमए फाइटिंग में भारत के लिए इतिहास रच दिया है लेकिन उनके लिए बॉक्सिंग की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि लोग लड़कों को ज्यादा पसंद करते थे और इस वजह से वो उन्हें मारना पसंद करती थीं. पूजा तोमर ने गुस्से में लड़ना शुरू किया, इसके बाद पैसों के लिए और अंत में इज्जत के लिए. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना गांव के जाट परिवार में जन्मी पूजा, अपने माता-पिता की तीसरी बेटी हैं. पूजा जानती थीं कि उनकी जिंदगी उन्हें उसी से डिफाइन करती हैं, जो वो नहीं है. वो एक लड़का नहीं हैं और उनके परिवार, रिश्तेदार और यहां तक कि यह समाज सही में उन्हें नहीं चाहता था.
9 जून को पूजा ने रचा इतिहास
हालांकि, 9 जून 2024 को पूजा तोमर ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिससे उन्होंने खुद के प्रति हर किसी के नजरिए को पूरी तरह से बदल दिया. उन्होंने इतिहास रच डाला. वह न केवल यूएफसी यानी अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियनशिप की पहली भारतीय महिला फाइटर बनी बल्कि साथ ही उन्होंने इसमें जीत भी हासिल की.
ट्रैक्टर डीलर थे पूजा के पिता
पूजा के पिता एक ट्रैक्टर डीलर थे और वो अपनी तीनों बेटियों से बहुत प्यार करते थे. वह हमेशा से चाहते थे कि उनकी बेटियां एथलीट बनें और इस क्रूर दुनिया का खुद सामना कर सकें. इस वजह से बचपन से ही वो सुबह-सुबह दौड़ने जाती थीं लेकिन जब वह 6 साल की थीं तब उनके पिता की अचानक मौत हो गई और उनके परिवार की स्थिति पूरी तरह से बदल गई. उनकी दोनों बहनें पढ़ाई में अच्छी थीं और आज उनकी एक बहन डॉक्टर औक एक नर्स है. हालांकि, पूजा को कभी पढ़ाई में बहुत अधिक दिलचस्पी नहीं रही.
बचपन से ही सीख लिया था लड़ना
पूजा को लगता था कि हर किसी को लड़के पसंद है और इस वजह से अगर वो लड़कों को मारेंगी तो उन्हें भी लोग पसंद करेंगे. इस वजह से बचपन में जैकी चेन की फिल्मों से उन्होंने कुछ ट्रिक्स सीखीं. वहीं पिता के बाद उनकी मां ने सारी जिम्मेदारियां संभाली और उनका पालन पोषण किया.
स्कूल में जीते थे कई मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप
पूजा ने अपने स्कूल में कराटे सीखा और कई कॉम्पिटिशन में जीत भी हासिल की. इसके बाद उन्होंने मार्शल आर्ट्स सीखी, उस वक्त वह 17 साल की थीं और फिर उन्होंने 5 चैंपियनशिप भी जीती. उनकी मां का मंत्र 'डरना नहीं मारना है', उन्होंने हमेशा याद रखा. हालांकि, उस वक्त भले ही पूजा जीत रही थीं लेकिन वो कुछ कमा नहीं रही थीं और उनकी बहन की मेडिकल की पढ़ाई की फीस भी अधिक थी और वह जानती थीं कि इससे परिवार का खर्चा बढ़ने वाला है.
2017 में बदली पूजा की जिंदगी
2017 में पूजा को एमएमए का ऑफर मिला और इसके लिए उन्हें 50,000 रुपये ऑफर किए गए. इसके बाद पूजा की जिंदगी में टर्निंग प्वॉइंट आ गया. इसी बीच एमएफएइ (मार्शल फाइट नाइट्स) जिसे टाइगर श्रॉफ, कृष्णा श्रॉफ और उनकी मां आएशा द्वारा शुरू किया गया है के एक सदस्य ने उन्हें स्पॉट किया. 2022 में आएशा श्रॉफ ने पूजा की ट्रेनिंग का खर्चा उठाने का फैसला किया और उन्हें बाली भेजा. यहां पूजा ने लड़ने की ट्रिक्स सीखीं और अपनी फाइटिंग को बेहतर बनाया.
28 की उम्र में पूजा को डेडीकेटिड कोच मिला, जिसने उनकी तकनीक को सही किया और उन्हें गेम प्लान सिखाया और उनकी एक्सराइज और डाइट को मॉनिटर किया.
2023 में जीता था एमएफएन वर्ल्ड चैंपियनशिप
इसके बाद जून 2023 में पूजा रिंग में गईं और उन्होंने एमएफएन वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीत हासिल की. वह इससे बेहद खुश थीं. इसके ठीक एक साल बाद उन्होंने ओक्टागन में यूएफसी में 9 जून को जीत हासिल की और साथ ही सभी की इज्जत भी प्राप्त की. फाइट में 2 राउंड के बाद पूजा काफी थक चुकी थीं लेकिन अपने कोच द्वारा मोटीवेट किए जाने के बाद उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी रायन डोज सैंटोस को हरा दिया. पूजा ने 30-27, 27-30, 29-38 स्प्लिट डीसीजन से इसमें जीत हासिल की.