महाराष्ट्र विधानसभा में पारित हुआ 'अर्बन नक्सल' विरोधी विधेयक. क्यों चिंतित है विपक्ष?

जन सुरक्षा विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा से पारित हो चुका है, अब विधान परिषद में पेश किया जाएगा. विपक्ष इस विधेयक का विरोध कर रहा है. उसका कहना है कि इसका उपयोग राजनीतिक विरोधियों के दमन के लिए किया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • महाराष्ट्र विधानसभा में जन सुरक्षा विधेयक पारित हो गया है, जिसे नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए लाया गया है.
  • विधेयक में प्रावधान है कि गैर कानूनी गतिविधि में लिप्त व्यक्ति को दो से सात साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है.
  • विपक्ष का कहना है कि कानून बन जाने के बाद इसका दुरुपयोग अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए किया जा सकता है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
मुंबई:

महाराष्ट्र विधान सभा में विवादित जन सुरक्षा विधेयक पारित हो गया है. राज्य सरकार का कहना है कि ये कानून वो नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए बना रही है. विपक्ष को आशंका है कि सत्ताधारी दल कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिए करेंगे. आज ये विधेयक विधान परिषद में पारित होने के लिए पेश होगा.

महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के कुछ जिले नक्सलवाद से बड़ी हद तक प्रभावित थे. हालांकि अब यहां नक्सलवाद खात्मे के कगार पर है लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का मानना है कि नक्सली विचारधारा के लोग शहरों में सक्रिय हो गए हैं. ऐसे 'शहरी नक्सलियों' से निपटने की खातिर सख्त कानून बनाना जरूरी था. 

क्या हैं इस विधेयक में प्रस्ताव

जन सुरक्षा विधेयक के तहत गैर कानूनी गतिविधि में लिप्त व्यक्ति को दो से सात साल तक की जेल का प्रावधान है. कानून में गैर कानूनी गतिविधि की परिभाषा कोई ऐसा कृत्य है जो किसी व्यक्ति या संगठन की ओर से किया गया हो या फिर कुछ ऐसा लिखा या बोला गया हो जिससे शांति भंग होने और कानून व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन में बाधा पहुंचने की आशंका हो, या फिर स्थापित संस्थाओं और उनके कर्मचारी को खतरा हो.

Advertisement

जन सुरक्षा विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा से पारित हो चुका है, अब विधान परिषद में पेश किया जाएगा.

विपक्ष का कहना है कि यह कानून लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा है. इसके प्रावधानों का इस्तेमाल राजनीतिक प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों के खिलाफ किया जा सकता है. कुछ विपक्षी नेताओं का मानना है की कई प्रावधान अस्पष्ट रूप से परिभाषित किए गए हैं और उनके दुरुपयोग की आशंका है. विपक्ष का यह भी कहना है कि जब पहले से ही मकोका और यूएपीए जैसे सख्त कानून है तो फिर इस तरह का नया कानून बनाने की क्या जरूरत आन पड़ी.

Advertisement

पहले कितने राज्यों में बना है ऐसा कानून

महाराष्ट्र इस तरह का कानून बनाने वाला पांचवां राज्य है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधायक का बचाव करते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल राजनीतिक आंदोलनकरियों या सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने वालों के लिए नहीं होगा. इस कानून के लिए बनाई गई कमेटी में विपक्षी नेता भी शामिल थे. 

Advertisement

महाराष्ट्र विधानमंडल के ऊपरी सदन जाने की विधान परिषद में इस विधेयक को चर्चा के लिए पेश किया जाएगा. शाम तक इस पर मतदान होने की उम्मीद है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: सपने वो हैं जो नींद उड़ा देते हैं ... स्पाइन के सर्जनों को संबोधित करते हुए बोले गौतम अदाणी

Featured Video Of The Day
IND vs ENG 3rd Test: क्यों भड़क गए कप्तान Shubman Gill, गेंद बदली या धोखा हुआ? | NDTV India
Topics mentioned in this article