'शांतिपूर्ण विरोध करें, लेकिन लोगों को असुविधा ना पहुंचाएं': किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी में बड़ा संदेश छिपा है. इसमें कहा गया है कि अपनी मांग रखना किसानों का हक है, लेकिन अन्य लोगों को उनके प्रदर्शन से असुविधा नहीं होनी चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सु्प्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ी टिप्पणी की है.

पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को असुविधा पहुंचाए बिना शांतिपूर्ण विरोध करें. लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजमार्गों को बाधित करने और लोगों को असुविधा पहुंचाने से बचें. लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन लोगों को असुविधा ना पहुंचाएं. हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं कि विरोध सही है या गलत. सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब किसानों द्वारा नोएडा से दिल्ली मार्च किया जा रहा है. 

पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करने और लोगों को असुविधा न पहुंचाने के लिए राजी करें. दल्लेवाल को 26 नवंबर को पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी विरोध स्थल से हटा दिया गया था. दल्लेवाल की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने देखा है कि उन्हें रिहा कर दिया गया है और उन्होंने शनिवार को एक साथी प्रदर्शनकारी को अपना आमरण अनशन समाप्त करने के लिए राजी भी किया. 

विरोध पर टिप्पणी नहीं

किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दे को अदालत ने नोट किया है और लंबित मामले में इस पर विचार किया जा रहा है. आप सभी जानते हैं कि खनौरी सीमा पंजाब के लिए जीवन रेखा है. पीठ ने दल्लेवाल की ओर से पेश वकील से कहा कि हम इस पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं कि विरोध सही है या गलत. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दल्लेवाल प्रदर्शनकारियों को कानून के तहत शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए राजी कर सकते हैं और ताकि लोगों को कोई असुविधा नहीं पहुंचे.

Advertisement

कोर्ट क्यों पहुंचा मामला  

26 नवंबर को अपना आमरण अनशन शुरू करने से कुछ घंटे पहले, दल्लेवाल को कथित तौर पर खनौरी सीमा से जबरन हटा दिया गया और लुधियाना के एक अस्पताल में ले जाया गया. शुक्रवार शाम को उन्हें छुट्टी दे दी गई. पंजाब पुलिस द्वारा उनकी कथित अवैध हिरासत को चुनौती देते हुए 29 नवंबर को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी. रिहा होने के एक दिन बाद 30 नवंबर को, दल्लेवाल किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए खनौरी सीमा बिंदु पर आमरण अनशन में शामिल हो गए. किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं. वहां  सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच से रोक दिया था.

Advertisement

किसानों की क्या है मांग

प्रदर्शनकारियों ने केंद्र पर उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कदम ना उठाने का आरोप लगाया है और दावा किया है कि 18 फरवरी के बाद से केंद्र ने उनके मुद्दों पर उनसे कोई बातचीत नहीं की है. MSP के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Purnia MP Pappu Yadav को धमकी का मामला फर्जी, करीबियों पर लगे आरोप
Topics mentioned in this article