'विरोध को वामपंथियों ने किया हाईजैक' : आरजी कर के प्रोटेस्ट में लगे कश्मीर के नारों पर तृणमूल

पोस्ट के साथ शेयर किए गए वीडियो में युवा पुरुष और महिलाएं कश्मीर के लिए आजादी के नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं, जबकि कोलकाता पुलिस कर्मियों सहित कई लोग खड़े होकर देख रहे हैं.

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कोलकाता:

आरजी कर रेप मामले में बैकफुट पर आई बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को एक वीडियो जारी किया है, जिसमें कथित तौर पर विरोध रैली में अलगाववादियों के समर्थन में नारे लगाए गए हैं. तृणमूल प्रवक्त रिजु दत्ता ने एक्स पर इसका वीडियो शेयर किया है और दावा किया है कि यह स्पष्ट संकेत है कि "प्रोटेस्ट को वामपंथियों ने हाईजैक कर लिया है."

अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, "इन राष्ट्र विरोधियों को पीड़ित के न्याय में कोई रुची नहीं है, वो सिर्फ अपने भारत विरोधी एजेंडे का प्रचार करना चाहते हैं. मैं स्पष्ट कर दूं - कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा." उन्होंने आगे लिखा, "मैं इस तरह की रैलियों में हिस्सा लेने वाले कोलकाता सभी पुरुषों और महिलाओं से विनम्र विनती करता हूं कि आप उनके जाल में फंसने और अनजाने में इस तरह के भारत विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने से पहले दस बार सोचें."

पोस्ट के साथ शेयर किए गए वीडियो में युवा पुरुष और महिलाएं कश्मीर के लिए आजादी के नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं, जबकि कोलकाता पुलिस कर्मियों सहित कई लोग खड़े होकर देख रहे हैं. हालांकि, एनडीटीवी स्वतंत्र रूप से इस वीडियो की पुष्टि नहीं कर सकता है. 

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ कोलकाता के पाटुली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. आज़ादी के नारे, जिनकी उत्पत्ति कश्मीर में हुई थी, देश में महिलाओं के आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं. लेकिन वहां, नारों को पितृसत्तात्मक व्यवस्था और बलात्कार संस्कृति से आज़ादी की मांग के लिए अपनाया गया है. यह महिलाओं की अपनी मर्जी से फैसले लेने और अपनी ज़िंदगी जीने की आज़ादी के लिए लड़ाई का नारा बन गया है. 

9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए रेप और हत्या मामले के बाद शुरू हुए विरोध में इंसाफ की मांग के नारे लगाए जा रहे थे. लेकिन आजादी के नारे महिलाओं द्वारा 'रिक्लेम द नाइट प्रोटेस्ट' के साथ शुरु हुए. विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को चौंका दिया, खासकर तब जब उनके अपने नेताओं का एक वर्ग जनता की भावनाओं में बह गया और पार्टी की आलोचना करने लगा. इसके एक सांसद जवाहर सरकार ने तो विरोध में संसद और पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया.

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