"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिंदू धर्म भारत के ‘असल’ हिंदुत्व से अलग" : ममता बनर्जी ने रैली में लगाए आरोप

ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार पीएम मोदी पर हमलावर हैं. वह आरक्षण से लेकर संविधान तक छीनने के आरोप लगा रही है. हालांकि, यह पहला मौका है जब उन्होंने पीएम मोदी के धर्म को लेकर सवाल उठाए हैं.

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ममता बनर्जी ने हज यात्रियों के परिवारों से विवेकपूर्ण तरीके से मतदान करने की अपील की.
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिंदू धर्म भारत के ‘असल' हिंदुत्व से अलग है. दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिंग में एक रैली में बनर्जी ने ऐलान किया कि उनकी सरकार 2010 के बाद से राज्य में जारी किए गए सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण-पत्र रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देगी. बनर्जी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि मोदी राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और समान नागरिक संहिता लागू करने और अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और ओबीसी लोगों का आरक्षण छीनने की साजिश कर रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘‘मोदी का हिंदू धर्म भारत का असल हिंदू धर्म नहीं है. मेरा धर्म मुझे सौहार्द्र और सौहार्द्र के लिए काम करना सिखाता है...मोदी समुदायों के बीच टकराव के धर्म में विश्वास करते हैं.'' उन्होंने दावा किया कि मतदान कार्यक्रम की योजना इस तरह बनाई गई कि 2000 से अधिक मुसलमान मतदान नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वे हज यात्रा पर जाएंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार कुछ दिनों उपवास रखती हैं और मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों के त्योहारों में भी शामिल होती हैं. इससे पहले बनर्जी ने दक्षिण 24 परगना जिले के सागर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार 2010 के बाद से राज्य में जारी किए गए सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गर्मी की छुट्टियों के बाद संबंधित आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने संबंधी आदेश को नहीं मानते. हम ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद शीर्ष अदालत में अपील करेंगे.''

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2010 से कई वर्गों को दिया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा बुधवार को रद्द कर दिया था, जिससे राजनीतिक चर्चा गरमा गई है. अदालत ने कहा था कि मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ा वर्ग श्रेणी की सूची में शामिल करना ‘‘उनके साथ वोट बैंक की तरह बर्ताव करना है.'' किसी न्यायाधीश का नाम लिए बिना बनर्जी ने रायदीघी में एक अन्य रैली में कहा, “कोई शिक्षकों की नौकरियां छीन रहा है, कोई और कुछ फैसले देने के बाद भाजपा में शामिल हो रहा है, जबकि कोई और ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर रहा है, जो संवैधानिक मानदंडों के अनुसार जारी किए गए थे.”

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ममता ने कहा, ‘‘अगर मोदी सत्ता में वापस आते हैं तो कोई और चुनाव नहीं होगा और एक-पार्टी, एक समुदाय, एक प्रणाली का शासन होगा और कोई लोकतंत्र नहीं होगा.''

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बनर्जी ने कहा, ‘‘हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन कुछ न्यायाधीश केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के निर्देशों का अनुसरण कर रहे हैं.''

बनर्जी ने चुनावी रैली में अपने संबोधन में मतदाताओं से आग्रह किया कि वे ‘‘तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर भाजपा या किसी अन्य पार्टी को एक भी वोट न दें, ताकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' केंद्र में सरकार बना सके.'' उन्होंने भाजपा पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के लोगों के अधिकारों को ‘कमजोर' करने के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की योजना बनाने का भी आरोप लगाया.

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ममता बनर्जी ने हज यात्रियों के परिवारों से विवेकपूर्ण तरीके से मतदान करने की अपील की, क्योंकि ‘समान नागरिक संहिता' और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर अमल से नागरिक मताधिकार से वंचित हो सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने ‘संदेशखालि' में महिलाओं का अपमान करने, दंगे भड़काने और पिछड़े वर्गों के आरक्षण एवं रोजगार के अधिकारों को छीनने का प्रयास किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का एकमात्र उद्देश्य ‘तृणमूल कांग्रेस और बंगाल को बदनाम' करना है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने भाजपा पर लोगों को ‘गुमराह' करने के लिए विज्ञापन चलवाने का आरोप लगाया. बनर्जी ने कहा कि ‘गंगासागर मेले' को एक राष्ट्रीय मेले के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार स्वतंत्र रूप से वार्षिक आयोजन का प्रबंधन कर रही है, जबकि केंद्र सरकार इसके लिए पर्याप्त सहायता प्रदान नहीं कर रही है.

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