लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार अंतिम चरण में 6 चरण के लिए वोट भी डाले जा चुके हैं. इस बीच सभी राजनीतिक दल अपने साथ फर्स्ट टाइम वोटर्स को कनेक्ट करने के प्रयास में हैं. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के साथ बात करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि वो फर्स्ट टाइम वोटर्स को कैसे कनेक्ट करते हैं. एक मैं उनके एस्पिरेशन को समझ पाता हूं. जो पुरानी सोच है कि वह घर में अपने पहले पांच थे तो अब 7 में जाएगा सात से नौ, ऐसा नहीं है. वह पांच से भी सीधा 100 पर जाना चाहता है. आज का यूथ हर क्षेत्र में, वह बड़ा जंप लगाना चाहता है. हमें वह लॉन्चिंग पैड क्रिएट करना चाहिए, ताकि हमारे यूथ के एस्पिरेशन को हम फुलफिल कर सकें. इसलिए यूथ को समझना चाहिए.
आपने देखा होगा कोविड में मैं बार-बार चिंतित था कि मेरे यह फर्स्ट टाइम वोटर जो अभी हैं, वह कोविड के समय में 14-15 साल के थे, अगर यह चार दीवारों में फंसे रहेंगे तो इनका बचपन मर जाएगा. उनकी जवानी आएगी नहीं. वह बचपन से सीधे बुढ़ापे में चला जाएगा. यह गैप कौन भरेगा? तो, मैं उसके लिए चिंतित था. मैं उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात करता था. मैं उनको समझाता था कि आप यह करिए. और, इसलिए हमने डेटा एकदम सस्ता कर दिया. उस समय मेरा डेटा सस्ता करने के पीछे लॉजिक था. वह ईजिली इंटरनेट का उपयोग करते हुए नई दुनिया की तरफ मुड़ें और वह हुआ. उसका हमें बेनिफिट हुआ है.
भ्रष्टाचार को लेकर अगले कार्यकाल में पीएम मोदी की क्या है रणनीति?
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोग भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं. दीमक की तरह भ्रष्टाचार देश की सारी व्यवस्थाओं को खोखला कर रहा है. भ्रष्टाचार के लिए आवाज भी बहुत उठती है. जब मैं 2013-14 में चुनाव के समय भाषण करता था और मैं भ्रष्टाचार की बातें बताता था तो लोग अपना रोष व्यक्त करते थे. लोग चाहते थे कि हां कुछ होना चाहिए. अब हमने आकर सिस्टमैटिकली उन चीजों को करने पर बल दिया कि सिस्टम में ऐसे कौन से दोष हैं अगर देश पॉलिसी ड्रिवन है, ब्लैक एंड व्हाइट में चीजें उपलब्ध हैं कि भई ये कर सकते हो, ये नहीं कर सकते हो. ये आपकी लिमिट है, इस लिमिट के बाहर जाना है तो आप नहीं कर सकते हो, कोई और करेगा मैंने उस पर बल दिया.
पीएम ने कहा कि भारत विविधताओं से भरा हुआ है और कोई देश एक पिलर पर बड़ा नहीं हो सकता है. मैंने एक मिशन लिया. हर डिस्ट्रिक्ट का, 'वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट' पर बल दिया, क्यों? भारत इतना विविधता भरा देश है, हर डिस्ट्रिक्ट के पास अपनी अलग ताकत है. मैं चाहता हूं कि इसको हम लोगों के सामने लाएं और आज मैं कभी विदेश जाता हूं तो मुझे चीजें कौन सी ले जाऊंगा. वो उलझन नहीं होती है. मैं सिर्फ 'वन डिस्ट्रिक, वन प्रोडक्ट' का कैटलॉग देखता हूं. तो, मुझे लगता है यूरोप जाऊंगा तो यह लेकर जाऊंगा. अफ्रीका जाऊंगा तो यह लेकर जाऊंगा. और, हर एक को लगता है एक देश में. यह एक पहलू है.
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