प्रधानमंत्री ने मोटापे की बढ़ती समस्या पर जताई चिंता, खाद्य तेल में 10 प्रतिशत कटौती का आह्वान किया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए पीएम ने कहा कि वर्ष 2022 में दुनिया-भर में करीब 250 करोड़ लोगों का वजन आवश्यकता से भी कहीं ज्यादा था.

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प्रधानमंत्री ने मोटापे की बढ़ती समस्या पर जताई चिंता, खाद्य तेल में 10 प्रतिशत कटौती का आह्वान किया
अधिक वजन कई तरह की परेशानियों को, बीमारियों को जन्म देता है: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वस्थ देश के लिए मोटापे की समस्या से निपटने पर बल देते हुए रविवार को देशवासियों से खाने के तेल की खपत में 10 प्रतिशत की कटौती करने का आह्वान किया. आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात' की ताजा कड़ी में उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि आज हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे की समस्या से परेशान है और बीते कुछ वर्षों में ऐसे मामले दोगुने हो गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि बच्चों में भी मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ गई है.''

'छोटे-छोटे प्रयासों से मोटापे से निपट सकते हैं'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में दुनिया-भर में करीब 250 करोड़ लोगों का वजन आवश्यकता से भी कहीं ज्यादा था. उन्होंने कहा, ‘‘ये आंकड़े बेहद गंभीर हैं और हम सभी को सोचने पर मजबूर करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?'' प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिक वजन या मोटापा कई तरह की परेशानियों को, बीमारियों को भी जन्म देता है लेकिन सब मिलकर छोटे-छोटे प्रयासों से इस चुनौती से निपट सकते हैं.

'तेल का कम करें उपयोग'

उन्होंने इसका तरीका सुझाते हुए कहा, ‘‘खाने के तेल में 10 प्रतिशत की कमी करना. आप तय कर लीजिए कि हर महीने 10 प्रतिशत कम तेल उपयोग करेंगे. आप तय कर सकते हैं कि जो तेल खाने के लिए खरीदा जाता है, खरीदते समय ही अब 10 प्रतिशत कम ही खरीदेंगे.'' पीएम मोदी ने तेल की खपत में 10 प्रतिशत की कटौती करने के साथ ही कहा कि वह 10 लोगों से ऐसा करने का अनुरोध करें और फिर वे 10 लोग अन्य 10 व्यक्तियों को ऐसा करने की चुनौती दें.

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प्रधानमंत्री ने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा और बॉक्सिंग खिलाड़ी निखत जरीन सहित कुछ अन्य हस्तियों के ऑडियो संदेश भी श्रोताओं को सुनाए और लोगों से मोटापे को कम करने या रोकने के लिए उपाय करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘‘खाने में तेल का कम उपयोग और माटापे से निपटना केवल निजी पसंद नहीं है बल्कि परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है. खान-पान में तेल का अधिक इस्तेमाल हृदय रोगों, मधुमेह और अत्यधिक तनाव जैसी ढेर सारी बीमारियों की वजह बन सकता है. अपने खान-पान में छोटे-छोटे बदलाव करके हम हमारे भविष्य को मजबूत, स्वस्थ और रोगमुक्त बना सकते हैं.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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