राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को केंद्र सरकार और प्रधान न्यायाधीश के साथ-साथ अन्य हितधारकों से कहा कि वे उन मामलों से निपटने के लिए एक प्रणाली तैयार करें जहां अदालत का फैसला लागू नहीं होता है. राष्ट्रपति ने यहां झारखंड उच्च न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को सही मायने में न्याय मिले.
मुर्मू ने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश (डॉ डीवाई चंद्रचूड़़) और केंद्रीय कानून मंत्री (अर्जुन राम मेघवाल) और कई वरिष्ठ न्यायाधीश यहां मौजूद हैं. उन्हें उन मामलों से निपटने के लिए एक प्रणाली तैयार करनी चाहिए जहां (अदालत के) फैसले लागू नहीं होते हैं.''
उन्होंने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश और सरकार से आग्रह करेंगी कि वे ‘‘यह सुनिश्चित करें कि लोगों को सही अर्थों में न्याय दिया जाए''
राष्ट्रपति ने कहा कि अनुकूल फैसला आने के बाद भी लोगों की खुशी कभी-कभी अल्पकालिक होती है, क्योंकि अदालत के आदेश लागू नहीं होते हैं.
मुर्मू ने अपने संबोधन के दौरान हिंदी में बोलने के लिए प्रधान न्यायाधीश की सराहना भी की. उन्होंने कहा, ‘‘न्याय की भाषा समावेशी होनी चाहिए.'' मुर्मू ने यह भी कहा कि महंगी मुकदमेबाजी प्रक्रिया अक्सर न्याय को आम लोगों की पहुंच से बाहर रखती है.
उन्होंने कहा, ‘‘(न्याय तक) पहुंच के कई पहलू हैं. लागत इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है. यह देखा गया है कि मुकदमेबाजी के खर्च अक्सर कई नागरिकों के लिए न्याय की खोज को पहुंच से बाहर कर देते हैं ... मैं सभी हितधारकों से आग्रह करती हूं कि वे नए तरह से सोचें और न्याय की पहुंच का विस्तार करने के नए तरीके खोजें.''
उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंच का एक अन्य पहलू भाषा है, क्योंकि अंग्रेजी भारत में अदालतों की प्राथमिक भाषा रही है, ऐसे में आबादी का एक बड़ा वर्ग इस प्रक्रिया से छूट जाता है.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘कहने की जरूरत नहीं है कि समृद्ध भाषाई विविधता वाले झारखंड जैसे राज्य में यह कारक और अधिक प्रासंगिक हो जाता है.''
उन्होंने कहा कि न्याय के लिए इन सभी और अन्य बाधाओं पर काबू पाने में दो कारक विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं - प्रौद्योगिकी और उत्साह, क्योंकि वे ऐसे नवाचार हैं जो न्याय तक पहुंच में सुधार करेंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय तक पहुंच से जुड़ा सवाल विचाराधीन कैदियों का है.
इससे पूर्व तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर रांची पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड को उच्च न्यायालय के नये भव्य भवन एवं परिसर की सौगात दी. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में स्थानीय भाषा का अधिक से अधिक उपयोग होना चाहिए, इससे लोगों का न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा बढ़ेगा.
उच्च न्यायिक सेवा में आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधित्व पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यों की न्यायिक सेवा में आदिवासियों के लिए आरक्षण लागू करने की बात कही.
न्यायिक व्यवस्था में देश के नागरिकों की आस्था का उल्लेख करते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के नागरिकों को भारत की न्यायिक व्यवस्था में इस आस्था को कायम रखने की जरूरत है.