राष्‍ट्रपति मुर्मू ने वायु सेना की चार इकाइयों को ‘राष्ट्रपति मानक और रंग’ पुरस्कार से किया सम्मानित

राष्ट्रपति मानक और रंग पुरस्कार किसी भी सशस्त्र बल इकाई के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुनी गई चारों इकाइयों का भारतीय वायुसेना के इतिहास में शानदार योगदान है. 

Advertisement
Read Time: 4 mins
गाजियाबाद:

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने शुक्रवार को भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की चार इकाइयों को ‘राष्ट्रपति मानक एवं रंग (प्रेजिटेंड्स स्टैंडर्ड एंड कलर्स)' पुरस्कार से सम्मानित किया और इसे ‘‘ऐतिहासिक अवसर'' करार दिया. गाजियाबाद में हिंडन वायु सेना स्टेशन में आयोजित एक समारोह में 45 स्क्वाड्रन और 221 स्क्वाड्रन को ‘राष्ट्रपति के मानक' और 11 ‘बेस रिपेयर डिपो' तथा 509 ‘सिग्नल यूनिट' को ‘राष्ट्रपति के रंग' पुरस्कार से सम्मानित किया गया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला अवसर है जब वायुसेना की चार इकाइयों को एक साथ इन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. 

इसमें बताया कि राष्ट्रपति मानक और रंग पुरस्कार किसी भी सशस्त्र बल इकाई के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. बयान में कहा गया कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुनी गई चारों इकाइयों का भारतीय वायुसेना के इतिहास में शानदार योगदान है. 

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे. 

Advertisement

मुर्मू के आगमन से पहले भारतीय वायुसेना की टुकड़ियों के एक समूह ने एक औपचारिक परेड और बैंड प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. 

Advertisement

भारतीय वायुसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुर्मू वायुसेना के एक विशेष विमान से हिंडन वायुसेना स्टेशन पहुंचीं. राष्ट्रपति सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर हैं. वायुसेना को ये पुरस्कार ऐसे दिन दिए गए हैं जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. 

Advertisement

राष्‍ट्रपति ने बताया ऐतिहासिक अवसर 

‘गार्ड ऑफ ऑनर' प्राप्त करने के बाद, मुर्मू ने 45 स्क्वाड्रन और 221 स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति के मानक और 11 बेस रिपेयर डिपो और 509 सिग्नल यूनिट को राष्ट्रपति के रंग प्रदान किए. 

Advertisement

उन्होंने भारतीय वायुसेना की चार इकाइयों को सम्मान दिए जाने को एक ‘‘ऐतिहासिक अवसर'' बताया और राष्ट्र की सेवा में बल और उसके योद्धाओं के योगदान की सराहना की. 

बयान में बताया गया कि वायुसेना की 45 स्क्वाड्रन को ‘फ्लाइंग डैगर्स' के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना 1959 में हुई थी. इस स्क्वाड्रन ने 1960 में पुर्तगाली शासन से गोवा की आजादी के लिए ‘ऑपरेशन विजय' में भाग लिया था.

इसमें बताया गया कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इस इकाई को पंजाब और राजस्थान सेक्टर के हवाई क्षेत्र की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 

1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में तैनाती 

वायुसेना की 221 स्क्वाड्रन को ‘वैलिएंट्स' के नाम से जाना जाता है. इसकी स्थापना 14 फरवरी 1963 को बैरकपुर में की गई थी. इस स्क्वाड्रन के गठन के बमुश्किल दो साल बाद इसे 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूर्वी क्षेत्र में तैनात किया गया था, जहां इसने सराहनीय योगदान दिया था. इस स्क्वाड्रन ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी पूर्वी क्षेत्र को सुरक्षित रखने में अहम योगदान दिया.

‘11 बेस रिपेयर डिपो' भारतीय वायुसेना का एक प्रमुख और एकमात्र लड़ाकू विमान ‘बेस रिपेयर डिपो' है. इसे अप्रैल 1974 में नासिक के ओझर में रखरखाव कमान के तहत स्थापित किया गया था. ‘509 सिग्नल यूनिट' की स्थापना एक मार्च 1965 को की गई थी और वर्तमान में यह मेघालय में वायु रक्षा दिशा केंद्र के रूप में कार्य कर रही है. 

ये भी पढ़ें :

* भारतीय वायुसेना शुरुआत से ही आत्मनिर्भर रही है : एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित
* VIDEO: सिंगापुर के एयरशो में IAF की चॉपर डिस्प्ले टीम 'सारंग' ने बिखेरे रंग
* 8 साल पहले रहस्यमयी तरीके से गायब हुआ था IAF का एयरक्राफ्ट, इन वैज्ञानिकों और मशीनों ने सुलझाई गुत्थी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Odisha News: Vedanta Group की रिफाइनरी के बांध में दरार आने से कई इलाके जलमग्न | NDTV India
Topics mentioned in this article