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जाति-धर्म और परिवार के अलावा हमारी असली पहचान भारतीय: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है."

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77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन.
नई दिल्ली:

भारत 15 अगस्त को आजादी की 77वीं सालगिरह मना रहा है. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया. इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी. उन्होंने कहा, "सभी देशवासी उत्साह के साथ अमृत महोत्सव मना रहे हैं. सभी लोग स्वतंत्रता दिवस को उत्साह के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं. ये मुझे बचपन की याद भी दिला रहा है. जब तिरंगा फहराया जाता था, तो लगता था कि शरीर में बिजली कौंध गई हो. ये सब उत्साह से भर देता था. स्वतंत्रता दिवस हमें ये याद दिलाता है कि हम व्यक्ति नहीं हैं, हम विश्व के सबसे बड़े नागरिक समुदाय हैं.

राष्ट्रपति ने कहा, "यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है. चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है. जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है. लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना.

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है. यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है."

राष्ट्रपति ने कहा, "स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं, जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है. यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है." उन्होंने कहा, "औपनिवेशिक शासन ने इसे खत्म करने की कोशिश की थी. 15 अगस्त 1947 को हम आजाद हुए. हमारा स्वाधीनता आंदोलन अद्भुत था. महान सभ्यता के मूल्यों को जन-जन में ले गए. हमारे स्वाधीनता संग्राम के मूल्यों सत्य-अहिंसा को पूरी दुनिया में अपनाया गया है."

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मुर्मू ने कहा, "गांधीजी और अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया. हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया. मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें. मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें."

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उन्होंने कहा, "आज महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं और देश का गौरव बढ़ा रही हैं. मुझे प्रसन्नता होती है कि महिलाओं की आर्थिक सशक्तीकरण पर ध्यान रखा जा रहा है. आज हम देख रहे हैं कि भारत ने विश्व पर यथोचित स्थान बनाया है. अपनी यात्राओं के दौरान मैंने नए गौरव का भाव देखा है. भारत दुनिया में मानवीय मूल्यों को स्थापित करने में अग्रणी योगदान दे रहा है."

मुर्मू ने कहा, "भारत, पूरी दुनिया में, विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. G20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का यह एक अद्वितीय अवसर है."

राष्ट्र के नाम संदेश में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "भारत ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है. प्रभावशाली GDP ग्रोथ भी दर्ज की है. देश सभी मोर्चों पर प्रगति कर रहा है. विश्व की कई अर्थव्यवस्थाएं खराब दौर से गुजर रही हैं. हमारी सरकार कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम रही है. मुद्रास्फीति चिंता का विषय है, लेकिन हमारी सरकार ने इसके लिए भी प्रभावी कदम उठाए हैं. भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए अग्रसर है. जरूरतमंदों की सहायता के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं. पिछले दशक में लोगों का गरीबी से निकलना संभव हो पाया है."

राष्ट्रपति ने कहा, "जिस बात पर सबको ध्यान देना चाहिए वो है जलवायु परिवर्तन. बीते सालों में कहीं बहुत बारिश हुई तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ा. ये सब ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हुआ. भारत ने इस पर भी काफी काम किया है. विश्व को हमने लाइफ फॉर एन्वायरमेंट का मंत्र दिया है. लोभ की प्रकृति हमें प्रकृति से दूर करती है. कई जनजाति समुदाय आज भी प्रकृति से गहरे जुड़े हैं. जनजातीय समुदाय के प्रकृति से संबंध और अपना अस्तित्व बनाए रखने को एक शब्द में समझाया जा सकता है- हमदर्दी. महिलाएं हमदर्दी ज्यादा गहराई से महसूस करती हैं."


राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है. ISRO ने चंद्रयान 3 लॉन्च किया है जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है. चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है, हमें बहुत आगे जाना है. उन्होंने कहा कि अनुसंधान, नई तकनीक और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, अगले पांच सालों में 50,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ सरकार द्वारा Anusandhaan National Research Foundation स्थापित किया जा रहा है. यह Foundation हमारे कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों में Research और Development को आधार प्रदान करेगा, उन्हें विकसित करेगा और आगे ले जाएगा. 
 

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