वृंदावन में बैठकर जब घंटों रोए थे प्रेमानंद महाराज, फिर हुआ ये बड़ा चमत्कार

Premanand Maharaj Story: प्रेमानंद महाराज ने बताया कि कैसे जब वो वृंदावन छोड़कर काशी लौट रहे थे तो अचानक एक चमत्कार ने उन्हें रोक लिया और वो वहीं बस गए.

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प्रेमानंद महाराज के वृंदावन में बसने की कहानी

Premanand Maharaj Story: अपनी मधुर आवाज और आकर्षक छवि के लिए मशहूर प्रेमानंद महाराज की तबीयत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं है. प्रेमानंद महाराज के लाखों भक्त उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे हैं. फिलहाल उनकी एक झलक पाने के लिए उनके भक्त बेताब हैं और सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज के कई वीडियो शेयर कर रहे हैं. उनका ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें प्रेमानंद महाराज बता रहे हैं कि कैसे वो वृंदावन आए और वहां उनके साथ क्या चमत्कार हुआ था. इस वीडियो में वो ये भी बता रहे हैं कि एक दोपहर वो वृंदावन में कई घंटों तक रोए थे. 

टीले पर बैठकर घंटों रोए थे प्रेमानंद महाराज

ये वीडियो तब का है जब प्रेमानंद महाराज अपनी मथुरा में रुकने और बसने की कहानी बता रहे थे. उन्होंने बताया, एक दिन दोपहर को मैं वृंदावन में टीले पर चढ़कर एकांत में खूब रोया और कहा कि भगवान मुझे वृंदावन वास दे दो. कहीं भी अगर एक कोने में मैं पड़ा रहूं, वृंदावन से बाहर न जाऊं तो मेरा जीवन सार्थक हो जाए. अब मैं रास के बिना नहीं जी सकता हूं, मैं वृंदावन के बिना नहीं जी सकता... 

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जब वापस काशी लौट रहे थे प्रेमानंद महाराज

प्रेमानंद महाराज ने आगे बताया कि रोने के बाद जब वो काशी लौटने लगे तो उनके साथ एक ऐसा चमत्कार हुआ, जिसने उन्हें वृंदावन में ही रोक लिया. उन्होंने कहा, जब मैं घंटों तक रोया और फिर रोकर सोचा कि चलो वापस काशी चलते हैं. जैसे ही हम उतरे तो एक छोटी सी बच्ची ने हमारा अचला पकड़ा और चारों तरफ घूमने लगी, वो कहने लगी कि जाएगो बाबा, जाएगो बाबा... हमारी कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि उस वक्त हम एकदम भाव में उतरे थे. हमने अपना अचला छुड़ाया और आगे चल दिए. जब कुछ आगे चले तो हमारे दिमाग में आया कि ये लाली क्या कह रही थी जाएगो बाबा, हम तो काशी जाने की सोच के आए थे, इस लाली को कैसे पता चला. कहीं ये श्री जी तो नहीं थीं? 

फिर हुआ ऐसा चमत्कार

प्रेमानंद महाराज ने आगे बताया कि जब वो लौटकर आए तो उन्हें लगा कि वो वहां किसी गोस्वामी की कन्या रही होगी, पता किया तो वहां मौजूद लोगों ने कहा कि यहां तो सब बाबा जी रहते हैं, यहां कोई भी कन्या नहीं रहती है. बस हमारी समझ में आ गया कि हमारी लाडली जी ने हमारे छोर को पकड़ लिया. इसके बाद हम वापस उसी आश्रम की तरफ लौट गए, जहां रह रहे थे. वहां पर पहले से ही एक संत खड़े थे. उन्होंने बताया कि एक महिशानंद गिरि जी संत हैं, उन्होंने आपको बुलाया है. जब हम गए तो उन्होंने कहा कि जहां आ रह रहे हैं, वहां आपके अनुकूल नहीं होगा. यहां एकांत में एक कमरा है, आप वहां रह सकते हैं. 

वृंदावन रहने के लिए ये चीज है जरूरी

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि लाडली जी ने उनके लिए ये व्यवस्था तैयार की थी. यहां पर वृंदावन वास के लिए एकमात्र रोना ही साधना है, अगर लाडली जी रीझ जाए और वो रहने का पास देदे तो सब व्यवस्था बन जाएगी. कोई भी धनबल से वृंदावन में नहीं रह सकता है, क्योंकि पास जब तक नहीं होगा, तब तक वृंदावन वास नहीं होगा. 

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