क्या अपने से किसी बड़े शख्स के पैर छूना गलत है...? यह सवाल इसलिए, क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार को सार्वजनिक स्थल पर भरी सभा में पीएम मोदी के पैर नहीं छूने चाहिए थे. ऐसी सोच रखनेवाले लोगों में अब देश की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर भी शामिल हो गए हैं. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर और भी कई आरोप लगाए हैं.
प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘पैर छुए'. अपने जन सुराज अभियान के तहत शुक्रवार को यहां एक सभा को संबोधित करते हुए किशोर ने कहा, "देश ने कुछ दिन पहले देखा होगा कि मीडिया के लोग कह रहे थे कि नीतीश कुमार के हाथ में भारत सरकार की कमान है. नीतीश कुमार अगर न चाहें, तो देश में सरकार नहीं बनेगी. इतनी ताकत है, नीतीश कुमार के हाथ में."
विशेष राज्य के दर्जे, बेरोजगारी और बंद चीनी मिलों के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री को घेरते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "नीतीश कुमार ने इसके एवज में क्या मांगा? बिहार के बच्चों के लिए रोजगार नहीं मांगा. बिहार के जिलों में चीनी की फैक्टरियां चालू हो जाए... यह नहीं मांगा. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए, यह नहीं मांगा. बिहार के लोग सोच रहे होंगे कि तो फिर उन्होंने क्या मांगा? नीतीश कुमार ने मांग रखी कि 2025 के बाद भी वह मुख्यमंत्री बने रहें और इसके लिए भाजपा भी समर्थन कर दे."
किशोर ने नीतीश पर अपना प्रहार जारी रखते हुए कहा, "13 करोड़ लोगों के जो नेता हैं, हमलोगों का अभिमान हैं, सम्मान हैं, वह पूरे देश के सामने झुककर मुख्यमंत्री बने रहने के लिए पैर छू रहे हैं." जन सुराज अभियान की शुरुआत करने से पहले नीतीश की पार्टी जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके किशोर पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में राजग की एक बैठक में मोदी को राजग का नेता घोषित किए जाने के बाद नीतीश द्वारा किये गये व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो क्लिप की ओर इशारा कर रहे थे. (भाषा इनपुट के साथ...)
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