'आप पर कितना विश्वास किया जा सकता है?' NDTV के सवाल पर प्रशांत किशोर ने दिया यह जवाब

पदयात्रा के लिए फंड की जरूरत के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि वोट है तो नोट का जुगाड़ हो ही जाएगा. मैं अक्टूबर से मैं स्वयं पश्चिमी चंपारण गांधी आश्रम से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू करूंगा.

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प्रशांत किशोर करेंगे बिहार के लोगों के लिए काम...

पटना:

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) राजनीतिक दल बनाने को लेकर 3 महीने बाद लेंगे कोई फ़ैसला लेंगे. आज उन्होंने बिहार में तीन हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि बिहार आज 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है. विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है.  बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है.

प्रशांत किशोर से NDTV ने सवाल किया कि आप पर कितना विश्वास किया जा सकता है, क्योंकि आप इधर-उधर राजनीतिक काम करते हैं. दूसरा आप नीतीश के बुलाने पर आप क्यों नहीं गए थे, और अब आप इन्हीं लोगों के खिलाफ बोल रहे हैं, जबकि आपने ही नारा दिया था- बिहार में बहार है, नीतीश कुमार हैं. आपने अबकी बार मोदी सरकार के लिए आपने काम किया था. तृणमूल के लिए ममता बनर्जी के साथ काम किया? आपने अलग अलग राज्यों में अलग अलग नेताओं के साथ काम किया है. यहां की जनता कितना विश्वास करे कि आप यहां के लिए सीरियस हैं?

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प्रशांत किशोर ने जवाब दिया कि मैंने अलग अलग राज्यों में जिन भी नेताओं के साथ काम किया लोग उसी आधार पर मुझे जज करेंगे. मुझे ये कहने में गुरेज नहीं कि अगर कुछ लोगों को मुझ पर यकीन नहीं है तो मुझे और बेहतर प्रयास करने की जरूरत है. मैं आपने वाले समय में अपने कार्यों से, कर्तव्यों से और अपनी मेहनत से दिखाऊंगा और उनका विश्वास जीतने का प्रयास करूंगा. जिन्हें संदेह है कि ये कितने सीरियस हैं तो मैं इतना ही कह सकता हूं कि साहब आप हमें कुछ समय तो दीजिए. जैसे पिछले रोल में मैंने 10 साल काम किया, उस समय भी कुछ लोगों को तो डाउट रहा होगा, उसको मैंने करके दिखाया.  मेरा यही आग्रह है कि डाउट रखिए लेकिन मुझे मौका तो दीजिए कि मुझमें इलेक्शन को लड़ने या समझने की क्षमता है या नहीं.

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नीतीश से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हां मैंने नीतीश के साथ काम किया है. व्यक्तिगत तौर पर मेरा उनके साथ कोई झगड़ा नहीं है और मेरे उनके साथ व्यक्तिगत तौर पर संबंध बहुत अच्छे हैं, लेकिन व्यक्तिगत रिलेशन होना एक बात है और साथ काम करना या सहमति होना अलग बात है. नीतीश जब दिल्ली आए थे तो मैं उनसे मिलने गया था, साथ खाना खाया था, लोगों ने अटकलें लगानी शुरू कर दी थीं कि मैं उन्हें राष्ट्रपति बनवाना चाह रहा हूं. नीतीश बुलाएंगे तो हम जरूर मिलने जाएंगे, वह यहां के मुख्यमंत्री हैं. लेकिन साथ खाने या मिलने का मतलब ये नहीं है कि आगे साथ काम करने की सहमति बन चुकी है. वो बिल्कुल अलग मामला है. नीतीश मेरे पिता जैसे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं अलग राजनीति यात्रा नहीं कर सकता.

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तेजस्वी यादव से जुड़े सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव लालू के लड़के हैं. उनके माता-पिता 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं. इस राज्य के बड़े नेता रहे हैं. वो प्रतिपक्ष के नेता हैं. मैं आज शुरू कर रहा हूं. मेरा कोई बैकग्राउंड नहीं है. मैं उन्हें कैसे काउंटर करूंगा इस सवाल में समय  नहीं जाना चाहता. मैंने अपनी रणनीति बता दी है.मैं बिहार के लोगों से जुड़ना चाहता हूं और उनसे समझना चाहता हूं. अगर लोग साथ आएंगे तो अच्छा है, नहीं आएंगे तो उसके बाद देखा जाएगा आगे का रास्ता. 

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पदयात्रा के लिए फंड की जरूरत के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि वोट है तो नोट का जुगाड़ हो ही जाएगा. उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर से मैं स्वयं पश्चिमी चंपारण गांधी आश्रम से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू करूंगा... बिहार के जिन लोगों से मिलना जरूरी है उनसे मुलाकात की जाएगी। उन्हें जनसुराज की परिकल्पना से जोड़ने का प्रयास करेंगे.

नई पार्टी बनाने की खबरों पर उन्होंने कहा कि अगर हम पार्टी बनाने की तरफ बढ़ते भी है तो वो प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी. अगले 3-4 महीनों में हमने बिहार में जिन 17-18 हज़ार लोगों को चिह्नित किया है, वे साथ में आकर तय करते हैं कि पार्टी बनाने की जरूरत है तो उस समय ये फैसला लिया जाएगा.

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