नीतीश सरकार के खिलाफ प्रशांत किशोर ने दी आंदोलन की चेतावनी, इन तीन मांगों को पूरा करने की मांग

जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से जाति आधारित सर्वेक्षण पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि जाति सर्वेक्षण पर श्वेत पत्र समेत उनकी तीन प्रमुख मांगें अगर एक महीने में पूरी नहीं हुईं तो वह बिहार सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
पटना:

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने जाति आधारित सर्वेक्षण पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. उनका कहना है कि जाति सर्वेक्षण पर श्वेत पत्र समेत उनकी तीन प्रमुख मांगें अगर एक महीने में पूरी नहीं की गईं तो वह बिहार में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे. किशोर ने राज्य में जारी भूमि सर्वेक्षण भी तुरंत रोकने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है.उन्होंने दलित और महादलित समुदायों के सदस्यों को तीन डिसमिल जमीन मुहैया करने संबंधी वादे को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा है.

पीके ने क्या कहा है

प्रशांत किशोर ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, ''अगर राज्य की राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार हमारी तीन मांगें नहीं मानती है तो जन सुराज 11 मई से राज्य के 40,000 राजस्व गांवों में हस्ताक्षर अभियान शुरू करेगा.'' उन्होंने कहा, ''11 जुलाई को, हम एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर के साथ सरकार को एक ज्ञापन सौंपेंगे. अगर तब भी हमारी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो हम मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे, जो इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आखिरी सत्र होगा.''

किशोर ने कहा,''हमारी पहली मांग राज्य सरकार द्वारा कराई गई जाति आधारित गणना से संबंधित है. मुख्यमंत्री ने सात नवंबर 2023 को विधानसभा में पेश जाति आधारित गणना रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर 6,000 रुपये प्रति माह से कम आय वाले 94 लाख परिवारों को 2 लाख रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता देने का वादा किया था. लेकिन एक भी परिवार को यह सहायता नहीं मिली है. हम सरकार से एक महीने के भीतर इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हैं.''

Advertisement

नीतीश से पूछा- आरक्षण बढ़ाने के वादे का क्या हुआ

उन्होंने सवाल किया,''इस सर्वेक्षण के आधार पर, आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का वादा किया गया था, उसका क्या हुआ?'' किशोर के मुताबिक दूसरी मांग दलित और महादलित परिवारों से जुड़े 50 लाख बेघर/भूमिहीन परिवारों को घर बनाने के लिए तीन डिसमिल जमीन देने के सरकार के वादे से संबंधित है. उन्होंने आरोप लगाया, ''सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, केवल 2 लाख परिवारों को भूमि आवंटित की गई है और वह भी केवल कागजों पर है और जमीन का कब्जा नहीं दिया गया है.नीतीश कुमार सरकार ने इस मुद्दे पर दलित और महादलित समुदायों के लोगों को धोखा दिया है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन परिवारों को भूमि पर वास्तविक कब्जा कब मिलेगा.''

Advertisement

अपनी तीसरी मांग के तहत किशोर ने राज्य में जारी भूमि सर्वेक्षण को स्थगित करने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया, ''हम सरकार से इस प्रक्रिया को तत्काल रोकने का आग्रह करते हैं. भूमि सर्वेक्षण के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. अधिकारी लोगों से पैसे ऐंठ रहे हैं.तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने 80 प्रतिशत भूमि का सर्वेक्षण कर लिया है और राजस्व अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर दिया है, जबकि 2013 में प्रक्रिया शुरू होने के बाद से बिहार में केवल 20 प्रतिशत ही सर्वेक्षण हो पाया है. इस धीमी प्रगति के कारण भूमि संबंधी विवादों में वृद्धि हुई है, जिसमें हत्या और हत्या के प्रयास के मामले भी शामिल हैं.''

Advertisement

ये भी पढ़ें: रिपोर्ट दीजिए राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं...हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Weather Update: Delhi और Maharashtra में बारिश का Red Alert | Heavy Rain Alert | IMD | Delhi Rain