- बिहार चुनाव में मिली हार के बाद प्रशांत किशोर ने चुनाव कंसल्टेंसी का काम पूरी तरह छोड़ने का फैसला किया है
- प्रशांत किशोर अब पूरी तरह बिहार की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अन्य राज्यों में काम नहीं करेंगे
- अगर बिहार में पार्टी चलाने के लिए पैसे की कमी हुई तो वे जनता से चंदा मांगकर चुनावी अभियान चलाएंगे
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रशांत किशोर ने बड़ा ऐलान किया है कि अब वह कंसल्टेंसी का काम नहीं करेंगे, उनका पूरा फोकस अब सिर्फ बिहार की राजनीति पर रहेगा. एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ राहुल कंवल को दिये इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि वह किसी भी पार्टी के लिए चुनाव कंसल्टेंसी नहीं करेंगे. अगले कुछ साल सिर्फ बिहार में काम करेंगे. अगर पैसे की कमी हुई, तो वह पार्टी चलाने के लिए लोगों से चंदा मांगेंगे, लेकिन बिहार की राजनीति में ही डटे रहेंगे.
बिहार में पूरे डेडिकेशन के साथ जुटा रहूंगा
प्रशांत किशोर ने कहा, 'मेरा मानना था कि अगर बिहार में कुछ कर लूंगा, तब कहीं बाहर जाऊंगा. लेकिन मैं बिहार में ही लड़ाई नहीं जीत पाया हूं, तो अब मेरा पूरा फोकस बिहार पर ही रहेगा. मैं बिहार से बाहर कहीं नहीं जाऊंगा. कहीं भी कंसल्टेंसी नहीं करूंगा. बिहार में पूरे डेडिकेशन के साथ जुटा रहूंगा. जैसे मैं पिछले साढ़े तीन साल से बिहार की राजनीति में जुटा हुआ हूं, वैसे ही आगे भी जुटा रहूंगा. मैंने ये निर्णय कर लिया है और इससे पीछे नहीं हटूंगा. बिहार को जीते बगैर पीछे हटने का सवाल नहीं है. आप मेरे जिद को नहीं जानते हैं, मैं बिल्कुल संकल्पित हूं, बिना किए बिना पीछे नहीं हटूंगा चाहे 5 साल लगे 10 साल लगे. इमरान खान ने पार्टी बनाई, पहली बार 7 जगह लड़े खुद. सातों जगह वो खुद हार गए चुनाव, उनकी पार्टी पूरे पाकिस्तान में हारी ही हारी लेकिन एक दिन आया न वो पाकिस्तान जीते. मैं शराबबंदी हटाए जाने वाले पक्ष में अगले 5 साल बोलता रहूंगा. जो बात लेकर मैं समाज में गया हूं, वही बात बोलता रहूंगा.
कंसल्टेंसी नहीं, तो फिर पार्टी कैसे चलाएंगे?
प्रशांत किशोर अगर चुनाव कंसल्टेंसी नहीं करेंगे, तो फिर बिहार में अपने चुनावी अभियान को आगे कैसे बढ़ाएंगे, क्योंकि उनकी कमाई का सिर्फ यही एक जरिया है? इस पर प्रशांत किशोर ने कहा, 'इसका हम कोई न कोई हल निकाल लेंगे. अगर जरूरत पड़ेगी, तो हम जनता से पैसे मांगेंगे. लोगों से चंदा मांगेंगे. क्राउडफंडिंग करेंगे. अभी तक चल रहा है, वैसे ही आगे भी चलेगा. अगर पैसा नहीं होगा, तो कम पैसे में बिहार चुनाव लड़ेंगे. लेकिन बिहार की जनता को छोड़कर नहीं जाएंगे.' उन्होंने कहा कि डॉक्टर, प्रोफेसर को फिर चुनाव लड़ाऊंगा, वो बुरी तरह हारे हैं फिर उन्हीं को चुनाव लड़ाऊंगा, जन सुराज की जो फंडामेंटल चीजें हैं उनमें से कोई बदलाव नहीं होगा. 10 साल बाद फिर अगर हारे तो उसके बाद सोचूंगा. बिहार सुधारने की जिद से समझौता नहीं कर सकता हूं. मैं महाभारत के चक्रव्यूह की कहानी सुनाता हूं, अभिमन्यु को घेरकर छल से मार दिया गया जबकि भगवान श्रीकृष्ण उनके साथ थे, फिर भी उनको मार दिया गया. अगर ये सच है कि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घेरकर मार दिया गया, तो ये भी सच है कि कि अंतत जीत उसकी हुई जो सही था, अंतत कौरवो को हारना पड़ा, हम सही बात कर रहे हैं हम लगे रहें, तो समाज को मानना पड़ेगा.
विजय से किया वादा थी तोड़ देंगे
प्रशांत किशोर ने बताया कि उन्होंने 3 सालों में कोई कंसल्टेंसी नहीं की है. हां, विजय थलापति से इस दौरान उनकी मुलाकात जरूर हुई थी. पीके उनकी पार्टी 'तमिलगा वेत्री कझगम' के लिए कंसल्टेंसी करने का वादा किया था. लेकिन वह विजय थलापति के लिए बिहार चुनाव से फ्री होने के बाद कंसल्टेंसी करने वाले थे. लेकिन अब उन्होंने फैसला किया है कि वह कंसल्टेंसी का काम बिल्कुल भी नहीं करेंगे. पिछले साढ़े तीन हमने सिर्फ बिहार की राजनीति की है और अगले 5 साल भी बिहार की राजनीति में ही व्यस्त रहेंगे.
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