प्रणय रॉय और रुचिर शर्मा ने भारत की आर्थिक प्रगति पर की चर्चा

रुचिर शर्मा ने कहा, अच्छी खबर यह है कि भारत आर्थिक रूप से आगे बढ़ रहा है

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रुचिर शर्मा और प्रणय रॉय के बीच आर्थिक प्रगति पर चर्चा

नई दिल्ली:

वैश्विक निवेशक और लेखक रुचिर शर्मा ने भारत की 75 साल पुरानी अर्थव्यवस्था पर एनडीटीवी के प्रणय रॉय से चर्चा की. रुचिर शर्मा ने कहा, अच्छी खबर यह है कि भारत आर्थिक रूप से प्रगति की राह पर है. 

प्रणय रॉय की रुचिर शर्मा के साथ बातचीत के मुख्य अंश इस प्रकार हैं...

*भारत की अर्थव्यवस्था की अब तक की प्रगति :

हमने छठवीं पायदान से शुरुआत की थी और अब भी छठवीं पायदान पर हैं. भारत के विकास की राह ने नया स्वरूप लिया है. 60, 70 के दशक भारत के लिए बेहद भयानक दौर था. हम 1980 के दशक से दोबारा विकास के चरण में लौटे. 

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* भारत की प्रति व्यक्ति आय दुनिया के मुकाबले  :
 

यह वी शेप आकार की है, जो दिखाता है कि हमने जबरदस्त वापसी की है. हम वहीं हैं जहां हम मूल डेटा पर थे. यह प्रति व्यक्ति आय की कहानी है, जो किसी देश की सफलता का सबसे बड़ा आर्थिक पैमाना है, यह बड़े संकेत देता है.

 * हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में लौट आए हैं. भारत की प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है और उसकी वैश्विक रैंकिंग में भी उछाल होता आया है. 
 

रुचिर शर्मा ने कहा, भारत ने पिछले 75 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है और 75 साल के इतिहास में बड़ी वापसी भी की है. 

*चीन की वापसी कहीं ज्यादा शानदार है :
 

1990 के दशक में, चीन में शहरों के निर्माण किया गया, वहां एक बड़ा उछाल आया. जितनी बड़ी संख्या में शहर उभर कर आगे आए, वो बेहद शानदार है. 

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भारत के मामले में, किसी भी ग्रामीण इलाके में, सिर्फ 10 फीसदी लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरे जिलों से आए होते हैं. पलायन बेहद कम है, जो चीन से एकदम उलट है. 

जो चीन ने किया, वो दोहराना बेहद मुश्किल है, लेकिन फिर भी हम अनुकरण कर सकते हैं.

*जहां तक जीवन प्रत्याशा की बात है :
 

तमाम संकेतों की बात करें तो, हमारी आर्थिक प्रगति दूसरों के मुकाबले उल्लेखनीय रही है, इसकी दूसरों से तुलना की जा सकती है और कुछ पर यह थोड़ा कम है.

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*अब तक शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति :

*आर्थिक स्वतंत्रता में भारत की प्रगति.

हम अभी भी अन्य देशों की तुलना में आर्थिक रूप से अधिक मुक्त नहीं हैं. तो, आंकड़ों के अनुसार, एक देश जितना अधिक समृद्ध होता है, आर्थिक स्वतंत्रता उतनी ही अधिक होती है.

*भारत का स्टॉक मार्केट :

* भारत के स्टॉक मार्केट ने कइयों को कामयाबी दी है :

भारत में अरबपतियों की संख्या लगातार बढ़ रही है

* सरकार का आकार लगातार कम हो रहा है

बाजार में सरकारी स्वामित्व 15 फीसदी से घटकर 5 फीसदी रह गया है. सरकार और करदाताओं को संपत्ति का नुकसान हुआ है,क्योंकि शेयर बाजार में स्वामित्व कम हो गया है.

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*भारत में अरबपतियों की संख्या उछाल - दुनिया में तीसरा सबसे बड़ी संख्या :

इन 140 में से 110 से ज्यादा नए अरबपति हैं. भारत ने पिछले एक दशक में 110 से अधिक अरबपति बनाए हैं और उनमें से कई विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवा और प्रौद्योगिकी, क्षेत्रों से हैं, जिनकी भारत को जरूरत है. बहुत ही उत्साहजनक तस्वीर है.


*रुपये का सफर :
 

पिछले 75 वर्षों में रुपये में ₹75 की गिरावट आई है. आज रुपया बहुत सस्ते और प्रतिस्पर्धी स्थान पर है.

हम कहां जा रहे हैं:

*उच्च विकास की कहानी अब नहीं दिख रही :

शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहां 7 फीसदी की ग्रोथ हो. शिखर 2007 में था, जब कई देश 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहे थे, अब शायद ही कोई हो

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*विकास की गति सुस्त पड़ने के कारण : 4डी

ये 4डी फैक्टर हैं, जिससे हर साल आर्थिक विकास की दर नीचे आ रही है

*भारत की जनसंख्या वृद्धि गिर रही है :

*चीन की तुलना में अन्य देशों की आबादी तेजी से घट रही है:

*महिला श्रम भागीदारी :

महिलाओं को श्रम क्षेत्र में भागीदारी बढ़ने से हमारे देश की विकास दर बदल जाएगी.

*आर्थिक सफलता के नए मानदंड: भारत 5 प्रतिशत की वृद्धि को बनाए रखने के लिए अच्छा प्रदर्शन करेगा 

*उच्च विकास को बनाए रखना: भारत ने अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है

*भारत 10 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर:

अगर इसी बेसलाइन पर आगे बढ़ते रहे तो वर्ष 2032 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. 

* भारत को प्रति व्यक्ति आय दोगुनी करने में कितना समय लगेगा:
 

*भारत के मुद्रास्फीति प्रदर्शन में सुधार:

यदि हम अन्य देशों से तुलना करें तो दस साल पहले की तरह अब हम बेहतर हैं। भारत में मुद्रास्फीति का मुद्दा है लेकिन यह बाकी दुनिया का मुद्दा है.

*शेयर बाजार कहाँ जा रहा है:
 

भारतीय शेयर का रुझान अपने दीर्घकालिक रुझान से काफी ऊपर है. यदि इसे अधिक घरेलू निवेशक मिलते हैं, यदि इसे अधिक निवेशक मिलते हैं, तो प्रतिफल अधिक हो सकता है, लेकिन यह मानते हुए कि रुझान 10 वर्षों में 8 प्रतिशत बढ़ेंगे.

*रुपये का प्रतिस्पर्धी मूल्य:
 

रुपया आज बहुत प्रतिस्पर्धी है जो हमारे निर्यात के लिए अच्छा है

*भारत दुनिया की तुलना में तेजी से डिजिटलीकरण कर रहा है:

*डिजिटलीकरण के कारण लीकेज कम :

 भारत में प्रो इनकैंबेंसी हैं...

 महत्वपूर्ण बातें...

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