प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) भारत में सशक्त और आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाओं का एक इकोसिस्टम तैयार कर रही है. यह जानकारी एक एक्सपर्ट्स की ओर से दी गई. एक मीडिया रिपोर्ट में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अनुसंधान विभाग के ओएसडी आदित्य सिन्हा ने बताया कि किस प्रकार पीएमएमवाई देश में महिलाओं के नेतृत्व वाली वृद्धि को सशक्त बना रहा है.
पीएमएमवाई के तहत माइक्रो और नैनो एंटरप्राइजेज को बिना कुछ गिरवी रखकर लोन दिया जाता है.
सिन्हा ने इस परिवर्तन को "डीप सोशल" बताया, जिससे घरों में महिलाओं की खरीद शक्ति और संसाधनों पर पकड़ बढ़ी है.
पीएमएमवाई से केवल घरेलू कामकाज या मौसमी मजदूरी करने वाली महिलाएं अब सक्रिय रूप से सिलाई यूनिट्स, ब्यूटी पार्लर, फूड स्टॉल, कृषि प्रसंस्करण उद्यम और खुदरा दुकानें जैसे सूक्ष्म उद्यम शुरू कर रही हैं. 2015 में शुरू की गई पीएमएमवाई एक सरकारी योजना है जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों को छोटे ऋण (20 लाख रुपये तक) प्रदान करती है.
डेटा से पता चलता है कि पीएमएमवाई के लाभार्थियों में से लगभग 68 प्रतिशत महिलाएं हैं.
वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2025 के बीच पीएमएमवाई के तहत प्रति महिला लोन वितरण की सीएजीआर 13 प्रतिशत रही, जो 62,679 रुपये तक पहुंच गई. इसी समय महिलाओं द्वारा वृद्धिशील बचत (जमा) 14 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी.
सिन्हा ने कहा कि यह न केवल ऋण लेने बल्कि बेहतर वित्तीय व्यवहार का संकेत है.