देश के एक तिहाई थर्मल पावर प्लांटों के पास 10 फीसदी या उससे कम कोयला- रिपोर्ट

1 मई को रविवार था. बहुत से दफ्तरों की छुट्टी होने की वजह से बिजली की मांग भी कम होती है. 29 और 30 अप्रैल को बिजली की मांग तो बढ़ी लेकिन शॉर्टेज बरकरार रही, वहीं कुछ राज्यों में गर्मी कम हुई है, वहां भी डिमांड कम रही.

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देश में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली:

देश में जहां एक तरफ लोगों का गर्मी से बुरा हाल है, वहीं कोयला और बिजली संकट से भी लोग जूझ रहे हैं. सेंट्रेल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की दैनिक कोयला स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक- 28 अप्रैल 2022 को देश के कुल 165 थर्मल पावर प्लांट में से 54 (32.72%) के पास मानक स्टॉक मानदंडों की तुलना में 10 प्रतिशत या उससे कम का कोयला स्टॉक बचा था. इसी के चलते बिजली संकट का सामना भी करना पड़ा.

POSOCO डाटा के मुताबिक- पिछले तीन दिनों में बिजली की डिमांड और आपूर्ति को लेकर बड़ा अंतर देखने को मिला.    

29th अप्रैल

रात 8 बजे बिजली की पीक डिमांड पूरी हुई : 188351 MW. वहीं पीक शॉर्टेज 8120 MW रही.


30th अप्रैल

रात 8 बजे बिजली की पीक डिमांड पूरी हुई -  186950 MW. वहीं पीक शॉर्टेज (MW) 5816 MW रही.

1 मई 2022

रात 8 बजे बिजली की पीक डिमांड पूरी हुई  - 177783 MW. वहीं पीक शॉर्टेज  (MW): 207 MW रही.

1 मई को रविवार था. बहुत से दफ्तरों की छुट्टी होने की वजह से बिजली की मांग भी कम होती है. 29 और 30 अप्रैल को बिजली की मांग तो बढ़ी लेकिन शॉर्टेज बरकरार रही, वहीं कुछ राज्यों में गर्मी कम हुई है, वहां भी डिमांड कम रही.

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ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियरर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताई शॉर्टेज की वजह

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन चेयरमैन शैलेंद्र दूबे ने कोयला और बिजली की कमी को लेकर कहा कि अप्रैल महीने में कोयला और बिजली संकट के बाद मई महीने में भी कोयले का संकट बना हुआ है.डोमेस्टिक Coal से चलने वाले 88 बिजली घरों के पास कोयले का स्टॉक क्रिटिकल है यानी नॉर्मेटिव स्टॉक के मुकाबले 25% से कम है. इंपोर्टेड कॉल से चलने वाले 18 बिजली घरों में से 12 के पास क्रिटिकल स्टॉक से कम कोयला है यानी 25 फ़ीसदी से कम और 8 बिजली घरों के पास कोयला ना होने की वजह से वह बंद पड़े हैं गर्मी कुछ कम होने की वजह से बिजली की मांग कम हुई है लेकिन बड़ी संख्या में बिजली घरों में कोयले का संकट बना हुआ है.

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उन्होंने आगे कहा कि देश में कुल पावर प्रोडक्शन की क्षमता 399461 मेगावाट है, लेकिन 3 दिन पहले सबसे ज्यादा दो लाख सात हजार के करीब मेगावाट बिजली की डिमांड पूरी की गई ... यानी देश में जो बिजली का उत्पादन है वह क्षमता के करीब आधी है. 34 ऐसे ताप बिजलीघर हैं, जिनकी क्षमता 40000 मेगावाट बिजली पैदा करने की है जिन पर एक लाख 74 हजार के करीब करीब निवेश हुआ है, लेकिन उन पर दबाव है, क्योंकि उसके पास ईंधन नहीं है और कुछ महंगी बिजली की वजह से पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए बंद पड़े हैं.

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