कांग्रेस के विधायक के. राजगोपाल रेड्डी के अपने पद और पार्टी से इस्तीफा देने के साथ ही तेलंगाना में सियासी पारा चढ़ गया है.रेड्डी मुनुगोडे विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. माना जा रहा है कि रेड्डी के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले दल को अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में बढ़त मिल सकती है. राजगोपाल रेड्डी ने आठ अगस्त को विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, जिन्होंने इसे स्वीकार कर लिया था.
इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने की आवश्यकता होगी.राजगोपाल रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी से और विधायक पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि केवल भाजपा ही राज्य में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के पारिवारिक शासन को समाप्त कर सकती है. उपचुनाव राज्य की राजनीति के तीन प्रमुख दलों सत्तारूढ़ टीआरएस, विपक्षी कांग्रेस और भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
एक तरफ, जहां भाजपा खुद को राज्य में टीआरएस के विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए उपचुनाव जीतने की इच्छुक है, वहीं, कांग्रेस के लिए सीट बरकरार रखना अहम है. इसी तरह, टीआरएस राज्य की राजनीति में अपना दबदबा बरकरार रखने और प्रमुख चुनौती के रूप में उभर रही भाजपा को रोकने के लिए चुनाव जीतने के लिए उत्सुक है. राजगोपाल रेड्डी के जल्द ही भाजपा में शामिल होने की उम्मीद है.
राजनीतिक विश्लेषक टी. रवि ने कहा कि भाजपा उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक सकती है क्योंकि हारने की सूरत में टीआरएस का विकल्प होने का उसका (भाजपा) अभियान प्रभावित होगा. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि सरकार-विरोधी वोट भाजपा और कांग्रेस के बीच बांटे जाएंगे, जिससे टीआरएस को फायदा हो सकता है.