मेरे शुरुआती प्रदर्शनों में से एक बांग्‍लादेश की आजादी के लिए था : ढाका में PM मोदी

पीएम ने कहा कि बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था. मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने बांग्‍लादेश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया
ढाका:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बांग्‍लादेश की आजादी के 50वर्ष के उपलक्ष्‍य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया मोदी दो दिवसीय दौरे पर आज सुबह ही बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे हैं. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ये एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है. हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है.

पीएम मोदी के संबोधन की खास बातें..
मैं आज यहां याद कर रहा हूं बांग्लादेश के उन लाखों बेटे-बेटियों को जिन्होंने अपने देश, आपनी भाषा और संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे, अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी.

बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था. मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था.

आज भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों की सरकारें इस संवेदनशीलता को समझकर, इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही हैं. हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है. हमारा भूमि सीमा समझौता (Land Boundary Agreement) भी इसी का गवाह है. 

यह वाकई एक सुखद संयोग है कि बांग्लादेश के आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष का पड़ाव, एक साथ ही आया है. हम दोनों ही देशों के लिए, 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है.हमारी विरासत भी साझी है, हमारा विकास भी साझा है.

यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे- 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान. 'बंगबंधु' के हौसले ने और उनके नेतृत्व ने यह तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को ग़ुलाम नहीं रख सकती.

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मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्तिजुद्धो में बांग्लादेश के भाइयों-बहनों के साथ खड़े हुए थे, जिन्होंने मुक्तिजुद्धो में अपना लहू दिया, अपना बलिदान दिया, और आज़ाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई.

राष्ट्रपति अब्दुल हामिद जी, प्रधानमंत्री शेख हसीना जी और बांग्लादेश के नागरिकों का मैं आभार प्रकट करता हूं. आपने अपने इन गौरवशाली क्षणों में, इस उत्सव में भागीदार बनने के लिए भारत को सप्रेम निमंत्रण दिया.

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मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को, बांग्लादेश के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं. मैं 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान जी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए जीवन न्योछावर कर दिया.

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